DO IT TODAY by Darius Foroux

DO IT TODAY

by Darius Foroux


About Book

Why Should You Read This Summary?

क्या आप आज की फ़ास्ट और बिज़ी मॉडर्न लाइफ की डिमान्ड को पूरा करने में जूझ रहे हैं? क्या आपको, चीज़ों को पूरा करने में मुश्किल होती है? क्या आप टालमटोल करते है? क्या आप खुद को इम्पूव करना चाहते हैं? इस बुक के ऑधर भी कभी ऐसी ही सिचुएशन में थे। इस समरी में, वो आपको बताएँगे कि वो कैसे इन मुश्किलों से बाहर निकले और ज़्यादा प्रोडक्टिव बन पाए। पे प्रैक्टिकल टिप्स, आपकी ज़िंदगी बदल देंगे।


आपको ये समरी क्यों पढ़नी चाहिए?

• स्टूडेंट्स

• आंत्रप्रेपूर्स

• एम्प्लोयीज


ऑथर के बारे में

रियस फुरू एक प्रोडक्टिविटी mentor, आंत्रप्रेपूर, पॉडकास्ट होस्ट और ब्लॉगर हैं। वो प्रोडक्टिविटी, बिज़नस और फाइनेंशियल फ्रीडम पर फोकस करते हैं। वो चिक स्ट्रेट', 'विन पॉर इनर battles' जैसी कई किताबों के ऑधर भी है।


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इंट्रोडक्शन

अपने गोल्स को पाने के लिए आप किस हद तक जा सकते हैं?


ये सवाल अक्सर ये चेक करने के लिए पूछा जाता है कि कि सक्सेस अचीव करने के लिए आप कितने तैयार हैं। लेकिन इससे बेहतर सवाल ये है कि आखिर आपको कुछ सैक्रिफाइस करने की जरुरत ही क्यों है? क्या आप अपनी फिज़िकल और मेंटल हेल्प का खयाल रखते हुए अपने गोल्स अचीव नहीं कर सकते?


बिल्कुल कर सकते हैं। यही आप इस समरी में जानेंगे।


आप सीखेंगे कि प्रोडक्टिव होने के साथ-साथ खुश कैसे रहा जाए। लाइफ को पूरी तरह से जीने के लिए आपको कोल्हू के बैल की तरह काम करने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय, आपको स्मार्ट और organised सिस्टम बनाने की जरुरत है।


आप ये भी सौखेंगे कि अपनी डेली इफेक्टिवनेस को बढ़ाने के लिए टालमटोल करने की आदत कैसे छोड़ें, अपने फोकस को इम्प्रूव कैसे करें और रोज के रूटीन कैसे बनाएं।


इस बुक की, 50,000 कॉपी बिक चुकी हैं। इसने कई रीडर्स की जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया है और आपकी भी बदल सकती है। अगर आप टाइम ब्लॉकिंग को अप्लाई करते हैं. कंसिस्टेंट रहते हैं और अपने बिलीपस को बदलते हैं, तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं।


Do It Today, Not Tomorrow

आप अपनी जिंदगी के खुद जिम्मेदार हैं। जब तक आप आज के सभी वाम कल पर टालते रहेंगे तब तक आप कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। आपको इस बात की परवाह होनी


चाहिए क्योंकि ये आपकी जिंदगी है। अगर आपको लगता है कि प्रोडक्टिविटी बुक्स, ट्रिक्स और apps आपको ज्यादा अचीव करने में मदद कर सकते हैं तो आप बिल्कुल गलत हैं।


एक्सटर्नल सिचुएशन को अपनी प्रोडक्टिविटी पर हावी ना होने दें। आप जानते हैं कि आपके पास करने वके लिए काम है, लेकिन उसे करने के बजाए आप उसे कल पर टालते रहते हैं।


अपने काम आज ही करने के लिए आपको कुछ स्टेप्स फॉलो करने होंगे


सबसे पहले, अपनी मेंटल ताकत को और मज़बूत बनाइए। अपने माइंड को कंट्रोल करने के बारे में पढ़ें और इसे डेली प्रैक्टिस करें। अपने थॉट्स के गुलाम मत बनिए।


दूसरा, रोज वर्कआउट कीजिए। एक्सरसाइज करना आपको शांत, फोकस्ड, एनर्जी से भरा हुआ और कॉफिडेंट बनाए रखता है।


तीसरा, डेली की अच्छी हैबिट्स बनाइए।


चौधा, अपने टू-डू लिस्ट को छोटा रखिए और उसमें छोटे-छोटे लेकिन काम के टास्क शामिल कीजिए।


आखिर में, persuation. यानी किसी को राजी करने की कला सीखिए। चाहे आप स्पीकर हों, राइटर हों या आंत्रप्रैसूर, आपको दूसरों को मोटीवेट करना होगा। हर फील्ड में persuation के स्किल की जरुरत होती है।


प्रोडक्टिविटी का मतलब है. अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को बेहतर बनाने के लिए अपना खुद का एक सिस्टम बनाना। ऐसी कोई बुक या app नहीं है, जो आपको बचा सकती है, सिर्फ आप खुद को बचा सकते हैं।


इसलिए, आज ही अपने सिस्टम पर काम कीजिए, कल नहीं।


How To Beat Procrastination (Backed By Science)

Procrastination, पानी टालमटोल करना या काम को कल पर टालना, बड़ी ही पुरानी प्रॉब्लम रही है, जो सबसे ज्यादा नुक्सान पहुंचाती है। सभी जानते हैं कि procrastination सक्सेस का दुश्मन है, लेकिन फिर भी हम इस बुरी आदत को छोड़ते नहीं हैं। चाहे आपक मानें या ना मानें, लेकिन हम सभी procrastinators हैं।


