Why Should You Read This Summary?
क्या आप हमेशा अपने बिल्स और घर के बाकि के खर्चों के बारे सोचकर सोचकर परेशान रहते है? क्या आपको ये सोचकर टेंशन होती है कि आपका अगले महीने या अगले हफ़्ते तक गुज़ारा कैसे होगा? तो यहाँ आपके लिए एक फैक्ट है आपकी चिंता ही आपको ज्यदा पैसा कमाने से रोक रही है. लेकिन जब आप टेंशन लेना छोड़ दोगे तभी आपको solution और अपोच्यूनिटीज़ नज़र आएंगी. ये समरी आपको सिखाएगी कि अपने मन से हर चिंता और फ़िक्र को कैसे दूर किया जाए और कैसे ज़्यादा प्रोडक्टिव बना जाए. आप सीखेंगे कि एन्जॉय करते हुए लाइफ में अबन्डन्स कैसे क्रिएट किया जाए.
ये समरी किसे पढ़नी चाहिए?
• जो लोग अभ-अभी ग्रेजुएट हुए हैं
• सभी प्रोफ़ेशन के लोगों को
• फेमिली के कमाने वाले मेंबर को
ऑथर के बारे में:
रिचर्ड कार्लसन एक साइकोथेरपिस्ट और मोटिवेशनल स्पीकर हैं. वो पहले एक स्ट्रेस मैनेजमेंट सेंटर चलाया करते थे. रिचर्ड ने 1985 से ही किताबें लिखना शुरू कर दिया था लेकिन उन्हें सक्सेस अपनी 10वीं किताब से मिली जिसका नाम था "डॉट स्वेट द स्मॉल स्टफ़", यह किताब 100 हफ्तों तक न्यूयॉर्क टाइम्स की नंबर वन बेस्टसेलर रही।. ये 130 देशों में पब्लिश हुई थी. उन्हें "डॉट स्वेट द स्मॉल स्टफ़" टर्म को पॉपुलर बनाने का क्रेडिट भी दिया गया.
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इंट्रोडक्शन
सक्सेसफुल लोग कई मायनों में अलग होते है. वी मर्द, औरत, एंटऍन्यीर, मैनेजर, एक्जिक्यूटिव, एथलीट, एटरटेंनर या किसी भी प्रोफेशन से हो सकते हैं. उनमें से कुछ लोग हाईली एजुकेटेड है. जबकि कुछ नहीं है. लेकिन इन सबमें एक चीज कॉमन है और वो पे कि ये पैसों को लेकर फिक्र नहीं करते।
ये सक्सेसफुल लोग कॉफिडेंट है, बातचीत करने पा negotiotion करने में माहिर है, स्मार्ट प्रॉब्लम सॉल्वर होने के साथ-साथ टैलेंटेड क्रिएटर भी होते है. ये लोग दूर की सोचते है. सक्सेसफुल लोग अपने काम से प्यार करते है. वो टेन्शन नहीं लेते बल्कि मजे करते हैं.
ये समरी आपको सिखाएगी कि आप भी उनमें से एक कैसे बन सकते है. सक्नोसफुल होने के लिए आपको चिंता करना बंद करना होगा तभी आपके मन से डर और डाउट पूर होगा. यही आपको प्रॉब्लम solve करने, अच्छे बिज़नस रिलेशन बनाने और ज़्यादा opportunities को attract करने के लिए फोकस करने में मदद करेगा.
ये सगरी आपको चिंता को खत्म करने और राक्मोरा की ओर बढ़ने के लिए टिप्पा भी देगी. तो आइए शुरू करते है।
The Journey of a Thousand Miles Begins with a Single Step
चाहे आपकी जर्नी कितनी भी लम्बी क्यों ना हो, शुरुवात हमेशा पहले स्टेप से होती है और किसी भी चीज को स्टार्ट करने से पहले आपको पहला स्टेप तो लेंना ही पड़ेगा. उसके बाद, हर अगला स्टेप आपको अपने गोल के और भी करीब ले जाता है. मान लो आप कुछ नया स्टार्ट करना चाहते हो, जैसे कोई नया बिजनेस या एक बुक लिखने की सोच रहे हो बा सेविंग अकाउंट खोलने की सोच रहे हो या बच्चे पैदा करने की सोच रहे हो, यानि कुछ भी. कोई भी काम हो शुरुवात में मुश्किल और नामुमकिन सा लगता है. आपको लगता है कि आप वो काम नहीं कर पाओगे या फेल हो जाओगे वगैरह-वगैरह. लेकिन जाप अगर सिर्फ बैठे-बैठे सोचते रहे, किया कुछ भी नहीं तो आपको हर चीज ही मुश्किल लगेगी.
लेकिन सक्सेस का सीक्रेट इससे कहीं ज्यादा सिंपल है. आप शुरुवात तो करो, पहला स्टेप तो लो. उसके बाद के स्टेप आप खुद ब खुद लेते चले जाओगे. फ्यूचर में क्या होगा, इसके बारे में ज्यादा मत सोची और ना पीछे मुड़कर देखो. बस आज पर फोकस रखो. जो आपके सामने है बस उस पर ध्यान दो. एक बार में एक स्टेप ली. अगर आप ये रास्ता फॉलो करते हो तो आप ये देखकर हैरान रह जाओगे कि धीरे-धीरे आपने कितनी प्रोग्रेस कर ली है.
जब रिचर्ड कार्लसन ने अपनी डॉक्टरेट पूरी की थी तो उनके एक फ्रेंड ने उन्हें कार्ल जंग के काम का एक पूरा सेट दिया था. इसमें टोटल 26 वॉल्यूम थे. उसके फ्रेंज ने फर्स्ट बॉल्यूम पर एक नौट लिखा था "एजुकेशन रातों-रात अचीव नहीं की जा सकती। में जीवन भर चलने वाला प्रोसेस है जिसे छोटे-छोटे इंटरवल में पूरा करना पड़ता है. अगर तुम अगले 7 साल तक रोज़ 8 पेज़ पड़ने का टारगेट लेकर चलोगे तब जाकर पूरा सेट फिनिश कर पाओगे और कार्ल जंग जैसे एक्सपर्ट बन पाओगे।"
तो इसलिए जो भी स्टार्ट करना है आज से स्टार्ट करो और आज पर फोकस रखो. रोज़ एक-एक स्टेप लेते हुए आगे बढ़ी. ये कल हर चीज पर अप्लाई किया जा सकता है. बेशक आपका गोल कुछ भी हो. इस चीज़ को हम यहाँ एक example से समड़ोंगे. जॉर्ज एक मिलियनेयर है. आज से 40 साल पहले उसने अपनी वाइफ के साथ अपना पहला सेविंग्स अकाउंट खोला था. दोनों ने उसमें $10 जमा किए थे, जॉर्ज का कहना था कि अगर उन्होंने तब अपनी फाईनेंशीयल जर्नी स्टार्ट नहीं की होती. ती आज शायद वो इस मुकाम पर नहीं होते जहाँ वो पहुँच पाए थे. उनकी वेल्थ की जर्नी तभी शुरू हो गई थी जब उन्होंने $10 सेव करने का डिसीजन लिया था.
