101 ESSAYS THAT WILL CHANGE THE WAY YOU THINK
by Brianna Wiest
About Book
बेहतर लाइफ जीने के अलग अलग कॉन्सेप्ट के बारे में जानें। इस समरी में, आप अपने पर्सनल, सोशल, इमोशनल और फिज़िकल सेल्फ को बेहतर बनाने के लिए कई essay पढ़ेंगे। इस समरी में, दोस्ती, परिवार, प्यार और बहुत कुछ के बारे में अलग अलग टॉपिक्स हैं। अपने इनर सेल्फ को ढूंढे और अपनी प्रॉब्लम के जवाब ढूंढे। इस समरी को पढ़ने के बाद खुद का बेस्ट पॉसिबल वर्ज़न बनें। इसे पढ़कर अपने सोचने का तरीका बदलें !
यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?
- जो लोग ज़्यादा बेहतर ज़िंदगी जीना चाहते हैं
- जो लोग अपना माइंडसेट बदलना चाहते हैं
- जो लोग लाइफ में प्यार, ख़ुशी और पर्पस ढूँढना चाहते हैं
ऑथर के बारे में
ब्रियाना वाईस्ट एक राइटर, पोएट और स्पीकर हैं। वो अपनी बुक्स, आर्टिकल्स, पॉडकास्ट के ज़रिए लोगों को इंस्पायर करती हैं। ब्रियाना ने थॉट कैटलॉग, फोर्ब्स और द हफिंगटन पोस्ट जैसे कई पब्लिकेशन के साथ काम किया है। उनकी बुक्स में "द माउंटेन इज़ यू" और "व्हेन यू आर रेडी, दिस इज़ हाउ यू हील" शामिल हैं।
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इंट्रोडक्शन
क्या आप एक बेहतर लाइफ जीना चाहते हैं? क्या आप अपने करंट माइंडसेट को बदलने के तरीके ढूंढ रहे हैं? क्या आप ख़ुश रहने के सीक्रेट के बारे में जानना चाहते हैं?
यह समरी ऐसे essay का कलेक्शन है जो आपको लाइफ के अलग अलग सिचुएशन में गाइड करेगा। इसके ज़रिए आप प्यार, दोस्ती, परिवार, सेल्फ़-इम्प्रूवमेंट यानी खुद में सुधार और भी बहुत सीखेंगे।
दुनिया को एक नए नजरिए से देखें। लाइफ और वो जो भी आपको देती है उसके मीनिंग को समझें। इस समरी में आप ऐसे नए कॉन्सेप्ट के बारे में जानेंगे जिनके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा।
यह समरी आपको अपने स्ट्रगल, फेलियर से डील करने में और ख़ुद को और अपने रिलेशनशिप को इम्प्रूव करने में भी मदद करेगी। ये आपको अपने टॉक्सिक हैबिट्स को पहचानने और उन्हें बेहतर आदतों में बदलने में भी मदद करेगी।
कभी-कभी, प्रॉब्लम आपके अन्दर ही कहीं छुपी होती है। शायद आपका माइंडसेट ही आपको ख़ुश रहने से रोक रहा है। तो अब अपनी बेस्ट लाइफ जीने और ख़ुश रहने का समय आ गया है।
Subconscious Behaviors That Are Keeping You from Having the Life You Want
क्या आप हमेशा से कुछ करना चाहते थे, लेकिन इसलिए नहीं कर पाए क्योंकि आपने सोचा कि आपको जज किया जाएगा?
बहुत से लोगों की लाइफ में यही प्रॉब्लम है। वो जो सच में करना चाहते हैं, उसे करने से खुद को रोकते हैं क्योंकि इसके कुछ नतीजे होंगे जिसका उन्हें सामना करना होगा।
सोसाइटी, दुनिया में क्या गलत और क्या सही है के स्टैंडर्ड सेट करती है। इसकी कोई मैनुअल हैंडबुक नहीं है। हर जनरेशन का एक अलग कल्चर और बिलीफ यानी विश्वास होता है, जो हो सकता है कि सालों पहले जैसा ना हो। Example के लिए, 19th सेंचुरी में जिस बात या चीज़ को एक्सेप्ट किया जाता था, हो सकता है कि मॉडर्न दुनिया में उसे सही नहीं माना जाता हो।
इसी वजह से, कई लोग अपनी असली इच्छा को फॉलो करने से खुद को पीछे रोककर रखते हैं और वही करते हैं जो सोसाइटी उन्हें करने के लिए कहती है।
ज़्यादातर लोग अपने डर का सामना भी नहीं करना चाहते। सोसाइटी ने उन्हें बता दिया है कि डर और दूसरे नेगेटिव इमोशंस ये दिखाते हैं कि आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं। हालांकि, डर एक इंटरेस्ट को दिखाता है। यानी आप किसी चीज़ से इसलिए डरते हैं क्योंकि आप सच में उसकी परवाह करते हैं। तो अगली बार जब आपको कुछ करने में डर लगे, तो उसे पूरा करने की कोशिश करें क्योंकि हो सकता है कि आपको उसे करने में सच में करने में दिलचस्पी हो।
लोग आपसे कहते हैं कि अपनी लाइफ में आप जो कुछ भी करना चाहते हैं उसका पता आपको कम उम्र में ही लगाना होगा। किसी चीज़ को ना जानने के डर की वजह से आप उसी रास्ते को चुनते हैं जिसके बारे में आप सबसे ज़्यादा जानते हैं। प्रेजेंट मोमेंट में जीना सीखें। आपको अपनी आगे आने वाली लाइफ के लिए अभी से सारे फैसले लेने की ज़रुरत नहीं है। अपना टाइम लें और स्टेप बाय स्टेप हर काम करें।
आमतौर पर, लोग हर बात को ज़रुरत से ज़्यादा सोचकर अपने लिए प्रॉब्लम खड़ी कर लेते हैं। अपने हानिकारक विश्वासों को तोड़कर बाहर निकलिए और दुनिया को एक्सपीरियंस कीजिए। अपनी लाइफ को डर में रहकर जीना बंद कीजिए और इसे एन्जॉय करना शुरू कीजिए। अपनी problems को खुद को पीछे मत खींचने दीजिए। इसके बजाय, ये तो आपके लिए कुछ बड़ा करने का एक ट्रिगर होना चाहिए।
लोग अपनी मनचाही ज़िंदगी जीने से खुद को इसलिए रोकते हैं क्योंकि वो गलती करने से डरते हैं। गलती करना, सक्सेसफुल होने के प्रोसेस का एक हिस्सा ही है, और कुछ भी नहीं। सब कुछ कंट्रोल करने की कोशिश करना बंद कीजिए और अपने आसपास की दुनिया के प्रति खुलना सीखिए।
How the People We Once Loved Become Strangers Again
ब्रेकअप से डील करना सच में बहुत मुश्किल होता है, खासकर तब जब आप किसी से बेहद प्यार करते हों। लेकिन, ब्रेकअप के बाद के होने वाली चीज़ों से लोगों को ज़्यादा डर लगता है।
किसी के इतने करीब और लंबे समय तक साथ रहने के बाद, उससे अलग रहने का ख़याल भी हमें डरा देता है. लाइफ में कितना कुछ एक साथ एक्सपीरियंस करने के बाद दूसरे इंसान के बिना आप वैसा ही कैसे फील कर सकते हैं?