इस बुक के ऑधर डेरियस फुरू जब कॉलेज में थे तब उन्होंने पूरा सेमेस्टर आराम करने में निकाल दिया था। उन्होंने अपनी कॉलेज लाइफ में बहुत मज़े किए और खूब एन्जॉय किया। वो बिल्कुल बेफ़िक्र थे और उन्हें किसी बात की कोई चिंता नहीं थी। लेकिन जैसे ही एग्जाम्स पास आने लगे सब कुछ बदल गया। डेरियस स्ट्रेस में आ गए।


उन्होंने जी जान लगाकर पढ़ाई तो की, लेकिन खुद को इस बात के लिए ज़िम्मेदार मानते रहे कि उन्होंने पहले से ही पढ़ाई क्यों नहीं की। उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया और बहुत सारी red बुल पी। कई दिनों तक वो ऐसे ही हैरान-परेशान से रहे।


स्टडीज़ ये प्रूव करती है कि procrastinators, अपने आलसपन का खामियाजा हमेशा भुगदते हैं। द अमेरिकन साइकोलॉजिकल सोसाइटी जर्नल ने ये प्रूव किया है कि procrastination से डिप्रेशन, irrationality, लो सेल्फ-एस्टीम, एंग्जायटी और स्ट्रेस होता है।


कॉलेज के बाद भी डेरियस procrastination की वजह से होने वाले असर के कारण अपने काम में हमेशा परेशान रहते थे। जब भी उन्हें कोई नया बिज़नस आईडिया आता तो वो उस पर काम करना तो शुरू कर देते थे लेकिन उसे कभी पूरा नहीं करते थे। उनके distractions ने उन्हें कुछ नहीं करने दिया और इस वजह से वो कुछ हासिल नहीं कर पा रहे थे।


हम चीज़ों को इसलिए टालते हैं क्योंकि हम अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने से डरते हैं। ऐसा करने के लिए हमारे अंदर हिम्मत की कमी होती है।


हम चीज़ों को शायद इसलिए भी टालते हैं क्योंकि हम अपनी पावर को ओवरएस्टीमेट करते हैं। जैसे, आप शायद ये मानते होंगे कि आप एक बुक को तीन हाम्तों में लिख सकते हैं। लेकिन जब आप लिखना शुरू करते हैं तब आपको एहसास होता है कि ऐसा करना नामुमकिन है।


जब आप कोई ज़रूरी काम करना शुरू करते हैं तब आप उस पर रोज़ तब तक काम करते रहते हैं जब तक आपके सामने एक ऐसा distraction नहीं आ जाता है जिसे जाप संभाल नहीं पाते हैं। ये distraction ही procastination के अंतहीन सिलसिले की शुरुआत होता है.


लोगों को रूटीन पसंद नहीं होता है क्योंकि ये उन्हें एक पहलसे से बने हुए सिस्टम से बाँध देता है। अगर आप प्रोडक्टिविटी से ज्यादा अपनी फ्रीडम से प्यार करते हैं, तो आप कभी सक्सेसफुल नहीं होंगे। आपको डेडलाइन्स, एकाउंटेबिलिटी सिस्टम, टाइम-ब्लॉकिंग, एक्सरसाइज, हेल्दी फूड और एक ऐसा एनवायरनमेंट चाहिए जिसमें कोई distraction ना हो।


Procrastination को हराने का सबसे असरदार तरीका है, इंटरनल मोटिवेशन यानी आपके अंदर से जाने वाली मोटिवेशन। अगर आप ये नहीं जानते हैं कि आप जो कर रहे हैं वो क्यों कर रहे हैं, तो आप distractions और आलस को कभी खुद से दूर नहीं कर पाएंगे।


जब भी आपको चीजों को टालने का मन करे तो रुकिए और एक ब्रेक लीजिए। उस बात को कुछ देर के लिए भूलकर अपने मक्सद को याद कीजिए। सिर्फ तभी, आप चीज़ों को पूरा करने के अपने इफेक्टिव सिस्टम को फॉलो कर पाएँगे।


The Habits Of Unproductive People You Don't Want To Copy

सोशल मीडिया ने हमें दिखाया है कि एक परफेक्ट लाइफ कैसी होनी चाहिए। कई इन्फ्लुएंसर्स खुश अमीर और हेल्दी है। वो बहुत प्रोडक्टिव भी हैं। वो हमें अपनी परफेक्ट लाइफ दिखाकर हमें खुद के बारे में बुरा महसूस कराते हैं।


क्या कोई इंसान रीज 24 घंटे प्रोडक्टिव रह सकता है? नहीं। अपने सपनों को पाने के लिए आप हमेशा खुश और मोटीवेटेड नहीं रह सकते। कभी-कभार आप कोई मूवी देखना चाहेंगे, खेलना चाहेंगे और ब्रेक भी लेना चाहेंगे।


रूल्स के बिना शायद आप कुछ अनप्रोडक्टिव हैबिट्स डेवलप कर सकते हैं। डेरियस ने ऐसी कई हैबिट्स के बारे में बताया है जिनसे आपको बचना चाहिए। अगर इनमें से आपकी 5 हैबिट्स मैच करती हैं तो आप मुश्किल में हैं और आपको अभी कुछ करना होगा-


सबसे पहले, जरुरत से ज्यादा काम मत कीजिए। डेरियस सोचते थे, कि वो दिन में 12 से 13 घंटे लगातार काम कर सकते हैं। वो सिर्फ खाना खाने और एक्सरसाइज करने के लिए ही ब्रेक लेते थे। इतने टाइट स्टीन का नतीजा ये हुआ कि वो थके-धके से रहने लगे। ऐसे रूटीन को फॉलो करने से उनमें अगले दिन काम करने के लिए एनर्जी ही नहीं होती थी।