कई लोग अपने फ्यूचर प्लाग्स का जिक्र करते है. वो कहते है कि वो आगे चलकर ये बुक लिखेंगे या सेविंग्स अकाउंट खोलेंगे या नया बिजनेस स्टार्ट करेंगे या फिर अपनी कोई बुरी आदत छोड़ने का प्लान बनाते है. लेकिन वे इन plans की तब तक टालते रहते हैं जब तक कि "सही समय नहीं आ जाता" लेकिन आपकी पे समड़ाना होगा कि वो परफेक्ट टाइम कभी नहीं आता जिसका आप इंतज़ार कर रहे हो. आज ही सबसे परफेक्ट टाइम है इसलिए जो स्टार्ट करना है आज से करी. आपके सामने कौन सी रुकावटें आएँगी, इस बारे में चिंता मत करो. आपका हर एक स्टेप आपको आगे बढ़ने का कॉन्फिडेंस देगा. चाहे आप छोटे स्टेप्स ही लो पर शुरुवात करो. प्रेजेंट टास्क पर फोकस करो और आगे बढ़ते रही क्योंकि एक ना एक दिन आप अपने गौल तक जरूर पहुंचोंगे.
Give, Give, Give
जब किसी को कुछ देते हो तो उसके लिए किसी ब्लेसिंग यानी आशीर्वाद से कम नहीं होता. लेकिन साथ ही आप खुद के लिए भी ब्लेसिंग्स attract करते हो. पैसा सर्कुलेट होता है और फ्लो करता है. प्जो लोग सेल्फिश होते है और हर चीज़ अपने तक सीमित रखते है, उनके पैसे का सर्कुलेशन भी रुक जाता है. ऐसा करके आप जैसे किसी पाइप को खुद ही बंद कर देते हो जिससे पैसा वापस आपके पास नहीं आ पाता है.
पैसे का फ़्लो दोबारा शुरू करने के लिए आपको देने की आदत डालनी होगी, इसलिए जो भी आपके पास है उसे दूसरों से शेयर कीजिए. जो भी इंसान आपको किसी तरह की सर्विस देता है. उसे उसके लिए खुले हाथ से पैसे दीजिए. वेटर या टैक्सी ड्राईवर को एक्स्ट्रा टिप दो. अगर हो सके तो किसी चैरिटी सर्विस के साथ जुड़ जाओ. लोगों को आगे बढ़ने में हेल्प करो. जिन्हें आपसे मदद की उम्मीद है उनके काम आओ, जैसे आप आज लोगों की हेल्प करोगे कल कोई आपकी भी हेल्प करेगा, चैरिटी और सोशल सर्विस हमें ब्लेसिंग्स पाने का मौका देते है. इसलिए जितना हो सके, लोगों के काम आओ. रोग यही चीज़ प्यार, खुशी, रिस्पेक्ट और सक्सेस पर भी अप्लाई होती है, जितना दोगे, बदले में उतना ही पाओगे, लेना और देना एक ही सिक्के के दो पहलू है. अगर आप अपनी लाइफ में ज्यादा प्यार और कोई भी चीज़ चाहते हो तो आपको वही चीज़ दूसरों को देनी होगी लभी वो आपको बदले में वापस मिलेगा. ज्यादा सोचो मत, जो होगा अच्छा होगा. यूनिवर्स पर भरोसा रखो, जो आप दोगे वही आपके पास लौटकर आएगा.
Learn the Magic of Non-Attachment
हम अक्सर नॉन-अटैचमेंट को apathy यानी भावनाओं की कमी समझने की भूल कर देते है, लेकिन दोनों में बहुत फर्क है. Apathy का मतलब है कि आपको बिल्कुल परवाह नहीं है. आपके लिए कुछ भी मायने नहीं रखता, जबकि नॉन-अटैचमेंट का मतलब है let go यानी जाने देना, जब आपको नॉन-अटैचमेंट का मतलब समझ आ जाएगा तो आप अपने गोल तक पहुँचने की बेस्ट कोशिश करोगे. आप हार्ड वर्क करोगे और फोकस रखोगे, यानि आप वो सब करोगे जो सक्सेसफुल होने के लिए जरूरी हैं, लेकिन अगर आप फेल हुए तो आप कहोगे "कोई बात नहीं. में दोबारा ट्राई करूंगा, तब ठीक हो जाएगा."
खुद से बढ़-चढ़कर उम्मीदें रखना और ये सोचना कि सब कुछ आपके मन-मुताबिक होगा, सिर्फ आपको मेंटल स्ट्रेस देगा और कुछ नहीं, आप बहुत निराश फील करेंगे. फेलियर और रिजेक्शन लाइफ का पार्ट है और ये चीज़ हमें एक्सेप्ट करनी ही होगी. जो हो रहा है उसे होने दो. आपका काम सिर्फ मेहनत और फोकस करना है बाकि सब समय पर छोड़ दी. नॉन-अटैचमेंट की फीलिंग आपको ईमोशनली हेल्दी रखेंगी. तो सिर्फ आप काम पर मेहनत करो और अगर कुछ गलत होता भी है तो उसके लिए मेंटली तैयार रहो.
अटैचमेंट सिर्फ एक हर पैदा करता है कि कहीं ये ना हो जाए, कहीं वो ना हो जाए. कहीं आप रिजेक्ट ना हो जाओ, कहीं आप फेल ना हो जाओ. यानि आपका माइंड एक डर जेनरेट कर लेता है कि कहीं आपके साथ कुछ गलत ना हो जाए, सब कुछ मेरे प्लान के मुताबिक चले ये सोच ही आपके अंदर प्रेशर और स्ट्रेस क्रिएट करती है. जबकि नॉन-अटैचमेंट का अप्रोच किसी मैजिक की तरह काम करता है. आप अपने काम को तब और ज्यादा एन्जॉय करोगे जब आपके माइंड में कोर्ड टेंशन नहीं होगी और जब आपका सारा फोकस सिर्फ अपने टास्क पर होगा.
आपके अंदर वो कॉन्फिडेंस है. रिजल्ट चाहे कुछ भी हो आपको पता है कि सब ठीक होगा, नॉन-अटैच्छ अप्रोच आपको ट्रैक पर रहने में हेल्प करेगा क्योंकि आपके दिल में कहीं ये कॉन्फिडेंस होगा कि अगर आप फेल भी हुए तो कोई बात नहीं आप फिर से कोशिश करोगे, आपके अंदर दोबारा ट्राई करने की हिम्मत होगी. आप उस एक्सपीरिएंस से कुछ सीखोगे. आप आगे बढ़ोगे क्योंकि आप उस चीज़ को एक्सेप्ट कर रहे हो कि आपकी कोशिश में कही कमी रह गई थी. ये फैक्ट जब आप एक्ोष्ट कर लोगे तो कभी आपको निराशा और अफसोस नहीं होगा. आप पूरे कॉन्फिडेंस और विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहोगे.