ज़्यादातर लोगों को ब्रेकअप के बाद नॉर्मल लाइफ जीना मुश्किल लगने लगता है क्योंकि किसी के साथ की इतनी आदत हो जाती है कि उसके बिना अब सब कुछ अधूरा सा लगने लगता है। अब उस शख्स को भूल पाना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है जिसके बारे में आप ये सोचकर बैठे थे कि ये साथ ज़िंदगी भर रहेगा।
शुरुआत में, हर इंसान ही हमारे लिए एक अजनबी ही होता है। लेकिन, जैसे-जैसे हम किसी के साथ ज़्यादा वक़्त बिताने लगते हैं तो एक दूसरे के नज़दीक आ जाते हैं। ब्रेकअप के बाद, आप किसी के बारे में जो भी जानते हैं, वो सब भूलना पड़ता है। अब आपको ख़ुद को दोबारा समझाना पड़ता है कि वो अजनबी अब फ़िर से एक अजनबी बन गया है।
कुछ लोग आपकी लाइफ में हमेशा मौजूद रहेंगे। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होंगे जिनका साथ कुछ समय ही होगा और फ़िर वो आपसे बिछड़ जाएँगे। आपके पास ये आज़ादी तो है कि आप किसे चुनकर अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाना चाहते हैं लेकिन कौन हमेशा आपके साथ या करीब रहेगा इस पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है. इस बात को समझें कि किसी का साथ कभी भी छूट सकता है, कोई बेहद करीबी भी फ़िर से अजनबी बन सकता है.
किसी के अपनी ज़िंदगी से चले जाने के बारे में हद से ज़्यादा मत सोचिए। इसके बजाय, उस वाक्ये को अपने ज़ेहन में रखिए, उसने आपको क्या सिखाया उस सबक को याद रखिए। कई लोग ज़िंदगी में आते जाते रहेंगे, इसलिए हर सिचुएशन को अच्छे से जीएँ और फ़िर आगे बढ़ जाएँ, उसमें अटके ना रहें क्योंकि जीवन का कड़वा सच यही है कि किसी के चले जाने से भी ज़िंदगी नहीं रूकती है।
What the Feelings You Most Suppress Are Trying to Tell You
लोग अपनी लाइफ वैसे जीते हैं जैसा वो फील करते हैं। उनके सारे फैसले सिर्फ़ इस बात पर डिपेंड करते हैं कि वो कैसा फील करते हैं।
एक ऐसी बुरी चीज़ के बारे में सोचें जो आपके साथ कभी भी हो सकती है। आप इसके होने से डरते हैं, इसके नतीजों की वजह से नहीं बल्कि इस वजह से कि इसके होने पर आप कैसा फील करेंगे।
आपके इमोशंस आपके दुश्मन नहीं हैं। ये कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिससे आपको दूर रहने कि या जिससे लड़ने की ज़रुरत है। ज़्यादातर लोगों को अपने इमोशंस को मैनेज करने में मुश्किल होती है क्योंकि वो इमोशनली mature नहीं हैं।
इमोशनल maturity का मतलब है इस बात को समझना कि फीलिंग्स बस फीलिंग्स होती हैं। Maturity का मतलब अपने हर emotion को एक्सेप्ट करना। चाहे वो इमोशन डर हो, गुस्सा हो, खुशी, उदासी या और कुछ हो, ये सभी फीलिंग्स अलग अलग सिचुएशन में आपके रिएक्शन को दिखाते हैं.
कई लोगों में अपनी फीलिंग्स को दबाने की बहुत ही ख़राब या टॉक्सिक आदत होती है। उन्हें लगता है कि इन्हें अनदेखा कर देने से ये फीलिंग्स अपने आप ही गायब हो जाएगी। लेकिन, यह सोच ही गलत है।
अपने इमोशन को दबाने से वो समय के साथ बढ़ता जाता है। लोग अक्सर इसका सामना करने के बजाय अपनी फीलिंग्स को बदलने की कोशिश करते हैं। वो किसी प्रॉब्लम की अलसी वजह को समझने के बजाय बस प्रॉब्लम को तुरंत ठीक करने के लिए सीधे तरीके ढूँढने लगते हैं। इस कारण, आप उस दर्द को बार-बार एक्सपीरियंस करते हैं क्योंकि आपने अपने emotion को हैंडल करने का जो तरीका अपनाया था वो टेम्पररी उपाय था, उसका परमानेंट इलाज नहीं।
उन्हीं फीलिंग्स को वापस आने से रोकने के लिए, अपनी फीलिंग्स का डटकर सामना करें। अपने इमोशंस की सुनें कि वो आपको क्या बताने की कोशिश कर रहे हैं। कोई भी इमोशन सही या गलत नहीं होता है। आपके इमोशंस और कुछ नहीं बल्कि आपके आस पास की चीज़ों की तरफ आपका response ही है। ज़्यादातर समय, आपके इमोशंस आपको सही या बेहतर रास्ते पर ले जाने की कोशिश करते हैं।
अपने इमोशंस से लड़ना आपको और भी ख़राब सिचुएशन की तरफ ले जाता है। ये असली ख़ुशी को एक्सपीरियंस करने के मौके को ख़त्म कर देता है और आपको डर और शर्म के पिंजरे में फंसा देता है। आपके इमोशंस आपके अपने हैं। उन्हें एक्सेप्ट करें। आप जितना ज़्यादा उन्हें स्वीकार करेंगे, आप उतना ही अच्छा महसूस करेंगे।
Why We Avoid Doing What's Best for Us, and How to Conquer Resistance for Good
हम सभी ने कभी ना कभी लाइफ में किसी ना किसी काम को करने के बजाय उसे कल पर ज़रूर टाला है, इसे procrastination कहते हैं। यहां तक कि जब हम जानते भी हैं कि कोई काम हमारे लिए कितना इम्पोर्टेन्ट है, तब भी हम किसी और काम पर ध्यान देकर उस काम को टालते रहते हैं।
आप पहले से ही जानते हैं कि हेल्दी लाइफ जीने के लिए क्या करना चाहिए। आपको हेल्दी डाइट लेनी चाहिए, गहरी नींद लेनी चाहिए, एक्सरसाइज़ करना चाहिए और अच्छी आदतों को डेवलप करना चाहिए। इसके बावजूद, ज़्यादातर लोग अभी भी अपने हिसाब से लाइफ जी रहे हैं क्योंकि वो इसे बेहतर बनाने में टालमटोल करते रहते हैं और आखिर में ऐसा करने में फेल हो जाते हैं।