हम मेहनत इसलिए करते हैं क्योंकि हम अपने गोल्स को जल्दी पाना चाहते हैं। लेकिन, हमें इसे आराम से करना चाहिए। फुल स्पीड में जाकर और बीच रास्ते में कैश होने से बचने के लिए हमें अचीवेबल और कंसिस्टेंट प्रोग्रेस पाने पर फोकस करना चाहिए।


दूसरा, हद से ज्यादा चिंता मत कीजिए। अगर आप गरीबी, जॉब से निकाले जाने, अपने पार्टनर को खोने या फिर बीमार होने को लेकर चिंता करते हैं. तो आप सेल्फिश हैं। आप सिर्फ आज के लिए नहीं जी रहे हैं।


याद रखिए कि अगर आप मरने भी वाले हैं तो ये अभी तो नहीं होने वाला। इसलिए, जब तक आपकी साँसे चल रही हैं. आपको कुछ मीनिंगफूल करना चाहिए।


तीसरा, जिद्दी या अड़ियल मत बनिए। अगर आपकी ज़िद सही कारण के लिए, जैसे आपकी ज़िद है कि भले ही कोई आपकी कितनी भी बुराई करे लेकिन इस बात का खुद पर नेगेटिव असर नहीं होने देंगे, तो फिर ये जिद ठीक है। लेकिन, अगर आपको ऐसा लगता है कि आपसे बेहतर और कोई नहीं है. तो आपको अपनी ये जिद छोड़नी होगी।


ऐसी ज़िद, जिसमें नेगेटिविटी झलकती है. आपके प्रोग्रेस को ब्लॉक कर देगी और आपके सोशल रिलेशनशिप्स को नुक्सान पहुंचाएगी।


चौधा, बीज़ों को हर वक्त चेक करना छोड़ दीजिए। हर वक़्त अपने इमेल, instagram, फेसबुक, ट्विटर पा follower काउंट को चेक करना बंद कीजिए। इन सभी चीज़ों को चेक करने से आपके रिज़ल्ट बेहतर नहीं हो जाएँगे। ऐसा करके आप सिर्फ अपना वक्त जाया करते हैं।


इस आदत से निकलना मुश्किल है, इसलिए अपने इमेल्स तभी चेक्त कीजिए जब आपके पास उनका जवाब देने का वक्त हो।


पांचवा, अपने प्रॉब्लम से घबराकर भागिए मत। जब आप चैलेंजेज़ का सामना करते हैं तभी हो कर पाते हैं। इनसे भागने से कुछ बदलने वाला नहीं है। ऐसा करके आप सिर्फ "होनी" को टालते रहते हैं। अपने प्रॉब्लम से डील कीजिए और आप देखेंगे कि वो सॉल्व किए जा सकते हैं।


सातवाँ, हर चीज़ के लिए हॉ मत कहिए। कुछ लोग, अपने दोस्तों को खोने से डरते हैं और इस वजह से उन्हें ऐसी सिचुएशन का सामना करना पड़ता है जिसमें वो uncomfortable फील करते हैं। लेकिन, अगर आपका schedule दूसरे कामों से भरे हुए हैं. तो आप अपनी नहीं किसी और की जिंदगी जी रहे हैं।


उन चीज़ों को ना करना सीखिए, जो ज़रूरी नहीं हैं और आप देखेंगे कि आपको उन चीज़ों पर फोकस करने के लिए ज़्यादा वक़्त मिलने लगा है जो सच में आपके लिए मायने रखती हैं।


आठवां, चीज़ों को लिखना मत भूलिएः नोटबुक्क था जर्नल लिखने से, आपके ब्रेन को खाली होने में मदद मिलती है। एक रिलैक्स्ड ब्रेन ज्यादा प्रोडक्टिव होता है। अपने चॉट्स में उलड़ी रहने से बेहतर है कि आप अपने प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए राइटिंग का इस्तेमाल करें। इसके बाद, आप अपने फ्यूचर प्लांस पर बेहतर तरीके से काम कर पाएँगे।


नौवां, खुद पर ज्यादा प्रेशर मत डालिए। अगर आप, हर सुबह अपने बिस्तर से उठ पाते हैं, तो आप एक विनर हैं।


दसवां, कभी सीखना बंद मत कीजिए। ज्यादातर लोग मानते हैं कि स्कूल के बाद सीखने का प्रोसेस बंद हो जाता है। लाइफ को पूरी तरह से जीने के लिए नए स्किल्स सीखना कभी बंद मत कीजिए। बुक्स पढ़िए, नए कोर्सेस ज्वाइन कीजिए या एजुकेशनल videos देखिए। यी करने की कोई लिमिट नहीं है।


आखिर में, रूल्स से नफरत मत कीजिए। अगर आप प्रोडक्टिव बनना बाहते हैं तो आपको रूल्स और सिस्टम्स की जरूरत है। इफेक्टिवनेस और डिसिप्लिन के खिलाफ मत जाइए और हाँ बड़े हो जाइए, बच्चों की तरह नखरे करना बंद कीजिए। आप तभी फ्री हो सकते हैं. जब आप अपनी मनवाही ज़िंदगी पाने के लिए रूल्स को फॉलो करेंगे।


हो सकता है कि आपको सोसाइटी के रूल्स पसंद ना हों, लेकिन आप अपने रूल्स भी बना सकते हैं। अपना खुद का सिस्टम बनाइए और अपनी जिंदगी बदलिए।


This 30-Minute Evening Ritual Will Help You To Kick Life In The Ass

जब आप घर से काम करते हैं, तो आपका वक़्त ऐसे ही निकल जाता है। आप देर रात तक काम करते हैं या फिर पूरी रात भी। कुछ लोग, ऐसे ही workaholic रूटीन में फंस जाते हैं। वो अपने हेल्थ, फैमिली और पर्सनल ज़रूरतों को भी नज़रअंदाज़ करने लगते हैं।