You Can Make Excuses, You Can Make Money, But You Can't Do Both
आपको शायद ये quote सुनने में थोड़ा rude लग सकता है लेकिन ये बड़ा इफेक्टिव तरीका है अपनी परेशानियों से छुटकारा पाने का. इसके अलावा ये आपके लिए सक्सेस और ब्लेसिंग्स पाने का एक हेल्पफुल जरिया भी बन सकता है. आप क्या चाहेंगे पैसे कमाना या बहाने बनाना? मर्जी आपकी है.
बहाना हमारे ही मन में बैठे डर का दूसरा रूप है. आप शायद ये कहेंगे कि "मैं अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर कैसे निकलें।", "मेरे पारा टाइम नहीं है", "मुझे डर है कि लोग क्या कहेंगे", "मुझे नहीं लगता कि ये मुझसे हो पाएगा", या "मुझे नहीं लगता कि में अभी इस चीज के लिए तैयार हूँ." ये बहाने ही तो है लेकिन अगर आप बहाने बनाने छोड़ दे तो आपका माइंड एकदम क्लियर हो जाएगा और आपको आगे बढ़ने का कॉन्फिडेंस भी मिलेगा. ऐसा नहीं है कि सक्सेसफुल लोगों की ये सब फेस नहीं करना पड़ता है. उनके सामने भी इसी तरह के चैलेंज आते हैं, बाकियों की तरह वो भी फ्रस्ट्रेट होते है. फर्क बरा इतना है कि उनका सिचुएशन को हैंडल करने का तरीका अलग है. सक्सेसफुल लोग अपने मन में बैठे डर और परेशानियों को अपनी सक्सेस के आड़े नहीं आने देते. जैसा कि सुज़न जेफर्स ने अपनी बुक में कहा है "डर सक्सेसफुल लोगों को भी लगता है लेकिन वो फिर भी कोशिश करते है."
जो लोग हमेशा बहाने बनाते है वो अपनी फुल पोटेंशियल कभी यूज़ ही नहीं कर पाते. जब इंसान को कोई बहाना मिल जाता है तो वो उसे जायज साबित करने की पूरी कोशिश करने लगता है. ये सब इतना जल्दी-जल्दी होता है कि उस इंसान को एहसास तक नहीं होता कि वो ये कर रहा है. यानि उसने कोशिश करने से पहले ही हार मान ली है.
अगर आप बहाने बनाने से बचना चाहते है तो पहले अपनी चिंकिंग को चेंज़ करों. हम सबने अपनी लाइफ के किसी ना किसी पॉइंट पर बहाने जरूर बनाए होंगे. हो सकता है कि आपने कहा हो, "ये काम में बाद में करूंगा", "में थका हूँ", ये कान मेरे बस का नहीं है", या "मुझे डर लगता है". लेकिन अब आपको ये डिसाइड करना है कि आपकी बहाना बनाना है या उन्हें अपनी लाइफ से दूर करना है. अपने टास्क और उन गोल्स पर फोकस रखो जिन्हें आप अचीव करना चाहते हो.
Become Less Reactive and More Responsive
हम अपने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में आमतौर पर दो तरह का नज़रिया लेकर चलते है: रिएक्टिव और responsive, जब हम रिएक्टिव मोड में होते है तो प्रेशर में आ जाते है और स्ट्रेस्ड फील करने लगते है. हम चीजों को तुरत जज करने लगते है. अपने ईमोश्न्स पर हमारा कण्ट्रोल नहीं रहता और हम चीजों को पर्सनली लेने लगते है. ऐसे में हमें चिडचिडाहट और फ्रस्ट्रेशन होने लगती है.
रिएक्टिव माइंड के साथ सही डिसीजन लेना बड़ा मुश्किल है. ऐसे में कई बार हम कुछ इस तरह के डिसीजन ले लेते है जिनके लिए हमें बाद में पछताना पड़ सकता है. ऐसे में इंसान कई बार और लोगों को भी अपसेट कर देता है और खुद को लेकर भी नेगेटिव सोचने लगता है. जब कोई अपोच्यूनिटी हमारी तरफ आती है तो हम इतने बिजी होते है कि उन्हें देख ही नहीं पाते और अगर देखते भी है तो उस चीज़ को लेकर हम इतने डाउटफुल ही जाते है कि उसे क्रिटिसाइज़ करने लगते हैं. इस तरह हम लाइफ के बेहतरीन मौके गंवा बैठते है.
जबकि responsive मौड में होने पर हमारा माइंड रिलैक्स्ड और क्लियर होता है. हमारे सामने क्लियर पिक्चर होगी कि हमें क्या करना है. फिर हम चीजों को पर्सनली लेना छोड देंगे क्योंकि हमारी सोच बड़ी हो जाएगी. शांत और सुकून भरे दिमाग के साथ इंसान हमेशा पॉजिटिव सोचता है और सही फैसले ले पाता है. हम नई अपोच्यूनिटीज के लिए तैयार रहते है और जो भी अचीव करते हैं abundance में करते है.
इन दोनों मोड को समझाने के बाद आप चेक कर सकते हो कि अभी आप कौन से मोड में हो और उसी हिसाब से अपनी फीलिंग्स और बिहेवियर प्रेडिक्ट कर सकते हो. आप observe करोगे कि जब आप रिएक्टिव मोड में होते हो तो इररेशनल और चिचिडा फील करते हो जबकि जब आप अपने responsive मोड में ज्यादा समझदार और ज्यादा शांत रहते हो. इस फ़र्क को जानना आपकी लाइफ को हमेशा के लिए बदल देगा, जब आपको लगेगा कि आप रिएक्टिव मोड में हो तो आप खुद को बोल सकते है "ah में फिर से वहीं गलती दोहरा रहा हूँ' और इस चीज़ का एहसास होते ही आप फौरन रिएक्टिव मोड से बाहर निकलकर खुद को और ज्यादा responsive स्टेट ऑफ माइंड में ले आओगे.
Responsive मोड ही आपको सक्सेस की तरफ लेकर जाता है क्योंकि इस मौड में आप एकदम क्लियर और रिलैक्स्ट माइंडसेट में होते हो. आप बगैर किसी ड्रामे के उन बीजों पर फोकस कर सकते हो जो आपकी प्रायोरिटी है, responsive स्टेट ऑफ माइंड आपको ज्यादा खुश रखता है और आपको और ज्यादा मौके पाने में भी हेल्प करता है. जितना ज्यादा टाइम आप responsive मोड में रहोगे, उतना ज्यादा आपके सक्सेसफुल होने के चांस बढ़ेंगे.