काम को टालने की आदत से छुटकारा पाने से पहले हमें ये समझना होगा कि आखिर लोग काम को टालते ही क्यों हैं।
इंसान नैचुरली उन चीजों की तरफ अट्रैक्ट होते हैं जो उन्हें कम्फर्टेबल लगता है। वो सबसे आसान काम, सबसे पास की जगह और सबसे कम्फर्टेबल ऑप्शन को चुनते हैं। लोग प्रोडक्टिविटी से दूर रहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उन्हें डिसकम्फर्ट फील होगा। लेकिन, थोड़ी तकलीफ झेलना आपको बहुत आगे तक ले जा सकता है।
टालने की आदत से बचने के लिए आपको अपने फोकस को शिफ्ट करना होगा। किसी काम को करते वक़्त होने वाली परेशानी पर फोकस करने के बजाय, उस परेशानी के बारे में सोचें जो आप तब महसूस करेंगे जब आप उस काम को नहीं करेंगे। ये आपको अपने काम को तुरंत पूरा करने के लिए मोटीवेट करेगा।
जो लोग अपने काम को टालते रहते हैं वो अपने इमोशंस को किसी सिचुएशन पर हावी होने देते हैं। वो अपने हर काम पर फीलिंग्स को कंट्रोल करने देते हैं और इसलिए वो कोई काम नहीं कर पाते क्योंकि इसमें उन्हें थकान या अनकम्फर्टेबल फील होने का डर लगा रहता है। अपने इमोशंस और सिचुएशन पर कण्ट्रोल रखें। डर या परेशानी की वजह से, खुद को किसी काम को टालने ना दें।
सही समय का इंतज़ार करना बंद करें और अभी एक्शन लें। अगर आप खुद के तैयार होने का इंतजार करते रहेंगे, तो आप कभी भी फिनिश लाइन तक नहीं पहुंच पाएंगे। आप कभी भी नए रास्ते पर जाने के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाएंगे। किसी भी काम में आने वाली परेशानी को एक्सेप्ट करें और उसे धीरे-धीरे शुरू करें। जैसे जैसे दिन बीतते जाएंगे, आप आखिर में खुद को और ज़्यादा प्रोडक्टिव होता हुआ पाएंगे।
आखिरकार, आप इस प्रोसेस में कम्फर्टेबल महसूस करेंगे और उस डर को दूर कर देंगे जो आपको किसी भी काम को शुरू करने से रोकता है। किसी चीज़ को हासिल करना, टालने से कहीं ज़्यादा फायदेमंद होता है।
Everything is Here to Help You: How Intrinsically Motivated People Become the Best Versions of Themselves
ज़्यादातर लोगों को यह विश्वास करना सिखाया जाता है कि उनकी लाइफ पहले से ही लिखी जा चुकी है। जो भी एक्सपीरियंस और इमोशंस वो महसूस करते हैं, उनका कारण external यानी बाहरी फ़ोर्स है, जिसने पहले से ये फिक्स कर दिया है कि उनकी लाइफ कैसी होने वाली है। इस तरह के माइंडसेट को 'एक्सट्रिंन्सिक माइंडसेट' कहा जाता है। इस माइंडसेट में इंसान अपने हालात को दोष देता है. उसे लगता है कि उसकी लाइफ का कंट्रोल उसके नहीं बल्कि उसके हालातों के हाथ में है.
ज़्यादातर लीडर्स चाहते हैं कि उनके लोग एक्सट्रिन्सिक माइंडसेट डेवलप करें। ऐसा इसलिए क्योंकि यह पावर में बैठे लोगों को कंट्रोल बनाए रखने का मौका देता है। एक्सट्रिन्सिक माइंडसेट रखने से आप खुद को विक्टिम मानने लगते हैं। आपको ऐसा लगता है कि हर नेगेटिव इमोशन बस एक दुःख है और दुनिया आपके प्रति दयालु या निर्दयी हो सकती है। इस तरह के माइंडसेट वाले लोग लाइफ में कभी दूर तक नहीं जा पाते हैं। वो एक जगह फंस जाते हैं और हमेशा हर सिचुएशन में ख़ुद को विक्टिम मान बैठते हैं।
दूसरी तरफ, 'इट्रिन्सिक माइंडसेट' आपको उस स्ट्रेस और नेगेटिविटी से दूर करता है जो एक्सट्रिन्सिक माइंडसेट देता है। इट्रिन्सिक माइंडसेट में आप मानते हैं कि दुनिया में हर चीज़ का कोई ना कोई मतलब होता है और यूनिवर्स का काम आपको सपोर्ट करना और बेहतर बनने में मदद करना है।
इट्रिंन्सिक माइंडसेट वाले लोग खुद को विक्टिम नहीं मानते। वो अपने हर एक्सपीरियंस को एक सबक की तरह समझते हैं जो उन्हें ग्रो करने में मदद करता है। वो नेगेटिव फीलिंग्स से परेशान नहीं होते बल्कि वो उन्हें एक बेहतर इंसान बनने का ज़रिया समझते हैं।
इट्रिंन्सिक माइंडसेट आपको विश्वास दिलाता है कि जैसे लाइफ का कंट्रोल आपके हाथ में है। आप अपना फ्यूचर खुद बनाते हैं। आप अपनी लाइफ को ठीक उसी तरह जीने की ताकत रखते हैं जैसा आप सच में चाहते हैं।
जब लोग इट्रेिंन्सिक माइंडसेट रखते हैं तो वो खुद का बेस्ट वर्ज़न बन जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वो चीजों के होने का इंतजार नहीं करते बल्कि खुद कुछ करके दिखाते हैं।
The One Question to Ask Yourself if You're Tired of Fighting for Someone's Love
प्यार ही एक ऐसी एक भाषा है जिसे हर कोई समझता है। प्यार के कारण ही परिवार एक साथ बना रहता है, इससे हर जगह शांति रहती है और ये लोगों को जीवन जीने की एक वजह भी देता है। हर कोई अपनी लाइफ में प्यार चाहता है। यही वजह है कि कुछ लोग इसे ढूँढने की कोशिश में पागल हो जाते हैं। लेकिन, विडम्बना तो देखो कि हर कोई प्यार पाना तो चाहता है लेकिन बदले में प्यार देना नहीं चाहता। कुछ ही लोग सही मायनों में दूसरों को प्यार दे पाते हैं।
ज़्यादातर लोग दूसरों को प्यार इसलिए नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से वो कमजोर दिखेंगे। वो हमेशा इसे पाने की उम्मीद करते हैं, लेकिन दूसरों को प्यार देने के लिए कभी तैयार नहीं होते। सोसाइटी उन लोगों को सनकी या बुद्ध कहती है जो ख़ुद प्यार मांगने से पहले दूसरों को प्यार देते हैं।
