by Robert Greene
किताब के बारे में
अपनी इस बेहतरीन किताब में लेखक ने बड़े ही रोचक ढंग से ये बताया है के किसी भी कला में मास्टरी हासिल करने के लिए हमें एक प्रॉपर गाइडेंस और रेगुलर प्रैक्टिस की जरुरत पड़ती है। लेखक ने आगे बताया है के ये गाइडेंस हम पहले से मौजूद मास्टर्स से ले सकते हैं। इतिहास और आज के सफल मास्टरों के जीवन से प्रेरणा ले कर हम भी उनकी तरह सफलता की बुलंदियों को छु सकते है।
यह किसके लिए है?
- वो व्यक्ति जो किसी फ़ील्ड में नया है और उसमे अपनी अलग पहचान बनाना चाहता है।
- वो स्टूडेंट जिसने अभी अभी स्कूल ख़तम किया है और जीवन की नयी राह को ढूंड रहा है।
- वो व्यक्ति जो की अपने फील्ड में बार बार प्रयास करने पर भी मिली असफलता से निराश हो।
अंततः ये किताब हर उस इंसान के लिए बहुत ही प्रेरणादायी है जो की सफलता के शिखर पे पहुंचना चाहते हैं।
────────────────────
परिचय
आज की दुनिया में हर कोई जल्दबाज़ी में है और किसी भी मुश्किल काम को करने के लिए वह आसान और कम समय लगने वाले उपाय ढूंढ़ता रहता है। इसी दौड़ भाग में वह भूल जाता है की किसी भी चीज़ में मास्टर (यानि गुरु या एक्सपर्ट) बनने के लिए समय लगता है।
किसी भी चीज़ में एक्सपर्ट (expert) बनना सिर्फ किसी काम को पूरा करने की तरह नहीं है। यह एक जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमे आप हर रोज़ खुद को पहले से बेहतर करने का प्रयास करते है और देखते ही देखते आप उस चीज़ में बहुत अच्छे या एक्सपर्ट बन जाते हैं।
एक्सपर्ट बनने के लिए टैलेंट की जरुरत नहीं सिर्फ पहले से मौजूद मास्टरों के नक़्शे क़दमों पे चलने की ज़रूरत है।
ज्यादातर लोग मानते है लेओनार्दो डा विंची (Leonardo da Vinci) और मोजार्ट (Mozart) जैसे महान मास्टर्स पैदाइशी टैलेंटेड और जीनियस (genius) थे। जबकि असल में मास्टरी और पैदाइशी टैलेंट में कोई कनेक्शन नहीं है। आपको याद होगा के आपके स्कूल में कई होशियार विद्यार्थी थे, लेकिन फिर भी आज उन्होंने कुछ विशेष हासिल नहीं किया, जबकि कई आम बच्चे अपने जीवन में काफी ऊँची बुलंदियों को छु जाते है।
लेखक ने अपनी किताब में इस बात को एक रोचक उदाहरण के साथ समझाया है। लेखक कहते हैं कि चार्लस डार्विन (Charles Darwin) के भाई सर फ्रांसिस गालटन (Sir Francis Galton) अपने स्कूल के सबसे होशियार विद्यार्थी थे, उनका IQ देख कर टीचर्स भी हैरान होते थे, जबकि डार्विन खुद एक एवरेज से विद्यार्थी थे। लेकिन आज हम डार्विन को सदी का सबसे बड़ा साइंटिस्ट मानते है।
इस बात से ये साबित होता है कि मास्टरी इस बात पे निर्भर नहीं करती के आप एक होशियार विद्यार्थी हो या साधारण, बल्कि इस बात पे करती है के एक असाधारण और साधारण व्यक्ति ने इसे हासिल करने के लिए किस राह को चुना है। उसी राह की खोज इस किताब पे आकर रूकती है।
लेखक कहते है कि कामयाबी पाने का वो रास्ता उन्ही गलियों से गुजरता है जिस से दुनिया के महानतम मास्टर्स गुजरे थे। उन सबने अपनी पसंद की चीज़ चुनी, उस शेत्र में शिक्षा प्राप्त की, फिर खुले विचारों और पुरे मन से मास्टरी की राह पे चल पड़े। हालांकि मास्टरी की ये राह आसान नहीं थी उन्हें भी कई उतार चड़ाव का सामना करना पड़ा, पर वो सभी असफल्तायों को सफलता की सीढ़ी बनाकर चलते रहे और अंत में मास्टर्स ऑफ़ मास्टर बन गए। उनके जीवन की ऐसी ही कुछ बातों के बारे में जान कर हम भी उनके जैसे सफल हो सकते है।
तो इसलिए जरुरी नहीं कि भगवान ने आपको सभी सुविधाओं के साथ पैदा किया हो, या आपको एक होनहार IQ से भरे दिमाग की भेट दी हो, आप अपने दृढ़ता और इच्छा शक्ति से खुद को सफल बना सकते हो।
एक इंसान हर क्षेत्र में अच्छा नहीं हो सकता, लेकिन एक न एक क्षेत्र में मास्टर बनने की योग्यता जरूर रखता है।
आपने अपने पेरेंट्स के कहने पे डॉक्टरी, इंजीनियरिंग या लॉ कर तो लिया पर आपके मन में कोई और ही धुन बजती है? या कभी ऐसा हुआ हो कि किसी काम को करते हुए आपको लगा हो कि मै इसे ही करने के लिए बना हूँ?