Work on Knowing, Instead of Believing
आपके बिलिफ्स यानि जिन चीजों पर आप यकीन करते हो, आमतौर पर दूसरों से इंस्पायर होते है. चाहे वो आपके पेरेंट्स हो, फ्रेंड्स, टीचर, बाँस वा आपके कलीग्स, यानि कोई भी हो सकता है जिसकी बातों से आप इन्फ्लुएस हो सकते है. कई बार हम उन चीजों पर भी विश्वास करने लगते है जो हमने खुद एक्सपीरिएंस नहीं की होती हैं. तो हम कह सकते है कि जिन्हें हम जानते है या जो हमारे करीबी लोग है वो हमारे बिलिफ सिस्टम को बदल सकते हैं या मजबूर कर सकते है. जजैसे मान लो आपके पेरेंट्स आपसे कहते है कि अगर आपको फ्यूचर में सक्सेसफुल होना है तो पहले कोई स्टेबल जॉब ढूंढो. आप उनकी बात पर यकीन करके कॉलेज में वही कोर्स लेते हो जिससे आपको अच्छी जॉब मिल जाए,
जबकि "जानना" आपके अंदर से खुद आती है. कोई भी इसे इन्फ्लुएंस नहीं कर सकता. आप खुद इसे समझते हो. जब आप किसी चीज़ के बारे में जानते हैं या आपको उसकी नॉलेज होती है तो आप उस चीज़ को लेकर sure हो जाते है. वहीं चीज़ आप शायद किसी और को एक्सप्लेन ना कर पाएँ पर आपके अंदर से एक आवाज़ जाती है जो आपको अपने सारे सवालों के जवाब देती है और उस डायरेक्शन की तरफ ले जाती है जहां जापको जाना है.
जैसे example के लिए, रिचर्ड कार्लसन हमेशा से जानते थे कि वो टीचर बनना वाहते है. उन्हें पता था कि अपनी राईटिंग और स्पीकिंग के जरिए अपनी नॉलेज शेयर करना ही उनकी लाइफ की calling या मकसद है. लेकिन उनके लिए इस चीज़ को एक्सप्लेन करना बड़ा मुश्किल था क्योंकि बचपन में उनमें बिल्कुल राईटिंग टैलेंट नहीं था और उन्हें पब्लिक स्पीकिंग से बड़ा डर लगता था. रिचर्ड हाई स्कूल में इंग्लिश सब्जेक्ट में बड़ी मुश्किल से पास हुए थे और जब उन्हें एक ग्रुप के सामने स्पीच देनी थी तो वो बेहोश होते-होते बचे थे, लेकिन इसके बावजूद रिचर्ड ने अपने अंदर की आवाज़ सुनी. उनके दिल से बार-बार यही आवाज़ आती थी कि वो टीचर बनने के लिए ही पैदा हुए है. बेशक इसमें उन्हें कई साल लगे पर आखिरकर वो ना सिर्फ एक टीचर बने बल्कि एक मोटिवेशन स्पीकर और एक बेस्ट सेलिंग ऑधर भी बने. रिचर्ड ने साबित कर दिया था कि विश्वास करने से कहीं ज्यादा पावरफुल है खुद जानना और समझना.
कई बार आप पूरे दिल से जानते हैं कि कुछ बात सच या सही है. वो आपके सपने, आपकी उम्मीद, आपका टैलेंट जिन्हें आप बढ़ाना चाहते हैं या स्किल्स जो आप शेयर करना चाहते हो. लेकिन कई बार हम अपने बिलिफ्स के चलते पीछे हट जाते हैं और जो हम जानते हैं उसे दबा देते हैं. हमारे बिलिफ्स हमारे लिए एक लिमिटेशन सेट कर देते है और हमें लगता है जैसे हम ये नहीं कर सकते, ये मेरे लिए नहीं है या में इसमें सक्सेसफुल नहीं हो पाऊंगा, वगैरह-वगैरह.
लेकिन गुड न्यूज़ ये है कि हम हमेशा चेंज हो सकते है. आप इस fact के साथ डिसिशन ले सकते हो और आगे बढ़ सकते हो कि आप जो जानते हैं वह उससे ज्यादा इम्पोटेन्ट है जो दूसरे लोग आपको विश्वास करने के लिए कहते हैं. आपकी सक्सेस आपके हाथ में है. आपकी लाइफ में क्या होना चाहिए, क्या नहीं इसका फैसला भी सिर्फ आप करोगे, लेकिन इसकी शुरुवात अपने अंदर की आवाज का जवाब देने से होती है. आपके लिए सबसे इम्पोर्टेट क्या है? आपको क्या खुरा करता है? आपका दिल क्या कहता है? आप क्या करना चाहते हो? ये कुछ ऐसे सवाल है जो आपको ग्रेटनेस की तरफ लेकर जाते है. कई लोग अपनी हॉबी को बिजनेस बना लेते है, करियर चेंज करते है या कोई साइड बिज़नस स्टार्ट कर लेते है या फिर अपने एटीट्यूड में चेंज लाकर ही अपनी करंट जॉब में खुश रहते है. कहने का मतलब है कि अपने नज़रिए में बदलाव लाकर हम अपने सपने को हकीकत में बदल सकते है. बाकि सब कुछ आप पर डिपेंड करता है. जब आप अपने अंदर की आवाज को फॉलो करोगे तो सक्सेस का रास्ता आपको एकदम क्लियर नज़र आएगा.
Yourself That Life Begins Now
हम में से कई लोगों का बिलीफ होता है कि जो हम कल थे वही आज भी है और यही बिलिफ हमें अपनी पुरानी आदतों से, पुरानी गलतियों से और लिमिटेशन से बांधे रखता है. हमें लगता है कि हिस्ट्री रिपीट होती है, इसलिए अगर हम पास्ट में फेल हुए थे तो फ्यूचर में भी सक्सेसफुल नहीं होंगे. लेकिन ये कितना illogical है, है ना? आपने कोशिश करने से पहले ही हार मान लिया, जबकि आपको आज और अभी से सक्सेस की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए था. जो हुआ उसे भूलकर हमे नई शुरुवात करनी चाहिए. यकीन गानो, आपके अंदर अपने गोल्स अचीव करने की अनलिमिटेड पोटेंशियल है. आपको उस पेट पोटेंशियल तक पहुँचने से एक ही चीज़ रोक रही है और वो है अपने पास्ट में अटके रहना. आप अपने पास्ट को भूलकर आगे ही नहीं बढ़ पा रहे हो. इसलिए सबसे पहले तो अपनी पुरानी आदतों, गलतियों और आपको लिमिट करने वाले बिलिफ्स से छुटकारा पाने की कोशिश करो. थे आपके गले में पड़ी भारी जंजीरों की तरह ही है जिन्हें उतार फेंकने में ही भलाई है. तो आज और अभी से अपनी लाइफ का एक नया चैप्टर स्टार्ट करो. ऐसे सोचो कि आप समुन्द्र के बीचो-बीच एक बोट में सवार हो और इस बोट को आप ईस्ट की तरफ लेकर जाना चाहते हो. आपकी बोट समुन्द्र के पानी को चीरती हुई आगे बढ़ रही है तभी पीछे से एक लहर उठती है. ये वही लहर है जिसे आप पीछे छोड़ आए हो. ये लहर उठती है और पानी में गिरकर शांत हो जाती है. लेकिन क्या ये लहर आपकी बोट को धकेल रही है? नहीं, क्योंकि इसमें कोई पावर नहीं है. जो चीज़ बोट को धकेल रही है वो है इसका इंजिन और आप उस इंजिन को कंट्रोल कर रहे हो.