कभी-कभी, हम पूरा दिन सिर्फ टीवी देखते रहते हैं। देर तक काम करने के बजाए, हम टीवी का चैनल बदलते रहते हैं और एक के बाद एक शो देखते रहते हैं। इसके बाद, जब सोने का वक़्त आता है तो हमें नींद नहीं आती।


ब्रेन में आईडियाज भरे होते हैं। ये जागा रहता है और आराम नहीं कर सकता। दा नेशनल स्लीप फाउंडेशन ने ये रिपोर्ट किया है कि 45% अमेरिकंस को नींद ना आने की प्रॉब्लम है, जो उनकी डेली प्रोडक्टिविटी पर असर डालती है।


तो, एक प्रोडक्टिव दिन के लिए जापको एक इफेक्टिव नाईट रूटीन बनाना होगा। इफेक्टिवनेस बढ़ाने के लिए ज़्यादातर लोग मॉर्निंग रूटीन फॉलो करने पर ध्यान देते हैं, लेकिन अगर आप नींद की कमी की वजह से पहले से ही थके हुए उठेंगे तो आपका मॉर्निंग रूटीन आपके दिन को कैसे बचा पाएगा?


आमतौर पर, मॉर्निंग रूटीन कुछ दिनों के लिए ही काम करते हैं। इसके बाद, हम उन्हीं अनप्रोडक्टिव हैबिट्स की तरफ वापस चले जाते हैं। लेकिन ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमने असली प्रॉब्लम को ठीक ही नहीं कियाः जो है हमारी नींद।


हर रात 7 से 9 घंटे की नींद लेना हेल्दी होता है। लेकिन, आज ज़िंदगी बहुत बिज़ी और अनप्रेडिक्टेबल हो गई है। ये हो सकता है कि हम रात के सोने के घंटों को भले ही कंट्रोल ना कर पाए, लेकिन सोने से पहले वाले 30 मिनट हमारे हाथ में है।


डेरियस के हिसाब से इवनिंग पानी शाम का रूटीन ऐसा होना चाहिए-


सबसे पहले, पहले 10 मिनट जर्नल लिखिए। ज़रूरी इवेंट्स को लिखिए और अपने डेली प्रोग्रेस पर ध्यान दीजिए। इस बात को चेक कीजिए कि क्या आपने सारे जरूरी काम कर लिए हैं। इस बात से पता चलता है कि आपका दिन आखिरकार पूरा हो गया है और अब आप रिलैक्स कर सकते हैं।


दूसरा, अब कल की प्लानिंग के लिए 10 मिनट और लीजिए। ज़रूरी मीटिंग्स, डेडलाइंस और problems को देखने के लिए अपने कैलेंडर को चेक कीजिए। कल की प्रॉब्लम को पहचानकर, आप अपने ब्रेन को रिलैक्स करने में मदद करते हैं। अपने अधूरे काम को लेकर अब आपको चिंता नहीं होती है क्योंकि आप उसे अगले दिन पूरा कर सकते हैं।


तीसरा, कल के लिए अपने कपड़े सिलेक्ट करने के लिए, 5 मिनट दीजिए। ये स्टेप आपको बचकाना लग सकता है, लेकिन ये आपकी कल की मेटल एनर्जी को बचाने में मदद करेगा।


हर फैसले में, आपको अपने ब्रेन का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने की जरुरत होती है। हर सुबह आधा घंटा सिर्फ इस बात में माचा खपाना कि क्या पहनना है, इसका कोई तुक नहीं बनता है. इससे बेहतर यही है कि आप ये काम सोने से पहले कर लें।


आखिरी के पांच मिनट, सिर्फ visualize करने में लगाइए। ज़्यादा से ज्यादा डिटेल्स लेकर, ये इमेजिन कीजिए कि आपका अगला दिन कैसा होगा।


अगर आप ये इवनिंग रूटीन फॉलो करेंगे तो आप देखेंगे कि आप स्नूज बटन फिर कभी नहीं दबाएँगे। आप अपने दिन की शुरुआत भरपूर एनर्जी और excitement के साथ कर पाएँगे।


Smartphones Harm Your Productivity More Than You Think

क्या आप अपने फोन के बिना रह सकते हैं? पे आपकी जिंदगी में कितना इम्पोर्टेन्ट है?


नॉटिधम ट्रेट यूनिवर्सिटी के कुछ रिसर्चर्स ने एक एक्सपेरिमेंट किया। उन्होंने पाया कि 37% participants अपने फ़ोन को अपने करीबी दोस्त या उससे भी ज्यादा इन्पोर्टेन्ट मानते है।


रिसर्चर्स ने ये भी बताया कि 29% से पृथाया participants अपने फोन को अपने पेरेंट्स के बराबर था उनसे भी ज्यादा इम्पोर्टेन्ट मानते हैं। क्या ये normal है?