तो आपको जरुरत है अपने अन्दर की उस आवाज़ को पहचानने की जो आपसे कह रही है, के हाँ यही वो रास्ता है जिसपे चल कर आप शिखर तक पहुँच सकते हो।
आज कल दूसरों के दबाव में अपनी अन्दर की आवाज़ को सुनना बहुत ही मुश्किल है। दुनिया को खुश करने के लिए अक्सर हम भी दुनिया की भीड़ में शामिल हो जाते है। लेकिन हम ये भूल जाते है कि हर इंसान अलग है। जिस तरह बर्फ के दो टुकड़े एक जैसे आकार के नहीं हो सकते उसी तरह हर इंसान अपने आप में अलग है। दुनिया के जैसे बनने के लिए अपने अन्दर की असाधारण खासियत को दबाने से पूरी जिंदगी हम बस एक आम इंसान बन कर रह जाते है, जबकि हमारे पास ख़ास बनने की क्षमता थी।
हमारी ही तरह इतिहास के सभी महानायकों की जिंदगी में भी एक ऐसा पल आया था जब उनके लिए ज़िन्दगी का मकसद बिलकुल साफ़ हुआ कि वो किस कार्य के लिए बने थे। बस फिर क्या था, वो कहते है ना कि जहाँ चाह वहाँ राह, उन्हें रास्ता मिलता गया और वो चलते गए।
लेखक ने लेओनार्दो डा विंची का उदाहरण देते हुए कहा के उनके लिए वो 'ख़ास क्षण' तब आया जब वो रोज़ अपने पापा के ऑफिस से कागज़ सिर्फ इसलिए चुराते थे ताकि वो उनपे जानवरों का स्केच बना सकें।
ठीक इसी तरह हम सबके जीवन में ऐसा ही एक ख़ास क्षण आता है, बस हमे जरुरत है उस क्षण को पहचान कर अपने अन्दर की आवाज़ को सुनने की। अपना कीमती समय और दिमाग दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चलने में न बर्बाद करते हुए, अपनी क्षमताओं के साथ दुनिया से एक कदम आगे जाने में लगायें।
आपका लक्ष्य अपनी फील्ड की सभी छोटी मोटी बारीकियों को सीखना होना चाहिए।
जब भी हम किसी नए काम को शुरू करते है तो हम चाहते हैं कि हमें ज्यादा से ज्यादा पैसे मिले या हम ऊँचे पद पे जाएँ। लेकिन पैसा या पोजीशन से बढ़ कर भी कई चीजें होती हैं, और वो है आपका अनुभव।
अगर आज आपने कम पैसों से काम कर ज्यादा सिखाने वाली नौकरी को चुना, तो कल यही अनुभव आपको अपनी फ़ील्ड का जाना माना मास्टर बना देगा और आप मनचाहे पैसे या पद पर जा सकते हो।
सभी सफल महानयों ने ऐसा ही किया, अब अमरीकी मुक्केबाज़ Freddie Roach को ही ले लीजिये। उन्होंने एक मुक्केबाज़ी सेंटर में बिना पैसों कि नौकरी को चुना, लेकिन इस नौकरी में उन्हें वो चीजें सीखने को मिली जिसने उन्हें एक महान बॉक्सर बना दिया।
इसी तरह डार्विन ने मेडिकल स्कूल और चर्च में मिली अच्छी खासी नौकरी को छोड़ के एच एम एस बीगल में बिना पैसों के नौकरी की, यहीं उन्हें पंछियों और पेड़ पौधों के बारे में करीब से जानने को मिला, जिस से प्रेरित होकर उन्होंने थ्योरी ऑफ़ एवोलूशन (Theory of evolution) लिखा। बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने भी अपने पिता का अच्छा खासा व्यवसाय छोड़ के प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी कर ली ताकी वो ये सीख सकें के शब्द कैसे लिखे जाते हैं।
इस बात से साबित होता है कि सभी ने अपने जीवन में पैसों से ज्यादा ज्ञान को महत्त्व दिया जिसके कारण वो सफल हुए। इसलिए जब भी आप पहली नौकरी के बारे में सोचें तो ये देखें की कहाँ आपको सीखने का माहौल ज्यादा मिलेगा।
कुछ भी सीखने के लिए एक मास्टर का होना बहुत जरुरी है जो की आपको सीखने का सही तरीका बताये।