ठीक इस बोट की तरह आपको अपनी प्रेजेंट एनर्जी की जरूरत है जो बहुत पावरफुल है और इसमें आपको आगे बढ़ाने का पोटेंशियल है. लेकिन कई लोग अपनी प्रेजेंट एनर्जी को यूज़ करना नहीं जानते और अपने पास्ट की ही बेस बनाकर आगे बढ़ने की कोशिश करते है. लेकिन आपका पास्ट आपके काम नहीं आएगा. इसके पास आपकों देने के लिए कुछ नहीं है. इसलिए आपके लिए बेस्ट यही है कि अपने पास्ट को भूलकर प्रेजेंट में जीने की आदत डालो. अपने सारे अफसोस और बुरी आदतों को पीछे छोड़ दो, अभी आपकी लाइफ प्रेजेंट मोमेंट की एक सीरीज है जो आप एक के बाद एक फील और एक्सपीरिएंस करोगे. इसलिए खुद को प्रेजेंट के हवाले कर दो और प्रेजेंट की एनर्जी के सहारे अपना फ्यूचर तलाश करो.
Experiment with the One-Hour Solution
ओपन-माइंडेड लोगों के लिए, जो कुछ अलग करने का सपना देखते है, इंटरनेट और सोशल मीडिया किसी ब्लेसिंग से कम नहीं है जिसने कई फाईनेंशियल अपोच्यूनिटीज का रास्ता खोला है. ऐसे कई ऑनलाइन बिजनेस है जिसने कई आम लोगों को मिलियनेयर बना दिया है. इनमें से कुछ बिजनेस तो बड़े इंट्रेस्टिंग और फ्लेक्सिबल टाइप के है जहां आपको हफ्ते में कुछ ही घंटे काम करने की जरूरत पड़ती है और कैश फ्लो स्टार्ट हो जाता है. लेकिन एक ही चीज आपको रोकती है और वो है आपका डर और आपकी चिंता, अब आप कहोगे कि आपके पास टाइम नहीं है और लोग क्या सोचेंगे लेकिन याद करो इस बुक का टाइटल क्या है 'डॉट वरी, मेक मनी' अगर आप अपने मन में बैठे सारे डर से छुटकारा पा लो तो कितने सारे बिजनेस है जो आप घर बैठे कर सकते हो. आप घर बैठे-बैठे एक ब्लॉगर बन सकते हो, अपना यूट्यूब चैनल शुरू कर सकते हो. ऐसे काम के लिए बस दिन में कुछ घंटे चाहिए होते है. आपको अपना करियर चेंज करने की पा जॉब छोड़ने की या कोई बड़ा फाईनेंशियल रिस्क लेने की जरूरत नहीं है. बस पहले थोड़ी रिसर्च करनी होगी. सब ओपन माइंड के साथ स्टार्ट करो. कुछ नया करने की कोशिश करो. अपने बिजनेस के लिए दिन भर में कोई एक घंटा रिजर्व रखो ताकि कोई आपको डिस्टर्ब ना कर सके. लेकिन ये भी ध्यान रहे कि आपको कसीटेंसी रखनी होगी. यानि शुरू किया है तो बीच में छोड़ना नहीं है. क्या होगा, क्या नहीं, ये मत सोचो. कोई क्या सोचेगा, ये भी मत सोचो.
आपको रोज एक घंटा तो डेडीकेट करना ही होगा. अगर आपकी कोई हॉबी है जिसके लिए आप दिन भर में एक घंटा देते हो तो यकीन मानो दो साल के अंदर-अंदर आप अपनी फाईनेंशीयल इंडीपेंडेस अचीव कर लोगे और ये इमपॉसिबल टास्क नहीं है. लेकिन उससे पहले फर्स्ट और सबसे इम्पोर्टेन्ट स्टेप ये होगा कि अपनी लाइफ से चिंता मिटा दो. यकीन मानो, आप वहां तक पहुँचने की पावर रखते हो जहाँ तक आपकी इमेजिनेशन आपको ले जा सकती है.
Spend Most of Your Time on The Critical Inch of Your Projector
सबसे बड़ी गलती जो लोग अपनी सक्सेस की जर्नी के दौरान करते है, वो है अपने बिजनेस के गलत पार्ट पर फोकस करना, लोग कई बार बेकार की चीज़ों पर बहुत ज्यादा एनर्जी और टाइम वेस्ट कर देते है. कई लोग फस्ट्रेटेड हो जाते है, शिकायत करते है कि उनके पास डील चेक करने या ऑफर देने का या डिसीजन मेकर से बात करने का टाइम नहीं है वगैरह-वगैरह. लेकिन वो किसी तरह टाइम निकाल कर अपनी ईमेल मॉर्गेनाईज कर लेंगे या अपने डेस्क क्लीन कर लेंगे, कुछ सोशल कॉल्स वगैरह करने का और वीकेंड प्लान करने का टाइम भी निकाल ही लेंगे.
आपको अपने बिजनेस के इम्पोर्टेन्ट पार्ट पर फोकस करना है जो कुछ भी हो सकता है जैसे कि कैश फ्लो जेनरेट करना या कोई रिपोर्ट फिनिश करना या कोई टेक्निकल प्रॉब्लम या फिर कोई स्पीच तैयार करना. आप खुद से पूछो "मेरे लिए अभी सबसे इम्पोर्टेट टास्क क्या है?" इसका जवाब आमतौर पर होता है नेक्स्ट कन्जिनिएंट या easy चीज. जब आप कोई बेकार का टास्क शुरु कर देते हो तो थी तो पूरा होता नहीं बल्कि आप किसी और दूसरे बेकार के टास्क में उलझ जाते हो.
एक दिन रिचर्ड कार्लसन एक फिटनेस जिम में गए. उन्होंने observe किया कि जिम में दो टाइप के लोग आते है. एक तो वो जो रूटीन से एक्सरसाईज़ करते है. यानि पहले एक मशीन पर वर्कआउट करेंगे फिर दूसरी पर जाएंगे यानि आधे घंटे के अंदर वो अपना सारा वर्कआउट करके और शावर लेकर जिम से निकल जाते है. ये लोग फिट और एक्टिव होते है. यानि घे एक टारगेट रखते है कि मुझे इतने घंटे वर्कआउट करना है और इतना वेट कम करना है और उस टारगेट को ये अचीव भी कर लेते हैं.