फोन से भी बहुत नुक्सान होता है। इससे एंग्जायटी, डिप्रेशन और स्ट्रेस होता है। इसका सबसे बड़ा नुक्सान ये है कि ये हमारे अटेंशन को खराब करता है। कुछ दिनों के लिए अपने फ़ोन को खुद से दूर कर दीजिए और आप देखेंगे कि आपके बिहेवियर में बदलाव आने लगा है।


जब फोन पर आने वाले notification आपको लगातार distract करते रहते हैं. तो आप किसी काम पर ध्यान नहीं लगा सकते। ये notifications उतने भी इम्पोर्टेन्ट नहीं है। ये आपको उन चीज़ों से भटकाते हैं, जो आपकी जिंदगी में सबसे जरूरी है।


इन रिसर्चर्स ने उसी ग्रुप पर एक और एक्सपेरिमेंट किया। Participants ने अपने फोन को, अपने पॉकेट में, टेबल पर, drawer में और रूम से बाहर रखकर, अपने कसंट्रेशन को चेक किया।


इसके रिज़ल्ट से ये पता चला कि फोन जितना ज्यादा दूर था, participants का कंसंट्रेशन उतना ही बेहतर था। जब फ़ोन रूम से बाहर रखा गया था तो participants का अटेंशन 25% बेहतर हो गया था।


बदकिस्मती से, ज्यादातर लोग अपने फोन के गुलाम बन चुके हैं। आपको इस डिवाइस वो अपने इस्तेमाल को, कंट्रोल करना होगा नहीं तो ये आपको कंट्रोल करने लगेगा।


मीडिया आपसे कहती है कि अपना फ़ोन ज़्यादा से ज़्यादा करें। लेकिन क्यों? वो इसलिए क्योंकि आप जितना वक्त अपने फोन पर बिताएँगे, वी ad से और ज़्यादा पैसा कमाएंगे।


सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स भी ज़ोर देकर कहते हैं कि वो अपना पूरा बिज़नस अपने फोन से ही करते हैं। लेकिन ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि वो चाहते हैं कि आप अपना फोन इस्तेमाल और ज्यादा करें और उनके कंटेंट को और ज्यादा देखें।


आप अपने स्क्रीन पर जिस भी इंसान या चीज को देखते हैं, वो आपको एक तरह से धोखा ही दे रहा है क्योंकि वो आपको अपने फोन से चिपके रहने के लिए उकसा रहा है। ये आदत आपकी प्रोडक्टिविटी को नुक्सान पहुंचा रही है। अगर आप अपने फ्रोन से दूर रहते हैं तो आपका अटेंशन अपने आप 26% बढ़ जाएगा। क्या आप और ज़्यादा फोकस्ड नहीं होना चाहते?


डेरियस को भी सोशल मीडिया पर रहने की लत लगी गई थी। पिछले दो सालों में, उन्होंने बहुत कुछ अचीव किया है क्योंकि वो अपने फोन के इस्तेमाल पर ध्यान देने लगे और उन्होंने इस पर कंट्रोल करने का फैसला किया।


ऐसा करने के लिए सबसे पहले डेरियस ने अपने सभी notifications को बंद किया और सिर्फ अपने मैसेज और कॉल्स को ऑन रखा।


दूसरा, उन्होंने अपने सारे whatsapp ग्रुप्स को छोड़ दिया और अपने दोस्तों के लिए सिर्फ एक ग्रुप रखा।


तीसरा, उन्होंने अपने फोन से न्यूज app हटा दिया।


चौधा, देरियस म्यूजिक सुनते हैं. कुछ सीखने के लिए youtube देखते हैं और आर्टिकल्स और न्यूज़पेपर पढ़ते हैं।


इस प्लान ने डेरियस के फ़ोन के यूज़ को लिमिटेड कर दिया। पिछले दो सालों से पहले, वो कभी इतने प्रोडक्टिव नहीं थे जितना अब हो पाए थे।


आपको भी ऐसा ही करना चाहिए। अपने फोन को कंट्रोल कीजिए, उसके गुलाम मत बनिए।


How Perfectionism is Destroying Your Productivity

दो तरह के लोग होते हैं. प्राउड परफेक्शनिस्ट और ऐसे लोग, जो कहते हैं कि हम परफेक्शनिस्ट नहीं हैं। दूसरे तरह के लोग, सबसे खराब होते हैं। जब आप खुद ये बात नहीं मानते कि आप एक परफेक्शनिस्ट हैं, तो आप किसी प्रॉब्लम से डील नहीं कर पाएंगे।


अगर आप तब तक काम नहीं करते जब तक कंडीशन परफेक्ट ना हो जाए, तो आप एक परफेक्शनिस्ट हैं। अगर आप इस बात पर विश्वास करते हैं कि आपको कभी गलती नहीं करनी चाहिए, तो आप एक परफेक्शनिस्ट हैं। और अगर आप चीज़ों को करने के लिए हमेशा सही वक्त का इंतजार करते हैं, तो परफेक्शनिज्म, आपकी प्रोडक्टिविटी को खराब कर रहा है।


परफेक्शनिज्म से डिप्रेशन तो होता ही है. लेकिन साथ ही इससे आपका सेल्फ-esteem भी कम होता है। परफेक्शनिस्ट होने से, आप अपने गोल्स को हासिल तो कर सकते हैं, लेकिन इतना भी जल्दी नहीं जितना आपको लगता है।


क्योंकि आप सही वक़्त, हालात और मौके का हमेशा इंतज़ार करते रहेंगे। आप तब तक कुछ नहीं करेंगे जब तक बहुत देर न हो जाए. या हो सकता है कि आप कोई एक्शन ही ना हैं। आप शायद जिंदगी के परफेक्ट होने का इंतजार करेंगे, लेकिन याद रखिए कि जिंदगी कभी परफेक्ट नहीं होती है।


परफेक्शनिस्ट बनकर आप सिर्फ चीज़ों को छुपकर टाल रहे हैं। जब आप अपने स्किल्स और आपके सामने आने वाले मौकों पर डाउट करते हैं, तो आप हमेशा फिक्र और पछतावे में जीते रहते हैं।


पहले टाइप के परफेक्शनिस्ट, किसी काम को करने का पहला स्टेप कभी नहीं लेंगे।


दूसरे टाइप के परफेक्शनिस्ट काम करना शुरू करते हैं लेकिन बहुत हाई स्टैंडर्ड्सस को फॉलो करते हैं। वो आमतौर पर गोल्स तो सेट करते हैं, लेकिन उन्हें पूरा नहीं कर पाते।