इस कारण, ज़्यादातर लोग हमेशा इस फ़ेर में लगे रहते हैं कि दूसरों से प्यार कैसे पाया जाए। लोग तरह-तरह के पैंतरे आजमाते हैं ताकि कोग उनके प्यार में पड़ जाएँ। वो ये दिखाने के लिए तरह-तरह की चीजें करते हैं कि वो आपके प्यार पाने के काबिल हैं। लेकिन, लोग प्यार से जुड़ी सबसे बुनियादी बात को भूल जाते हैं कि आप किसी को आपसे प्यार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते।
आपके अंदर प्यार हमेशा आपके मौजूद रहेगा। आपको इसे दूसरों में ढूँढने या उनसे मांगने की ज़रुरत नहीं है। यह सिर्फ़ आपके दिल की गहराई में मिल सकता है।
सिर्फ़ प्यार पा लेने से प्यार नहीं हो सकता। आप इसे दूसरों से हासिल नहीं कर सकते। प्यार एक ऐसी चीज़ है जिसे सिर्फ़ एक्सपीरियंस किया जा सकता है। यह तभी फल-फूल सकता है जब दो लोग सच में सिर्फ़ एक-दूसरे के प्रति कमिटेड होते हैं।
जब आप दूसरे इंसान को वही प्यार नहीं दे पाते जो वो आपको दे रहा है तो वो इस चीज़ को महसूस कर लेते हैं। इसलिए, जब आप दूसरों से प्यार पाने की उम्मीद करते हैं तो खुद से एक सवाल भी ज़रूर पूछिएगा कि क्या आप भी उसे उतना ही प्यार दे पा रहे हैं?
The 6 Pillars of Self-Esteem: Why it is Not How You Feel, But What You Think You're Capable of
सेल्फ एस्टीम वो ताकत है जो आपको मुश्किल सिचुएशन में भी पॉजिटिव बनाए रखती है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि आप दूसरों पर भरोसा करते हैं बल्कि इसलिए है क्योंकि आप खुद पर भरोसा करते हैं। आप जानते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए, आखिर में सब कुछ अच्छा ही होगा।
दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं उसका आपके सेल्फ एस्टीम से कोई लेना-देना नहीं है। इसका direct रिलेशन इस बात से है कि आप अपने बारे में क्या सोचते हैं।
जिन लोगों में सेल्फ एस्टीम की भावना कम होती है वो खुद को दूसरों से compare करने लगते हैं। वो हमेशा ये साबित करने में लगे रहते हैं कि वो सबसे ऊँचे हैं। हेल्दी सेल्फ एस्टीम होने से आप अपनी एबिलिटीज़ और नॉलेज को लेकर ज़्यादा सिक्योर फील करते हैं। आप दूसरे लोगों को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करते। आपका कॉन्फिडेंस आपके अंदर से आता है न कि दूसरों को नीचा दिखाने से।
जब लोग मुश्किल सिचुएशन में होते हैं तो वो आमतौर पर कहते हैं, "ठीक है, कम से कम मैं दूसरों से तो बेहतर सिचुएशन में हूँ।" हालांकि किसी भी सिचुएशन के अच्छे साइड पर फोकस करना ठीक है, लेकिन आपको अपने फायदे के लिए दूसरों को नीचा दिखाने की ज़रुरत नहीं है।
किसी भी चीज़ का मुकाबला करने का हेल्दी तरीका ये है कि आप उसके अच्छे साइड पर फोकस करें। ऊपर वाले स्टेटमेंट के बजाय ये कहें, "ठीक है, कम से कम मैं पांच साल पहले के मुकाबले अभी ज़्यादा बेहतर सिचुएशन में हूं।" इस तरह, आप सालों में आपके द्वारा अचीव किए हुए अचीवमेंट्स पर फोकस करके अपने सेल्फ एस्टीम को बढ़ा सकते हैं।
अपने सेल्फ एस्टीम को बनाने में टाइम लगता है। यह एक ऐसी आदत है जिसे आपको रोजाना प्रैक्टिस करना है। ऐसी 6 प्रैक्टिस हैं जिनसे सेल्फ एस्टीम बढ़ता है, ये हैं - conscious living, सेल्फ responsibility, हाई integrity, सेल्फ एक्सेप्टेंस, अपने पर्पस को ढूँढना और सेल्फ कॉन्फिडेंस।
Conscious living का मतलब है अपनी लाइफ में हर चीज़ के बारे में पता होना। इसमें एक्सटर्नल और इंटर्नल दोनों चीजें शामिल हैं। आपको अपने आपको और अपने आस-पास के माहौल के बारे में अच्छे से जानना होगा। सेल्फ एस्टीम, अपनी काबिलियत को जानने से आता है।
सेल्फ responsibility का मतलब है अपने जीवन की ख़ुद ज़िम्मेदारी लेना। जो लोग हाथ पर हाथ रखकर इंतज़ार करते रहते हैं उन्हें जीवन में कुछ नहीं मिलता है। आप अपनी लाइफ में हर चीज़ के लिए ख़ुद जिम्मेदार हैं, जिसमें आपके एक्सपीरियंस और इमोशंस भी शामिल हैं। आपकी सेल्फ एस्टीम आपके हाथ में है। आप अपने बारे में क्या सोचते हैं, यही वो सेल्फ एस्टीम का लेवल है, जो आप खुद के लिए चाहते हैं।
खुद के लिए कुछ एथिक्स और मॉरल्स बनाएँ यानी ज़िंदगी में आपके कुछ उसूल होने चाहिए। अपनी लिमिटेशंस को जानने से आपके अंदर सेल्फ रिस्पेक्ट की फीलिंग पैदा होगी। अपने स्टैंडर्ड से नीचे कुछ भी बर्दाश्त न करें।
अपने स्किल्स पर भरोसा करने से पहले, आपको खुद को एक्सेप्ट करना होगा। सेल्फ एक्सेप्टेंस वो ज़रूरी आदत है जिसमें आपको मास्टरी हासिल करनी होगी ताकि आप अपना सेल्फ एस्टीम डेवलप कर सकें। अपने बारे में हर चीज़ एक्सेप्ट करें, अच्छा और बुरा दोनों।
अपना पर्पस ढूँढने से आपके मन में सवाल नहीं उठेंगे कि आपकी ज़िंदगी किस लिए है। आप बिल्कुल वहीं हैं, जहां आपको होना चाहिए। अपने हर काम में एक meaning ढूँढने की कोशिश करें। जब आप ऐसा करेंगे तो आपको अपने काम पर कॉन्फिडेंस होगा।