अब आते है दूसरे टाइप के लोग जो जिम में बेवजह इधर से उधर घुमते रहते है. पहले वो अपने जिम फ्रेंड्स से मिलेंगे, फिर चेंज करने में 15-20 मिनट लगाएंगे, फिर जिम में यहाँ से वहां घूमते हुए सारी मशीने और इक्विपमेंट्स चेक करेंगे या अपने मोबाइल पर सेल्फी लेंगे या स्टीम बाथ लेने चले जाएँगे, यानि ऐसे लोग जिम में वर्कआउट को छोड़कर बाकि सब कुछ करते है. रिचर्ड ने ऐसे ही एक आदमी को फोन पर अपनी वाइफ से बात करते सुना, वो बोल रहा था, "हनी, मुझे समझ नहीं आता कि में रोज़ जिम आ रहा हूँ पर वेट कम ही नहीं हो रहा", रिचर्ड उस आदमी को रोज़ देखते थे. वो कभी वर्कआउट नहीं करता था. ना तो उसने कभी barbell ट्राई की और ना ही कोई इक्विपमेंट उठाया. यानि वो जिम आ तो रहा था पर सबसे इम्पोटेन्ट पार्ट मिस कर रहा था जो है एक्सरसाइज़ करना।
आपको शायद एहसास तक नहीं होता पर हम में से कई लोग पैसे कमाने या बिजनेस करने में यही गलती दोहराते है. हम शायद रोज ही किसी ना किसी काम में उलझे रहते है पर हम कुछ ऐसा इम्पोर्टेन्ट नहीं कर रहे होते है जिसका इम्पैक्ट हमारी सक्सेस पर पड़े. सक्सेसफुल लोग दिन के सिर्फ कुछ घंटे काम करते है पर उनका काम बड़ा ही इफेक्टिव होता है. वो सबसे इम्पोर्टेट टास्क को प्रायोरीटी देते है और बाकी चीजें अपने आप होती चली जाती है. तो आज से बेकार की चीजों पर फोकस ना करके सिर्फ उन चीजों पर फोकस करो जो वाकई में मेटर करती है. आपको किस काम से ज्यादा इनकम हो रही है? इस टास्क को आप इफेक्टिवली कैसे पूरा करोगे? सोचो आपको इस टास्क से कितना पैसा और कितनी सेटिसफेक्शन मिल सकती है.
Be Willing to Change
एक पुरानी कहावत है अगर आप वो करते हो जो आज तक करते आए हो, तो आपकी वही मिलेगा जो आज तक मिलता आया है यानी अगर आप लाइफ में पॉजिटिव चीज़े चाहते है तो आपको चीज़ों को करने का तरीका बदलना होगा, आपको अचानक से ब्लेसिंगा मिलनी शुरू नहीं हो जाएगी. सबसे पहले, जिरा अप्रोच के साथ आप लाइफ के challenges फेस करने की कोशिश करते हो, वो अप्रोच आपको चेंज करनी होगी. कई लोग तो खुद को बदलना ही नहीं चाहते चाहे उनका कोई तरीका काम ना कर रहा हो. उन्हें बदलाव से डर लगता है और तब वो कुछ ऐसे बहाने बनाते हैः "में तो हमेशा से ऐसे ही करता आया हूँ", "में इसी टाइप का इंसान हूँ, या "मैं ये काफी टाइम से कर रहा हूँ तो अब क्या गलत है, लेकिन क्या आपको पता है कि ये सारे बहाने आपको बहुत बुरी पोजीशन में ले आते है. याद रखना, अगर आप वो करते है जो हमेशा से करते आए है, तो आपको वही मिलेगा, जो हमेशा से मिलत्ता आया है.
हो सकता है आप उन लोगों में से हो जो फेमिली और फ्रेंड्स की हेल्प लेने में हिचकिचाते है. शायद आप उस तरह के इंसान ना हो और आपको इस बात पर गर्व हो. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि सक्सेस तक पहुँचने के लिए हमें किसी ना किसी की हेल्प चाहिए होती है. लेकिन अगर आप ज़िद में आकर यही कहते रहेंगे कि "मैं ऐसा नहीं कर सकता, तो हो सकता है कि आप कोई बड़ा मौका गंवा दे. कुछ नया और मलग ट्राई करने से हो सकता है कि आपको सक्सेस मिल जाए. अपने ज़िद्दी स्वभाव के बारे में सोचिए, क्या आपको इससे कोई फायदा हुआ है? क्या आप उन आदतों को बदलना चाहोगे जो आपको सक्सेस और हेप्पीनेस अचीव करने से रोक रही है? हम अक्सर लोगों को कहते सुनते है "ओपन गाईडेड बनो", लेकिन हम में से बहुत कम लोग इस पर सच में अमल करते है. ज्यादातर लोग उसी पुराने इनइफेक्टिव पैटर्न में फंसकर रह जाते है. लेकिन अगर आप में चेंज होने की हिम्मत है तो आपको अलग और बेटर रिजल्ट जरूर मिलेंगे, आप ये देखकर हैरान रह जाओगे कि आप क्या कुछ अचीव नहीं कर सकते.
Spend Most of Your Time on The Critical Inch of Your Project
सबसे बड़ी गलती जो लोग अपनी सक्सेंस की जर्नी के दौरान करते है, वो है अपने बिजनेस के गलत पार्ट पर फोकस करना, लोग कई बार बेकार की चीजों पर बहुत ज्यादा एनर्जी और टाइम वेस्ट कर देते है. कई लोग फ्रस्ट्रेटेड हो जाते है, शिकायत करते है कि उनके पास डील चेक करने या ऑफर देने का या डिसीजन मेकर से बात करने का टाइम नहीं है वगैरह-वगैरह, लेकिन वो किसी तरह टाइम निकाल कर अपनी ईमेल ऑर्गेनाईज कर लेंगे या अपने डेस्क क्लीन कर लेंगे, कुछ सोशल कॉल्स वगैरह करने का और वीकेंड प्लान करने का टाइस भी निकाल ही लेंगे.
आपको अपने बिजनेस के इम्पोर्टेन्ट पार्ट पर फोकस करना है जो कुछ भी हो सकता है जैसे कि कैश फ्लो जेनरेट करना या कोई रिपोर्ट फिनिश करना या कोई टेक्निकल प्रॉब्लम या फिर कोई स्पीच तैयार करना, आप खुद से पूछो "मेरे लिए अभी सबसे इम्पोर्टेट टास्क क्या है? इसका जवाब आमतौर पर होता है नेक्स्ट कन्विनिएंट या easy चीज. जब आप कोई बेकार का टास्क शुरु कर देते हो तो वो तो पूरा होता नहीं बल्कि आप किसी और दूसरे बेकार के टास्क में उलझ जाते हो.
एक दिन रिचर्ड कार्लसन एक फिटनेस जिम में गए. उन्होंने observe किया कि जिम में दो टाइप के लोग आते है. एक तो वो जो रूटीन से एक्सरसाईज करते है यानि पहले एक मशीन पर वर्कआउट करेंगे फिर दूसरी पर जाएंगे यानि आधे घंटे के अंदर वो अपना सारा वर्कआउट करके और शावर लेकर जिम से निकल जाते है. ये लोग फिट और एक्टिव होते है. यानि चे एक टारगेट रखते है कि मुझे इतने घंटे वर्कआउट करना है और इतना वेट कम करना है और उस टारगेट को ये अचीव भी कर लेते है.