इसलिए, दूसरे टाइप के परफेक्शनिस्ट डिप्रेस्ड और परेशान हो जाते हैं। वो अपने हाई स्टैंडर्ड्स को पाने के लिए हमेशा फिक्र करते रहते हैं और भूल जाते हैं कि रिजल्ट ज़्यादा मायने रखते हैं। किसी चीज़ को परफेक्टली ना करने से बेहतर ये होगा कि आप कुछ तो करें।


परफेक्शनिज्म, पॉज़िटिव भी हो सकता है। कुछ केसेस में, ऐसा हो सकता है कि परफेक्शनिस्ट्स अपने हाई स्टैंडईस को पूरा कर लेते हैं। वो अपने बड़े गोल्स को हासिल कर लेते है और आम लोगों से ज्यादा प्रोडक्टिव होते हैं।


लेकिन, वो अपने मनचाहे रिज़ल्ट कैसे हासिल करते हैं? ऐसा तभी मुमकिन होता है, जब वो और लोगों से ज्यादा मेहनत करते हैं और अपने मेंटल और फिज़िकल हेल्थ को नुक्सान पहुंचाते हैं।


स्लैकर, एक परफेक्शनिस्ट से बिल्कुल उल्टा होता है। स्लैकर्स, किसी चीज की परवाह नहीं करते। जब तक वो ठीक-ठाक जिंदगी जीते रहते हैं, वो satisfied रहते हैं। ऐसा attitude, प्रोडक्टिव नहीं है क्योंकि अगर आपको कुछ बड़ा हासिल करना है. तो आपको चीजों का ज्यादा खपाल सखना होगा।


इसलिए, हमें एक बैलेंस ढूँढना होगा। ना ही परफेक्शनिस्ट बनिए और ना ही एक स्लैकर। आपको रिसोर्सेज का पूरा इस्तेमाल करना सीखना होगा और सही सिस्टम बनाने होंगे। अपने स्किल्स को लेकर कॉफिडेंट रहिए और इस बात पर विश्वास रखिए कि चैलेंजेज के होते हुए भी आप चीजों को पूरा कर सकते हैं।


How to Read 100 Books a Year

क्या आपको बुक्स खरीदना पसंद है, लेकिन उन्हें पढ़ने का वक्त नहीं मिलता? कई लोग बुक्स पढ़ना चाहते हैं, लेकिन बुक्स पढ़ने के लिए वक़्त किसके पास है?


2014 में, डेरियस को ये याद आया कि उन्होंने आज तक सिर्फ 4 किताबें पढ़ी हैं। ग्रेजुएशन के बाद से, हर बीतते साल के साथ वो और भी कम बुक्स पढ़ने लगे थे। वो अपनी ज़िंदगी और ऑफिस के काम में बिजी जो रहने लगे थे।


कोई 100 बुक्स क्यों पड़ना चाहेगा? क्योंकि बुक्स आपको दूसरों के एक्सपीरियंस से सीखने का मौका देती हैं। ग्रोथ के लिए एजुकेशन जरूरी है और सीखने का बेस्ट तरीका है, रीडिंग करना।


सबसे पहले, आपको इतनी बुक्स खरीदनी चाहिए कि इस साल पढ़ने के लिए आपके पास 100 बुक्स हों। अगर आपके पास इतना पैसा नहीं है तो बुक्स को बल्क में खरीदने के लिए पार्ट-टाइम जॉब करके पैसा बचाएं। बुक्स ख़रीदना फिजूलखर्ची नहीं है क्योंकि आप जो इनसे सीखेंगे वो अनमोल होगा।


2005 के शूज़ सारीदने से बेहतर है, आप 10 बुक्स खरीदें। तो हो गई ना प्रॉब्लम सॉल्वा ज्यादा बुक्स खरीदने से, आपको वो टाइप, genre और थीम चुनने का मौका मिलेगा, जो आप पढ़ना चाहते हैं।


दूसरा, हमेशा पढ़ते रहिए। रोज़ एक घंटा पढ़ने की कोशिश कीजिए और वीकेंड्स पर ज़्यादा पढ़िए। हम जानते हैं कि आप बिज़ी हैं, तो पढ़ने के लिए हर मौके का फ़ायदा उठाइए। ट्रेन में जाते वक़्त, खाते वक्त, डॉक्टर का इंतज़ार करते वक़्त या अपने बच्चे को दूध पिलाते वव्रत, पढ़िए।


सोशल मीडिया यूज़ करने के बजाए, एक बुक पढ़िए। अगर आप हफ्ते में 10 घंटे भी पढ़ते हैं, तो साल में आप 100 से ज़्यादा बुक्स पढ़ लेंगे।


तीसरा, काम की बुक्स पढ़िए। खुद को कोर्ड बुक पढ़ने पर इसलिए मजबूर मत कीजिए क्योंकि उसे अच्छे रिव्यूज़ मिले हैं। अगर आप कोई बुक पढ़ना शुरू करते हैं और आपको वो बोरिंग लगता है तो अगली बुक की तरफ चलिए। ऐसे टॉपिक्स पर अपने वैल्युएबल वक़्त को ज़ाया मत कीजिए जिसमें आपको दिलचस्पी ही नहीं है।


ऐसी बुक्स पढ़ना बेहतर होता है जो आपके पैशन, हॉबीज़ और काम से जुड़ी हों या फिर ऐसी बुक्स जो आपके मनपसंद ऑधर ने लिखी हो।


आखिर स्टेप है, अपनी नॉलेज को बरकरार रखना। नोट्स बनाइए और उन सभी कोट्स को हाईलाइट कीजिए, जो आपको दिलचस्प लगते हैं। जैसे ही आप एक बुक खत्म पूरी करें तो अपने नोट्स को रिव्यु कीजिए और जो आपने सीखा उसे लिखिए।