आखिर में, सेल्फ कॉन्फिडेंस, सेल्फ एस्टीम का कोर है। सेल्फ कॉन्फिडेंस के बिना आपका सेल्फ एस्टीम भी गायब हो जाएगा। आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस आपके beliefs यानी आप किस चीज़ पर विश्वास करते हैं, उसके इर्द-गिर्द घूमता है। अगर आपको लगता है कि आप अपने काम में अच्छे हैं, तो आप सच में हैं। अपनी काबिलियत पर भरोसा रखने के लिए अपने माइंड को ट्रेन करें।
इन 6 आदतों के साथ, आप हाई सेल्फ एस्टीम बना सकते हैं। हर चीज़ को पाने का तरीका है कंसिस्टेंसी यानी उसे लगातार करते रहना। अगर आप लगातार इन आदतों को अप्लाई करेंगे तो आपको जादू होता हुआ ज़रूर दिखाई देगा।
How to Measure a Good Life
लोग अक्सर अपने सक्सेस को अपने सेल्फ वर्थ यानी अपनी वैल्यू के साथ जोड़ देते हैं। वो सोचते हैं कि ज़्यादा पैसा कमाना, ज़्यादा अचीव करना और ज़्यादा ऊँचा मुकाम हासिल करना, उन्हें अच्छी लाइफ बनाने में मदद करेगा।
ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि अच्छी लाइफ वही है जिसकी इमेज उन्होंने अपने दिमाग में बनाई है और ये तब होगा जब उनके सपने हकीकत में बदल जाएँगे। हर कोई अपने गोल को अचीव करने पर इतना फोकस करता है कि वो अपने प्रेजेंट में जीना ही भूल जाता है। हमेशा फ्यूचर के बारे में सोचने की वजह से, वो सिर्फ़ अपने सपने को पूरा करने के लिए अगले स्टेप के बारे में सोचता है।
हालांकि गोल अचीव करने का जुनून होने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन आपकी लाइफ हमेशा सिर्फ़ इसी के इर्द-गिर्द नहीं घूमनी चाहिए। लोग उस लाइफ को अच्छी लाइफ समझते हैं, जहां उनके पास आराम से रहने के लिए दुनिया भर की दौलत, शोहरत और ताकत होगी। लेकिन, वो उन चीजों को नहीं देख पाते जो वो रोज़ एक्सपीरियंस करते हैं।
आप आज जहाँ हैं और अपने सपनों को पूरा करने के बाद जहाँ पहुँचेंगे, इसके बीच किए गए एक्सपीरियंसेस, एक अच्छी लाइफ का ही हिस्सा हैं। आपके रोज़ के एक्सपीरियंस आपको अपने गोल्स से परे देखने और दूसरी चीजों को जानने का मौका देते हैं।
अच्छी लाइफ का मतलब सब कुछ पाना नहीं है। इसका मतलब है एक पर्पस ढूँढना। जब आप शोहरत, दौलत और ताकत का पीछा करते हैं, तो आप और ज़्यादा पाने की चाह रखते हैं। आपने जो हासिल किया है उससे आप कभी संतुष्ट नहीं होंगे। लेकिन, जब आप अपने काम में अपना पर्पस ढूंढ लेते हैं, तो आप हर काम को पूरे मन से करते हैं। अब आप इसे सिर्फ़ कुछ हासिल करने के लिए नहीं कर रहे हैं बल्कि इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आप इसे सच में करना चाहते हैं। आपका पर्पस ही आपका मोटिवेशन बनेगा। इस रास्ते में आप जो शोहरत, दौलत और ताकत कमाएंगे, वो आपके लिए एक बोनस होगा।
अपनी लाइफ का मक्सद ढूंढे और उन चीजों का ध्यान रखें जो आपको ख़ुशी देते हैं। किसी और जगह अच्छाई ढूँढना बंद करें। अच्छी लाइफ बनाने की ताकत आपके ही हाथ में है।
अच्छी लाइफ आपको हर चीज़ की कद्र करना सिखाती है, चाहे वो अच्छा हो या बुरा। अच्छी लाइफ आपको जीवन से जुड़ी छोटी से छोटी बात पर भी मुस्कुराने पर मजबूर कर देती है। अच्छी लाइफ वो लाइफ है जिसे आप पहले से जीते आ रहे हैं। एक बार जब आप अपना पर्पस ढूंढ लेंगे तो आप देखेंगे कि आपकी लाइफ आपके लिए अब तक की सबसे अच्छी लाइफ बन चुकी है।
Why We Subconsciously Love to Create Problems for Ourselves
ज़्यादातर लोग खुद की खड़ी की गई मुश्किलों में खुद ही फंस जाते हैं। वे बिना किसी बात के स्ट्रेस में आ जाते हैं, क्योंकि उनका दिमाग उन्हें यह यकीन दिलाता है कि ये कोई इम्पोर्टेन्ट बात है। अगर आप देखें कि आप आम चीजों के बारे में चिंता क्यों कर रहे हैं, तो आप पाएंगे कि ज़्यादातर समय ऐसा इसलिए था क्योंकि आपके दिमाग ने आपको विश्वास दिलाया था कि आपको चिंता करने की ज़रुरत है।
लोग नैचुरली अपने लिए खुद प्रॉब्लम पैदा करते हैं। इंसान ऐसे ही होते हैं। हम नैचुरली कुछ ना कुछ सॉल्व करने के लिए ढूँढ़ते रहते हैं, भले ही कोई प्रॉब्लम न हो तो भी। यह हमारे डीएनए की गहराई में सर्वाइवल इंस्टिंक्ट यानी हर सिचुएशन में सर्वाइव करने की ज़रुरत की वजह से हुआ है।
जब आप खुद के लिए प्रॉब्लम खड़ी करते हैं, तो आपको excitement के साथ साथ एक तरह का चैलेंज भी महसूस होता है। आप किसी ऐसी चीज़ पर काबू पाने के लिए उत्सुक रहते हैं जिस पर आप दूसरों से बात कर सकें। ज़्यादातर टाइम, आप उन problems का सामना करते हैं जिन्हें आपने अपने मन में बना लिया होता है। आप जान बूझकर थोड़ा suffer भी करते हैं ताकि आप इस बात को जायज़ ठहरा सकें कि "हां! मैं उस दर्दनाक एक्सपीरियंस से बच गया।" असल में, यह कुछ ऐसा था जिसे आप पहले से ही जानते थे कि आप इसे पूरा कर सकते हैं, लेकिन बस यह कहने का मौका चाहते थे कि आपने कुछ कर दिखाया है।
सब कुछ सिर्फ़ एक सवाल पर आकर रुक जाता है। लोग प्रॉब्लम खड़ी करना क्यों पसंद करते हैं? अगर आप प्रॉब्लम के बिना जी सकते हैं, तो चिंता करने के लिए कुछ क्यों ढूँढना?