किसी हुनर को सीखने का रास्ता बहुत उतार चढ़ाव से हो कर गुजरता है। जब हम खुद से कोई नया काम या नयी चीज़ सीखने की कोशिश करते है, तब भी हम कामयाब तो जरूर हो सकते है लेकिन उस कामयाबी को हासिल करने में हमारा बहुत समय बर्बाद हो जाता है। क्यूंकि खुद सीखने में हम कई ऐसी गलतियाँ कर बैठते है जो हमारा समय बर्बाद कर देती है।
जब हम किसी मास्टर के साथ जुड़ते है, तब हमारे सीखने का सफ़र आसान हो जाता है, क्यूंकि वो अपने जीवन में की गयी गलतियों और अनुभवों से हमे वो अनमोल सीख देते है जिसे खुद से प्राप्त करने में हमे बरसों लग सकते हैं।
शिष्य बनने के इस सफ़र से गुरु और शिष्य दोनों फायेदे में रहते हैं। जहाँ एक तरफ शिष्य को गुरु से सीख मिलती है, वहीं दूसरी तरफ गुरु, शिष्य के जरिये अपने सपने और कला को आगे बढ़ते हुए देखता है। लेकिन चाहे जो भी हो एक शिक्षक के बिना सफलता की राह दिशाहीन होती है।
लेकिन ऐसा जरुरी नहीं है के शिष्य अपने गुरु के ज्ञान की सीमा में बंधा रहे। शिष्य अपनी इच्छा शक्ति से गुरु से भी आगे निकल सकता है। जैसे कि अलेक्सेंडर (Alexander) ने अपने गुरु एरिस्टोटल (Aristotle) की शिक्षा में अपनी सूझ बूझ को मिला कर विश्वविजय हासिल कर ली थी। इसी तरह इतिहास में कई ऐसे गुरु शिष्य के उदाहरन मिलेंगे जिसमे की शिष्य ने गुरु के आशीर्वाद से सफलता की बुलंदियों को छु लिया है।
इसलिए, अपना लक्ष्य तय करने के बाद सबसे पहले एक ऐसा गुरु तलाश करें जो आपको अपने सारे गुण सिखा दे, पर साथ ही साथ ये भी याद रखें की आपकी असली कामयाबी अपने गुरु जैसा बनने में नहीं बल्कि उनसे आगे निकलने में है।
जीवन में नए प्रयोग करने की हिम्मत रखें।
जैसा की लेखक ने बताया के हमारा लक्ष्य अपने मास्टर से भी आगे निकलने का होना चाहिए लेकिन सवाल ये उठता है के वो कैसे होगा? लेखक कहते हैं कि अपने गुरु से सारे गुण सीखने के बाद आप अपने सोचने का दायरा बढ़ाएं ताकि वो हर असंभव को संभव करने का तरीका खोज निकाले।
अपने दिल और दिमाग को एक बच्चे जैसा सवालिया बना ले, वो बच्चा जिसके लिए कोई चीज़ नामुमकिन नहीं, जो हर बात में सवाल पूछता है। क्यूंकि जब हम बड़े हो जाते है, तो समाज और दुनियादारी के चक्कर में अपने अन्दर के बच्चे को भुला देते हैं, और बस अपने द्वारा बनाये हुए दायरे में सीमित हो जाते है।
इस बात का सबसे बड़ा उदहारण है पियानो वादक मोजार्ट। हुआ यूँ के एक दिन मोजार्ट के मन में आया कि वो रोज़ रोज़ एक ही लय में पियानो बजा कर बोर हो गए हैं और कुछ नया बजाना चाहते है। उन्होंने अपनी एक नयी धुन बनाई और बड़ी ही दिलेरी से अपने सबसे बड़े शो में उसे पेश किया। लोगों ने इस धुन को बहुत पसंद किया और आज भी वो पियानो की दुनिया के मास्टर माने जाते हैं।
इसलिए अपने अन्दर के सभी डर, किन्तु परंतु को भुला कर अपनी क्षमताओं को नयी उड़ान भरने दें।
अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए अपने सोचने का नजरिया बदले
कौन ये नहीं चाहेगा कि वो अपनी हर समस्या को खुद ही आसानी से दूर कर सके। आपको लगता होगा के ऐसा करना बहुत ही कठिन होगा पर ऐसा नहीं है। इंसानी दिमाग क्षमताओं का धनी है, बस जरुरत है उन क्षमताओं को पहचान के उन्हें निखारने की।
आप जितना अपने दिमाग को खुले विचारों के समुद्र में बहने देंगे उतना ही आपका दिमाग इनोवेटिव और नए तरीके से सोचने लगेगा। ऐसा बार बार करते रहने से दिमाग को ऐसा करने की आदत हो जाएगी।