अब आते है दूसरे टाइप के लोग जो जिम में बेवजह इधर से उधर घुमते रहते है. पहले वो अपने जिम फ्रेंड्स से मिलेंगे, फिर चेंज करने में 15-20 मिनट लगाएंगे, फिर जिम में यहीं से वहां घूमते हुए सारी मशीने और इक्विपमेंट्स चेक करेंगे या अपने मोबाइल पर सेल्फी लेंगे या स्टीम बाथ लेने पले जाएंगे. यानि ऐसे लोग जिम में वर्कआउट को छोड़कर बाकि सब कुछ करते है. रिचर्ड ने ऐसे ही एक आदमी को फोन पर अपनी वाइफ से बात करते सुना. वो बोल रहा था, "हनी, मुझे समड़ा नहीं आता कि में रोज़ जिम आ रहा हूँ पर वेट कम ही नहीं हो रहा". रिचर्ड उस आदमी को रोज़ देखते थे. वो कभी वर्कआउट नहीं करता था. ना तो उसने कभी barbell ट्राई की और ना ही कोई इक्विपमेंट उठाया. यानि वो जिम अद्य तो रहा था पर सबसे इम्पोर्टेन्ट पार्ट मिस कर रहा था जो है एक्सरसाइज़ करना।
आपको शायद एहसास तक नहीं होता पर हम में से कई लोग पैसे कमाने या बिजनेस करने में यही गलती दोहराते है. हम शायद रोज़ ही किसी ना किसी काम में उलझे रहते है पर हम कुछ ऐसा इम्पोर्टेन्ट नहीं कर रहे होते है जिसका इम्पैक्ट हमारी सक्सेस पर पड़े. सक्सेसफुल लोग दिन के सिर्फ कुछ घंटे काम करते है पर उनका काम बड़ा ही इफेक्टिव होता है. वो सबसे इम्पोर्टेट टास्क को प्रायोरीटी देते है और बाकी चीज़े अपने आप होती चली जाती है. तो आज से बेकार की चीजों पर फोकस ना करके सिर्फ उन चीजों पर फोकस करो जो वाकई में मैटर करती है. आपको किस काम से ज्यादा इनकम हो रही है? इस टास्क को आप इफेक्टिवली कैसे पूरा करोगे? सोचो आपको इस टास्क से कितना पैसा और कितनी सेटिसफेक्शन मिल सकती है.
Maintain Wealth Consciousness
वेल्थ Consciousness का मतलब है आपको पैसे की कोई टेंशन नहीं है और इस बारे में अवेयर होना कि आपके पास काफ़ी पैसा है. इस माइंडसेट के साथ जीने वाले लोग जानते है कि पैसा कमाना उनके बाएं हाथ का खेल है. वो कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे उनकी इनकम डबल हो जाती है और वो और ज्यादा वेल्थ जेनरेट कर पाते है और उन्हें पैसे होने ना होने की टेंशन नहीं रहती, बेकार की चिंता और फिक्र हमें फ्री और हैप्पी लाइफ जीने से रोकते है, लेकिन हमें डर के इस चेन को तोड़ना होगा. एक बार अगर आपने अपने डर पर काबू पा लिया तो उसके बाद आपकी लाइफ में एक मीनिंग और abundance एक्सपीरिएंस होगा.
आप जिस पर भी फोकस करते हो वो बढ़ती चली जाती है. अगर आप दिन-रात चिंता करोगे तो ये आपकी क्रिएटिविटी को ब्लॉक कर देगा और आप जहाँ है वही के वहीं रह जाओगे, लेकिन वहीं अगर मापको पैसों के बारे में चिंता नहीं करते हैं तो पैसा मापकी तरफ खुद खिंचा चला आता है. आपकी देल्य Consciousness आपके लिए पैसे कमाने के मल्टीपल तरीके क्रिएट कर सकती है. आपके माइंड को पैसा कमाने के नए-नए एक्साईटिंग मौके मिलेंगे,
आमको वो कहावत तो याद होगी "डॉट पुट द कार्ट बिफोर द हॉर्स." अगर हम ये रुल यहाँ अप्लाई करे तो इसका मतलब है कि आपकी वेल्थ Consciousness सबसे पहले आनी चाहिए, आप थे नहीं बोल सकते कि जब मैं अमीर बन जाऊँगा तो मुझे पैसे की ज्यादा टेंशन नहीं होगी, लेकिन हम आपको बता दें, ये आईडिया एकदम गलत है. आप पैसे की फ़िक्र करना एकदम छोड़ दी. यूनिवर्स पर भरोसा करो और अपनी एबिलिटीज पर भी, अपने टास्क पर फोकस करते रहो जब तक कि आप उन्हें अचीव नहीं कर लेते. एक बार अगर आप अपनी वेल्थ Consciousness को strong बना लोगे तो सक्सेस आपकी मुठ्ठी में होगी.
Laugh At Your Mistakes
क्या आपने कभी नोटिस किया है कि जितना आप अपनी गलतियों पर शर्मिंदा होते हो उतना ही ज्यादा उन्हें दोहराते हो? और जितना आप अपनी प्रॉब्लम के बारे में सोचोगे, उतना ही ज्यादा आप उन्हें कोम्प्लिकेट कर दोगे? आपके थॉट्स आपके बिहेवियर में दिखाई देते है. इसलिए जब आपके माइड में गलतियां और problems होंगी तो आपका अटेंशन भी गलत डायरेक्शन की तरफ जाता है, आप बार-बार गलती रिपीट करते हो. आपकी मेंटल एनर्जी एक पावरफुल टूल है और ये सही और गलत दोनों तरह से यूज हो सकती है. अगर आपकी एनर्जी सिर्फ problems पर फोकस्ड रहेगी तो आपको वही दिखेगा और क्रिएट भी होगा.
अगर आपकी एनर्जी solution पर फोकस्ड होगी तो आप ज्यादा क्रिएटिव, प्रोडक्टिव और स्मार्ट बनेंगे. आपके माइंड में नए और बैटर आईडिया आएंगे और आपका एटीट्यूड किसी विनर से कम नहीं होगा, अगर आप अपनी गलतियों पर मुस्कुराना सीख जाओगे, तो आप खुद ब खुद रिलैक्स्ड रहना सीख जाओगे, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप सीरियस नहीं हो और आपको कोई फ़िक्र नहीं है बल्कि इसका ये मतलब है कि आप अपनी गलतियों से सीख रहे हो और आगे और प्रॉब्लम क्रिएट नहीं करोगे. आप समना जाओगे कि challenges फेस करते वक्त एक क्लियर माइंड और सेन्स ऑफ ह्यूमर होना कितना जरूरी है.