इसका जवाब यह है कि इंसान को प्रॉब्लम अच्छा लगता है। हम खुद को अच्छा महसूस कराने के लिए solution ढूँढना पसंद करते हैं। मॉडर्न दुनिया में, आपके लिए सब कुछ पहले ही बनाया जा चुका है। सब कुछ पहले से ही आरामदायक और आसान बना दिया गया है। अब क्योंकि इंसान के पास करने के लिए कुछ नहीं है तो वो कुछ हासिल करने के लिए प्रॉब्लम नैचुरली पैदा करते हैं।
हर किसी को sub consciously यानी अनजाने में चिंता करना पसंद होता है। इससे आप खुद को बिजी महसूस करते हैं। किसी प्रॉब्लम को हल करने के मोटिवेशन के बिना, हमारे पास करने के लिए कुछ नहीं होगा। काम करने या कुछ अचीव करने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। लोग अपनी लाइफ बिना किसी पर्पस के जीएंगे।
कभी-कभी, आप अपने दिमाग में जो प्रॉब्लम पैदा करते हैं, वो आपकी की हुई चीज़ों में मीनिंग ढूँढने में मदद करता है। याद रखें, अगर आपने प्रॉब्लम खड़ी की है तो सिर्फ़ आप ही इसे सॉल्व कर सकते हैं। आप प्रॉब्लम क्यों पैदा करते हैं इस बारे में अवेयर होना ज़रूरी है। यह आपको अपनी लाइफ को समझने और शांति पाने में मदद करता है।
Why we Hold on Tightest to the Things That Aren't Meant for Us
लोग उन चीजों को क्यों पकड़कर रखते हैं जब वो जानते हैं कि वो उनके लिए अच्छे नहीं हैं? क्या आपने कभी किसी ऐसे इंसान के साथ रहने की कोशिश की है जिसे आप जानते हैं कि वो आपके लिए सही नहीं है? क्या आपने किसी से अपने पास रहने के लिए भीख मांगी है क्योंकि आप अकेले होने से डरते हैं?
बहुत से लोग उन चीजों को कसकर पकड़े रहते हैं जो उन्हें चोट पहुँचाती हैं, भले ही वो जानते हैं कि वो उनके लिए ठीक नहीं है। लोग उन चीजों की तरफ ज़्यादा अट्रैक्ट होते हैं जो उनके पास नहीं होती। किसी रिलेशनशिप में, आप उन लोगों के साथ रहने की कोशिश करते हैं जो आपके लिए नहीं बने हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप यह मानने के लिए तैयार ही नहीं होते कि वो आपको भूलकर आगे बढ़ चुके हैं।
जो चीजें आपके लिए सही होती हैं वो आपको मेंटली और इमोशनली थकाती नहीं हैं। इससे आपको थकान या दर्द महसूस नहीं होता। जो रिश्ता आपके लिए सही होगा उसमें आप कुछ सैक्रिफाइस करने या उस इंसान और दुनिया के बीच किसी एक को चूज़ करने की ज़रुरत नहीं होगी। ये आपको डिप्रेस नहीं करेगा और ना ही आपको अपनी काबलियत पर सवाल उठाने के लिए मजबूर करेगा।
जो इंसान या चीजें आपके लिए बने हैं वो आपके लिए रिलैक्सिंग, फन और फुल्फिल्लिंग यानि आपको पूरा महसूस करने वाले एक्सपीरियंस होंगे। सही इंसान दयालु, परवाह करने वाला और प्यार करने वाला होगा। वो जानबूझकर आपको हर्ट नहीं करेंगे या आपको रुलाएंगे नहीं।
लेकिन आप एक गलत इंसान को भूलकर आगे कैसे बढ़ सकते हैं? इसका जवाब है detachment यानी किसी से दूर हो जाना।
जब तक आप खुद को गलत इंसान से अलग करना नहीं सीखेंगे तब तक आपको सही इंसान नहीं मिल सकता। किसी चीज़ को पकड़कर रखना बंद करें और उसको भूलकर जाने देना सीखें। ज़्यादातर मामलों में, आप देखेंगे कि किसी चीज़ को भूलकर जाने देना कुछ ऐसा था जो आपको महीनों पहले कर लेना चाहिए था।
इस बात पर ज़्यादा ध्यान ना दें कि आप क्या खो सकते हैं। इसके बजाय, इस बारे में सोचें कि आप फ्यूचर में क्या हासिल करेंगे। कुछ चीजें सिर्फ़ एक सबक सिखाने के लिए होती हैं। खुद को इस कैद से आज़ाद करें। इससे आपको एहसास होगा कि सही चीजें, बिना भीख मांगे या बिना रोए, आपके पास खुद आने लगेंगी।
Not Everybody Will Love You in a Way You Understand
प्यार बहुत बड़ा टॉपिक है। इसे सभी समझते हैं और बहुत से लोग इसे महसूस भी करते हैं। क्योंकि यह एक यूनिवर्सल लैंग्वेज है इसलिए कई बार इसका गलत मीनिंग निकाला जा सकता है।
किसी से अपने प्यार का इज़हार करने के लाखों तरीके हैं। आप हर रोज़ भी कोई एक तरीका अपनाते हैं तो भी उसे दोहराए बिना आपके पास अपना प्यार जताने के लिए बहुत से तरीके हो सकते हैं। जैसे, आप उनके कपड़े धोकर, बर्तन धोकर, उन्हें गिफ्ट देकर, उनके साथ समय बिताकर, या "आई लव यू" कहकर अपना प्यार दिखा सकते हैं. लेकिन, कई अनगिनत वजहों से दूसरे आपके प्यार को गलत समझ सकते हैं।