बुक्स पढ़ने का सबसे बेस्ट पार्ट ये है कि आप अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए उस नॉलेज का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए, आज से ही पढ़ना शुरू कीजिए, जब भी मौका मिले तब पढ़िए और पढ़ने के लिए हमेशा वक़्त निकालिए।


Time Blocking: Improve Your Focus And Get More Meaningful Work Done

ज़्यादातर लोग एक जैसी प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं और वो ये है कि हमारे पास करने के लिए काम तो बहुत है लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए हमारे पास इतना वक़्त ही नहीं है। इसलिए, ज्यादा पाने के लिए लोग मल्टीटास्किंग पानी एक साथ बहुत सारे काम करते हैं। लेकिन, मल्टीटास्किंग आपकी प्रोडक्टिविटी को बेहतर करने के बजाए और खराब कर देता है।


इससे बेहतर तरीका है, टाइम ब्लॉकिंग का इस्तेमाल करना। अपना कैलेंडर उठाइए और सभी जरूरी कामों को पूरा करने के लिए जितना वक़्त चाहिए उसे ब्लॉक कर दीजिए। जैसे ही वो वक़्त आता है तो एक बार में एक काम पर ध्यान दीजिए।


जैसे, डेरियस 2017 में एक बुक लिखना चाहते थे। उन्होंने अपन कैलेंडर चेक किया और नोटिस किया कि उन्होंने इस गोल को पाने के लिए अपने टाइम को ब्लॉक ही नहीं किया है। इसलिए, वो कुछ नहीं लिख पाए थे।


एक क्लियर कैलेंडर रखने से, आपको अपने वक़्त की कीमत के बारे में और पता चलता है। अगर आप किसी नए गोल के लिए अपने schedule को खाली करने का वक्त नहीं निकालेंगे, तो आप इसे कभी हासिल नहीं कर पाएंगे। आप इसके बारे में भूल भी जाएँगे।


टाइम ब्लॉकिंग, आपको उन चीज़ों पर फोकस करने में मदद करता है, जो सबसे ज़रूरी हैं। कभी-कभी, आप प्रोडक्टिव महसूस करते हैं क्योंकि हमारा दिन बहुत बिज़ी होता है। लेकिन, अगर हम रूककर देखें तो शायद हमें ये पता चलेगा कि हम बिज़ी तो थे, लेकिन हम ऐसा कोई काम नहीं कर रहे थे जो हमारी जिंदगी बदल सकता हो। हम शायद, फालतू के कामों से ज़्यादा घिरे हुए हैं।


अपने दिन और हफ़्तों की प्लानिंग करने से, आप अपनी प्रायोरिटीज़ से हमेशा आगे रहते हैं। ये आपकी जिंदगी को organised रखता है और अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के साथ वक्त बिताने की ज़्यादा आज़ादी देता है।


Don't Know What You Want? Improve These 5 Universal Skills

आपके लिए सक्सेस का क्या मतलब है? आप कैसी जिंदगी जीना चाहते हैं? आपके लिए परफेक्ट जॉब का क्या मतलब है?


अगर आप इन सवालों का जवाब नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं। घबराइए मत। ज़्यादातर लोग ऐसे ही हैं, जो नहीं जानते हैं कि उन्हें अपनी ज़िंदगी में क्या करना है।


सच्चाई, हमारे सामने तब आती है, जब हमारे दोस्त कुछ बड़ा हासिल करते हैं। कुछ लोग शादी करते हैं, प्रमोट हो जाते हैं या फिर एक नए देश में शिफ्ट हो जाते हैं।


जब हम लोगों को आगे बढ़ते हुए देखते हैं तो हम अपने प्लान्स और इच्छाओं को लेकर डाउट में आ जाते हैं। ज़्यादातर लोग मानते हैं कि जिंदगी को प्लान करना चाहिए। हमें ये पता होना चाहिए कि हमें exactly क्या चाहिए और हमें पहले से बने हुए रास्ते को फॉलो करना चाहिए।


लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग होती है। कोई नहीं जानता कि उसे असल में क्या चाहिए। इसलिए, आपको ये मानना चाहिए कि कल कुछ भी हो सकता है। याद रखिए कि कल आप मर भी सकते हैं, कल आप अपनी सारी दौलत और जो कुछ भी आपके पास है, या आपके करीबी लोगों को, खो भी सकते हैं। जिंदगी अनप्रेडिक्टेबल होती है।


आप वो सब कुछ नहीं जान सकते कि कल क्या होगा। आप इस बात की गारंटी नहीं दे सकते कि आपका हेल्ब हमेशा परफेक्ट रहेगा या फिर आपका बिज़नस हमेशा सक्सेसफुल होगा। इसलिए, ऐसा मानना ठीक है कि आपकी लाइफ के प्लान में कुछ भी हो सकता है।


डेरियस इतनी किताबें पढ़ते थे कि अक्सर लोग उनसे इस आदत से होने वाले फायदे के बारे में पूछा करते थे। फिर, एक दिन, उनके एक दोस्त ने कहा कि इन बुक्स से मिली नॉलेज को उन्हें और लोगों के साथ शेयर करना चाहिए और डेरियस ने ऐसा ही किया।


डेरियस ने वेबसाइट बनाना सीखा था तो एक दिन उन्होंने इस नॉलेज की मदद से अपना एक वेबसाइट बनाया और उस पर लिखना शुरू किया। वो हर रोज़ एक आर्टिकल लिखते थे और उसके बाद उन्होंने एक बुक भी लिखी।


डेरियस का राइटर बनने का कोई प्लान नहीं था। उन्हें जिंदगी बस उस डायरेक्शन में ले गई थी।