इंसानी दिमाग पे हुए एक स्टडी के अनुसार अगर हम किसी काम को 10,000 से ज्यादा घंटों के लिए कर लेते है, तो हमारा दिमाग खुद ही उस काम के प्रति अधिक जागरूक हो जाता है, और उसके बारे में एक नया नजरिया बन जाता है। इसलिए ये सोच कर हार न मान लें के लोग पैदाइशी इनोवेटिव होते है, या उनके दिमाग का लेवल कुछ अलग होता है, बल्कि अपने दिमाग को भी हर सिचुएशन किसी और नज़रिये से सोचने के लिए प्रशिक्षित करें।
अपने काम में इतने माहिर बनें कि वो आपके दिमाग और शरीर का हिस्सा बन जाये।
जब आप किसी कार्य को करते हैं तो पहले आपका दिमाग उसके बारे में सोचता है और फिर शरीर को वो कार्य करने का आदेश देता है। लेकिन, जब हम किसी काम को बार बार करते है, तो वो हमारे दिमाग में फिट हो जाता है, और दिमाग को सोचने की जरुरत नहीं पड़ती, शरीर अपने आप काम करने लगता है। इससे आपका समय बचता है और आपका दिमाग आगे कुछ और सोचने के लिए खाली रहता है।
जैसे की चेस (Chess) मास्टर बॉबी फिस्चेर (Bobby Fischer) ने चेस की इतनी प्रेक्टिस की के उन्हें गेम के दौरान हर चाल के बारे में नहीं सोचता पड़ता था जिससे की उन्हें गेम में प्लानिंग करने का समय मिल जाता था।
लेखक कहते हैं के मास्टरी का सही मतलब ये है के आप जिस फील्ड के मास्टर हो उस काम को करने के लिए आपके माइंड और शरीर का एक ऐसा अनोखा ताल मेल बन जाए कि उस काम को करते रहने के लिए आपको सोचना ना पड़े, बस दिमाग ने कहा और शरीर ने कर दिया।
सारांश
मास्टरी का असल मतलब ये है आपके दिमाग और शरीर ने एक हो के उस कार्य को करना सीख लिया है और वो आपकी रोज़ मर्रा की आदत जैसे आपका हिस्सा बन गया है।
ये बुक हमे ये बताती है कि कैसे हम अपने अन्दर की आवाज़ को सुन कर अपनी पसंद का कार्य करना चाहिए, और उस कार्य से जुड़े अनुभव को सीखने के लिए कैसे अपना मास्टर ढूंढ सकते हैं।
इसके साथ ही साथ ये भी बताया गया है कि कैसे हम इतिहास और वर्तमान के मास्टर्स से प्रेरणा लेकर अपनी राह को और आसान बना सकते हैं।
────────────────────
फाइनली अगर आप इस समरी के एन्ड तक पहुंच गए है तो Congratulation बहुत ही कम लोग होते है जो नॉलेज के ऊपर टाइम इन्वेस्ट करते है वर्ना आप कही और भी तो टाइम वेस्ट कर सकते थे.
Anyways, हमने ये मैसेज इसीलिए बनाया है ताकि हम Xpert Reader का Goal बता सके की क्यों हमने Xpert Reader स्टार्ट की है?
Xpert Reader Pvt. Ltd., जहाँ आपको दुनिया भर की प्रसिद्ध किताबों की संक्षिप्त और प्रभावी सारांश मिलेंगी। हमारा उद्देश्य है कि हम आपको बेस्टसेलर किताबों का सार प्रदान करें, ताकि आप अपने समय का सही उपयोग कर सकें और ज्ञान की इस यात्रा में हमारे साथ आगे बढ़ें।
हमारी टीम यह सुनिश्चित करती है कि हर सारांश आपको केवल महत्वपूर्ण और मूल्यवान जानकारी दे, जो आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सहायक हो सकती है। Xpert Reader का लक्ष्य है दुनिया की किताबों का ज्ञान सभी तक पहुँचाना और उन लोगों के लिए एक आसान मार्ग प्रदान करना, जो अपनी ज़िंदगी में कुछ नया सीखना चाहते हैं।
Thanks for visiting!
Education
Free Summaries
Most Famous Books
Motivation
Newly Added
Personal Development
Productivity
Self Improvement