लोगों का प्यार को समझने का अलग अलग तरीका होता है। प्यार, कुछ चीजों को करके भी दिखाया जा सकता है, जबकि कुछ लोग इसे अपनी दोस्ती को मज़बूत करने जैसे आसान तरीके की तरह भी देख सकते हैं। लोग अलग-अलग माहौल में पले-बढ़े होते हैं। इसलिए, दूसरे लोग जो सिग्नल देने की कोशिश कर रहे हैं, उनका मतलब निकालना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर आप उनके बैकग्राउंड के बारे में कुछ ना जानते हों।
जब प्यार का गलत मतलब निकाला जाता है तो दूसरा इंसान गुस्सा, दुखी, हर्ट या रिजेक्टेड महसूस करता है। ऐसा होने से, वो प्यार को खुद के नज़दीक नहीं आने देता। हालांकि, यह समझना ज़रूरी है कि हर कोई आपको उस तरह से प्यार नहीं करेगा जैसा आप चाहते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जो आपसे उस तरीके से प्यार करें जो आपके लिए अलग और नया है।
कुछ लोग दूर से प्यार करते हैं। कुछ लोग चुपचाप प्यार करते हैं। कुछ अपने प्यार का इज़हार करते हैं, लेकिन कुछ इसे सीक्रेट रखते हैं। चाहे वह कोई भी प्यार हो, आपके लिए हर इंसान के मन में आपके लिए मौजूद प्यार को जानने का कोई तरीका नहीं है।
सिर्फ़ इसलिए कि आप किसी के प्यार को महसूस नहीं कर पा रहे हैं इसका मतलब यह नहीं है कि प्यार है ही नहीं। आगे जाकर आप महसूस करेंगे कि हर कोई आपको कितना प्यार करता है। कभी-कभी, प्यार सीधे तौर पर नहीं दिया जाता। आपको इसे खुद ढूँढना पड़ता है.
Stop Chasing Happiness
हर कोई ख़ुशी चाहता है। कोई दुखी होना खुद चूज़ नहीं करता। लाइफ में, हर कोई एक ही वजह से सब काम करता है और वो है ख़ुश रहना।
ख़ुशी हर किसी के लाइफ में एक कॉमन फैक्टर है। आप एक कम्फर्टेबल और अच्छी लाइफ के लिए पैसा कमाना चाहते हैं। आखिरकार, सभी चीजें, ख़ुशी पाने की इच्छा पर आकर रुक जाती है।
ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि ख़ुशी ऐसी चीज़ है, जो ढूँढी जा सकती है। उनका मानना है कि यह उन्हें तभी मिलेगा, जब वो सब कुछ हासिल कर लेंगे, जो वो चाहते हैं। हालाँकि, यह बिल्कुल इसका उल्टा है। ख़ुशी आपकी लाइफ में पहले से ही मौजूद है. ये आपके हर पल में मौजूद है। लेकिन, ज़्यादातर लोग अचीवमेंट्स की इच्छा में अंधे हो गए हैं।
ख़ुशी एक चॉइस है जिसे आपको रोजाना करने की ज़रुरत है। यह अपने माइंड में हर नेगेटिव इमोशन को खत्म करना या अपने अंदर के गुस्से और चोट को महसूस ना करना, नहीं है। इसका मतलब है, कुछ भी होने के बावजूद ख़ुश रहना।
कोई हमेशा खुश नहीं रह सकता। लाइफ में उतार-चढ़ाव हमेशा आते रहेंगे। हालाँकि, challenging सिचुएशन आपको आपके अच्छे वक़्त की कद्र करना सिखाते हैं। अपने नेगेटिव इमोशंस से बचने के बजाय उन्हें गले लगाएं। ऐसा करने के बाद आप ज़्यादा अच्छी लाइफ जी पाएँगे।
Conclusion
सबसे पहले, आपने उन चीजों के बारे में जाना जो आपको अपनी मनचाही लाइफ से दूर रख रहे हैं। ज़्यादातर लोग सोसाइटी से जज किए जाने से डरते हैं। ऐसा होने से, वो उस पर ही टिके रहते हैं जो उनसे एक्स्पेक्ट किया जाता है और जो उनके कल्चर में पॉपुलर है। इस बारे में सोचना बंद करें कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं और वो काम करना शुरू करें जो आप करना चाहते हैं।
दूसरा, आपने उस इंसान के अजनबी बनने के बारे में जाना जिसे आप कभी प्यार करते थे। ब्रेकअप मुश्किल होता है। किसी को पूरी तरह से भूल जाना मुश्किल होता है, लेकिन हर एक्सपीरियंस को एक सबक की तरह लें। कुछ लोग जिनसे आप मिलते हैं, वो आखिर में फिर से अजनबी बन जाएंगे।
तीसरा, आपने अपने दबे हुए इमोशंस का मतलब समझा। ज़्यादातर लोग अपनी फीलिंग्स को अवॉयड करते हैं क्योंकि वो बुरा महसूस करने से डरते हैं। वो सच्चाई का सामना करने और किसी प्रॉब्लम की जड़ को जानने के बजाय कोई टेम्पररी solution ढूँढने की कोशिश करते हैं। अपने इमोशंस का सामना करें और उन्हें गले लगाएं। एक बार जब आप जान लेंगे कि आपकी फीलिंग्स आपको क्या बताने की कोशिश कर रही हैं, तो आपका मूड ख़ुद ब खुद ठीक होने लगेगा।
चौथा, आपको पता चला कि लोग अपने काम को क्यों टालते रहते हैं। ज़्यादातर लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वो अनकम्फर्टेबल फील नहीं करना चाहते। वो अनकम्फर्टेबल सिचुएशन में रहने से बचना चाहते हैं। यह सोचना बंद करें कि इसे शुरू करना कितना मुश्किल है। इसके बजाय, इस बात पर ध्यान दें कि अगर आप किसी काम को टालेंगे तो उसका क्या अंजाम होगा। टालने की आदत सिर्फ़ बेचैनी को बढ़ाता है। आप जल्द ही महसूस करेंगे कि टालने की आदत से होने वाली प्रॉब्लम किसी काम को शुरू करने और उस पर काम करने से कहीं ज़्यादा है।