हर गलती आपको कुछ ना कुछ सिखाकर जाती है. दुनिया में हर प्रॉब्लम का solution है. जब आप चीजों को ज्यादा सीरियसली लेने लगते हो तब आपका विज़न एकदम ब्लॉक हो जाता है और आपको सिंपल solution भी नजर नहीं आते. तो अगली बार जब आपसे कोई गलती हो, ना तो आपको फ्रस्ट्रेट होना चाहिए और ना ही शिकायत करनी चाहिए बल्कि उन पर हंसना चाहिए और आपको solution मिल जाएगा, लाइफ में कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसके बारे में सोचकर परेशान और दुखी हुआ जाए.
Conclusion
इस समरी में आपने अपनी चिंता दूर करने और वेल्थ, हैप्पीनेस और सक्सेस को अपनी लाइफ में लाने के लिए 12 टिप्स जाने. सबसे पहले तो आपने जाना कि लाइफ में फर्स्ट स्टेप लेना कितना जरूरी है. इसलिए बिना किसी टेंशन के अपना पहला कदम उठाइए, आपका गोल चाहे जो भी हो, शुरुवात हमेशा फर्स्ट स्टेप से ही होगी. अपने प्रेजेंट पर फोकस करो और एक के बाद एक स्टेप लेते हुए आगे बढ़ो.
दूसरा, आपने सीखा कि देने की क्या पावर होती है. अगर आप ज्यादा पैसा, प्यार और हैप्पीनेस चाहते हो तो सेम चीजे आपको देनी भी होंगी, जो लोग आपके आस-पास है उनसे अपनी हैप्पीनेस शेयर करना सीखो और फिर देखो आपकी खुशियों में कैसे बढ़ोत्तरी होती है. यूनिवर्स का एक रुल है "जो हम देते है, लौटकर हमारे पास ही वापस आता है." इसलिए ज्यादा से ज्यादा देने की कोशिश करो.
तीसरा, आपने नॉन-अटैचमेंट के बारे में समझा, खूब मेहनत करो, अपनी पूरी कोशिश करो फिर जो होगा देखा जाएगा. अगर फेल हुए भी तो क्या हुआ. कम से कम आपने कोशिश तो की, अपनी गलतियों से सीखकर फिर से ट्राई करने में क्या जाता है.
चौथा, आपने जाना कि आपके रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट आपके बहाने ही है जो आपको पैसा कमाने से और सक्सेस अचीच करने से रोक रहे है. बहाने बनाना तो आसान है लेकिन जब तक आप हकीकत से दूर भागते रहोगे, सक्सेस आपके पास भी नहीं फटकेगी.
पाँचवा, आपने जाना कि हमें रिएक्टिव के बजाए responsive बनना चाहिए. जब आप बेवजह परेशान और चिडचिडे होते हो तो उसके पीछे रिएक्टिव मोड का हाथ है जिसे आपको स्वीकार करना है और फौरन उस मोड से बाहर आने की कोशिश करनी है. एक लम्बी गहरी सांस लो और अपने responsive मोड में आ जाओ. फिर देखो, आप कैसे एकदम शांत और रिलैक्स्ड फील करते हो.
छठा, आपने आप जो जानते हैं उस पर भरोसा करना सीखा, आपके अंदर की आवाज़ आपको हमेशा राईट डायरेक्शन में गाईड करेगी. आप क्या बनना चाहते हो इसका जवाब सिर्फ आपके मन की आवाज़ ही दे सकती है. आप में कुछ तो स्पेशल होगा जो आपको औरों से बैटर बनाता है. ऐसी कोई चीज नहीं है दुनिया में जो आपको अपने सपने अवीच करने से रोक सके.
सातवाँ, आापने सीखा कि एक फ्रेश स्टार्ट की शुरुवात आज और अभी से होती है. अगर आप कल आलसी थे तो आज बैटर हो सकते हो. खुद को इश्यूव करो और अपना बैटर वर्जन बनो.
आठयाँ, आपने 1 hour solution के बारे में जाना, अपने बिजनेस या जॉब के लिए रोज़ एक घंटा आपको डेडीकेट करना पड़ेगा, इस बीच कोई ऐसी चीज़ नहीं होनी चाहिए जो आपको डिस्टर्ब करे क्योंकि ये आपके लिए सबसे इम्पोटेंट टास्क है. अगर आप इसमें कंसिस्टेंट रहते है तो कुछ ही सालों में आप फाईनेशीयली इंडीपेंडेट भी हो जाएँगे.
नौवां, आपने सीखा कि लाइफ में ओपन माइंडेड होना कितना जरूरी है ताकि आप हर बदलाव के लिए तैयार रह सके और खुद को उसी हिसाब से ढाल सकें. अगर आप सैग चीजें करते रहोगे तो आपको रोम रिजल्ट ही मिलेगा. इसलिए अगर आप और ब्लेसिंग्स चाहते हो तो पहले अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलो.
दसवां, मापने क्रिटिकल इंच के बारे में समझा. इसका मतलब होता है कि जो काम आपको आगे बढाए, सिर्फ उसी पर फोकस करो. ईमेल या दूसरी चीजों पर अपना टाइम वेस्ट मत करो, सिर्फ उस काम पर आपका फोकस होना चाहिए जो इनकम जेनरेट करती है.
ग्यारवाँ, आपने वेल्थ consciousness के बारे में जाना. इसका मतलब होता है पैसे को लेकर कभी टेंशन नहीं लेना. अगर माइंड में कोई टेंशन नहीं होगा तो आप ज्यादा कमाने पर फोकस कर सकते हो. बस अपना काम करते रहों, पैसा खुद चलकर आपके पास आएगा,
लास्ट में आपने जाना कि हमें अपनी गलतियों की ज्यादा सीरियसली नहीं लेना चाहिए, प्रॉब्लम पर ज्यादा फोकस करने से प्रॉब्लम solve नहीं होगी. अपना माइंड हमेशा शांत रखो. जी खोलकर हंसों. एक क्लियर और हैप्पी माइंड ज्यादा बैटर solution दे सकता है.
अब जब आप इन टिप्स के बारे में जान गए हैं, तो आप क्या चूज करना चाहोगे? चिंता, परेशानी या एक हैप्पी और कूल माइंड? सिर्फ अपने काम पर फोकस करो और यूनिवर्स पर भरोसा रखो, आपकी सारी जरूरते खुद ब खुद पूरी हो जाएगी. प्रोडक्टिव बनों और इम्प्रूव करते रहो. जितना कम टाइम आप टेंशन में गुजारोगे, उतना ज्यादा टाइम आपको पैसा कमाने के लिए मिलेगा. तो आज से ही खूब पैसे कमाना शुरू करो और मजे करो।
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फाइनली अगर आप इस समरी के एन्ड तक पहुंच गए है तो Congratulation बहुत ही कम लोग होते है जो नॉलेज के ऊपर टाइम इन्वेस्ट करते है वार्ना आप कही और भी तो टाइम वेस्ट कर सकते थे.
Anyways, हमने ये मैसेज इसीलिए बनाया है ताकि हम Xpert Reader का Goal बता सके की क्यों हमने Xpert Reader स्टार्ट की है?
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