पांचवां, आपने इंट्रिंसिक माइंडसेट के कॉन्सेप्ट के बारे में सीखा। खुद को विक्टिम की तरह देखना बंद करें और अपना फ्यूचर बनाएं। विश्वास करें कि दुनिया यहां आपको सपोर्ट करने के लिए है। फेलियर और नेगेटिव इमोशंस को एक सीखने वाले एक्सपीरियंस की तरह मानें।
छठा, इस समरी ने आपको प्यार के बारे में सिखाया। ज़्यादातर लोग प्यार एक्सपीरियंस तो करना चाहते हैं लेकिन दूसरों को प्यार देना नहीं चाहते। वो हमेशा प्यार लेना चाहते हैं लेकिन कभी दूसरों को प्यार देते नहीं हैं। प्यार एक ऐसा एक्सपीरियंस है जो तभी पॉसिबल है जब दो लोग एक दूसरे को एक जैसा प्यार देने को तैयार हों। अगर आपको लगता है कि आपको किसे से प्यार नहीं मिल रहा है तो रुकिए और खुद से सवाल कीजिए - क्या आप उन्हें वही प्यार दे रहे हैं जिसके वो हकदार हैं?
सातवां, आपने सेल्फ एस्टीम के बारे में समझा। खुद पर और आपकी ताकत पर आपका कॉन्फिडेंस ही सेल्फ एस्टीम कहलाता है। यह आपके नज़रिए पर डिपेंड करता है कि आप क्या हासिल कर सकते हैं। हाई सेल्फ एस्टीम आपको दूसरों से ख़ुद को compare करने के बजाय खुद पर फोकस करने का मौका देता है। अपने सेल्फ एस्टीम को बढ़ाने के लिए आप 6 आदतें अपना सकते हैं, जो हैं - होश में जीना, सेल्फ कॉन्फिडेंस, सेल्फ एक्सेप्टेन्स, सेल्फ responsibility, integrity और लाइफ में अपने पर्पस को ढूँढना।
आठवां, आपने अच्छी लाइफ का मतलब समझा। अच्छी लाइफ का मतलब दुनिया के ऐशो आराम पाना नहीं है। ये दौलत, शोहरत और ताकत पाना नहीं है। अच्छी लाइफ का मतलब है एक पर्पस ढूंढना। यह पहले से मौजूद चीज़ों की कद्र करना और आपके पास जो है उसमें संतुष्ट रहने के बारे में है।
नौवां, आपने जाना कि लोग अपने लिए प्रॉब्लम क्यों खड़ी करते हैं। आराम से भरी ज़िंदगी में, लोग खुद को चैलेंज करने और खुद को बेहतर महसूस कराने के लिए मुद्दे ढूंढते हैं। ये पैटर्न आमतौर पर एक प्रॉब्लम पैदा करने, फिर उससे परेशान होने और फिर उस पर काबू पाना होता है। हर प्रॉब्लम आपको ऐसा महसूस कराता है कि आपने कुछ हासिल कर लिया है। ऐसा करना नॉर्मल है। इस फैक्ट को जानने के बाद आप मुश्किल सिचुएशन में खुद को डालने से बचा सकते हैं।
दसवां, आपने चीज़ों को भूलकर जाने देने के बारे में जाना। कभी-कभी, लोग उन चीजों को पकड़कर बैठे रहते हैं जो उनके लिए बनी ही नहीं हैं। वो उन चीजों को लेना चाहते हैं जो उनकी नहीं हैं। हालाँकि, यह आखिर में आपको इमोशनली और मेंटली थका देगा। अपने लिए सही रास्ता ढूँढने के लिए खुद को दूसरों से अलग करना सीखें। ऐसा करने से, आप देखेंगे कि गलत चीजों के मुकाबले सही चीजें आसानी से मिल जाती हैं।
ग्यारहवां, आपने अलग-अलग तरह के प्यार के बारे में जाना। कुछ लोग चुपचाप प्यार करते हैं, जबकि कुछ लोग खुलकर प्यार करते हैं। प्यार एक बड़ा और गहरा टॉपिक है जिसका अक्सर गलत मतलब निकाला जाता है। आपको पता होना चाहिए कि, कभी-कभी, लोग आपसे इस तरह से प्यार करते हैं कि आप समझ नहीं सकते। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो आपसे प्यार नहीं करते।
आखिर में, आपने ख़ुशी का मतलब समझा। इसे आप ढूंढ नहीं सकते, ये पहले से ही आपके अंदर मौजूद है। ख़ुशी एक चॉइस है। यह उन सभी चीजों को एक्सेप्ट करना है जो आप महसूस करते हैं और चैलेंजेस के बावजूद ख़ुश रहना चूज़ करते हैं।
लाइफ आसान नहीं है। आपके सोचने का तरीका, आपके ख़ुशी के लेवल को एफेक्ट करता है। बेहतर लाइफ जीने के लिए अपना माइंडसेट बदलें। बेकार की चीजों की चिंता करना बंद करें और हेल्दी आदतों को अपनाएं। कभी-कभी, आपको ख़ुश होने से एक ही चीज़ रोकती है, वो आप ख़ुद हैं। अभी से ख़ुश रहना चूज़ करें और अपने लिए वो लाइफ बनाएं जो आप हमेशा से जीना चाहते थे।
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फाइनली अगर आप इस समरी के एन्ड तक पहुंच गए है तो Congratulation बहुत ही कम लोग होते है जो नॉलेज के ऊपर टाइम इन्वेस्ट करते है वर्ना आप कही और भी तो टाइम वेस्ट कर सकते थे.
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