अपनी जिंदगी के लिए, आपको कोई डिटेल्ड प्लान नहीं बनाना है। आपको सिर्फ एक विजन रखने की जरुरत है। अगर आप ये नहीं जानते हैं कि आपका विज़न क्या है तो उसे ढूंढिए।


अपनी ज़िंदगी के मक्सद को ढूँढ़ते हुए आपको इन यूनिवर्सल स्किल्स पर काम करना होगा। बिना मक्सद के, इधर-उधर मत भटकिए। इससे आपका बहुत सा वक़्त जाया हो जाएगा।


सबसे पहले, अपने सेल्फ-डिसिप्लिन को इम्पूव कीजिए। नेगेटिव सेल्फ-टॉक से बचिए और ज़्यादा से ज़्यादा चीज़ों को पूरा करना सीखिए।


दूसरा, ज़्यादा प्रोडक्टिव बनिए। आपको अपने वक़्त को इफेक्टिव तरीके से इस्तेमाल करना होगा।


तीसरा, इफेक्टिव कम्युनिकेशन, negotiation और persuation का स्किल सीखिए। ऐसा करने से, आप किसी से भी बात कर पाएँगे और पूरी इज़्ज़त के साथ अपना काम निकलवा पाएँगे।


चौथा, अपने फिज़िकल हेल्थ को बेहतर बनाइए।


आखिर में, पूरे दिन बैठे मत रहिए। अपनी फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाइए, खासकर अगर आप एक ऑफिस एम्प्लोयी हैं तो।


इन यूनिवर्सल स्किल्स को इम्पूव करके आप आपकी ज़िंदगी में सेट किया हुआ कोई भी गोल हासिल कर सकते हैं।


Consistency Is Key: Improve By 0.1% Every Day

हम हमेशा उन चीज़ों की फिक्र करते हैं जिन्हें हम कंट्रोल नहीं कर सकते। लेकिन, परेशान होने से वक़्त ही बर्बाद होता है और कुछ नहीं होता।


इमेजिन कीजिए कि ऑफिस में आपसे कोई गलती हो गई है। शायद आपने एक क्लाइंट को गलत ईमेल भेज दिया है। तो क्या आपको चिंता होगी? बिल्कुल होगी। आपके मन में बुरे-बुरे खयाल आने लगेंगे। शायद आपको जॉब से निकाला भी जा सकता है, आपका बॉस आपको डांट सकता है या फिर आप एक इम्पोर्टेन्ट क्लाइंट को खो भी सकते हैं।


लेकिन क्या चिंता करने से आपको कोई मदद मिलेगी? नहीं, बिल्कुल नहीं। आप किसी गलती से मिलने वाले रिज़ल्ट को कंट्रोल नहीं कर सकते, लेकिन आप अपने इमोशंस और रिएक्शंस को कंट्रोल जरूर कर सकते हैं। आप सिर्फ खुद के attitude, जजमेंट और determination को कंट्रोल कर सकते हैं। इसके अलावा, आप कुछ नहीं कर सकते।


अगर आपसे कोई गलती हो जाती है तो उसे ठीक कीजिए। अगर आपके सामने कोई प्रॉब्लम है तो उसका solution ढूंढिए। दूसरों को ब्लेम करना और शिकायत करना बंद कीजिए। उस सिचुएशन को एक्सेप्ट कीजिए और शिकायत करने के बजाए कोई एक्शन लीजिए।


प्रोडक्टिविटी का मतलब है, कसिस्टेंसी। कंसिस्टेंट बनने के लिए आपको एक स्ट्रॉग माइंडसेट चाहिए। अगर आप मेंटली स्ट्रोंग नहीं है तो आप कुछ भी एक्स्ट्राऑर्डिनरी अचीव नहीं कर पाएंगे।


आप एक दिन मेहनत करके और हफ्ते के बाकी दिन आराम करके प्रोडक्टिव नहीं बन सकते। आप प्रोग्रेस तभी करते हैं जब आप हर रोज़, 0.1% इम्प्रूव्मेंट करते हैं। ये 0.1% इम्प्रूव्मेंट् आखिर में जाकर बहुत बड़ा बन जाता है। इसलिए, खुद को इम्प्रूव करते रहिए और आगे बढ़ते रहिए।


If You Can Believe It, You Can Achieve It

ये कोई मोटिवेशनल quote नहीं है। सिर्फ कुछ पढ़कर और ये सोचने से कि आपकी ज़िंदगी बदल जाएगी, आप मोटीवेट नहीं हो सकते। जब तक आप अपने बिलीफ्स को नहीं बदलेंगे, आप अपनी reality को कभी नहीं बदल सकते।


बिलीफ से हमारा मतलब है, फैक्ट्स बनाना। ये सोचकर मत बैठे रहिए कि चीजें खुद-ब-खुद बदल जाएंगी। उन्हें बदलने के लिए कुछ कीजिए। अगर आप मानते हैं। कि आपकी ज़िंदगी बेकार है, तो आप उस खाई से कभी नहीं निकल पाएंगे।


आपको अपने बिलीफ्स के बारे में सोचना होगा। जो काम आपके दोस्त, फैमिली और कलीग्स आपको करने के लिए कहते हैं, उस पर मत अटके रहिए। आपको अपने बिलीफ्स खुद चुनने होंगे। एक ऐसा बिलीफ सिस्टम बनाइए, जो आपके परफॉरमेंस को बढ़ा सके।


जब डेरियस 17 साल के थे तो उन्हें ये कहा गया था कि उन्हें अच्छे grades लाने होंगे। अच्छे grades के बिना, उन्हें अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलेगा या वो अच्छी डिग्री नहीं ले पाएंगे। डिग्री के बिना, उन्हें जॉब नहीं मिलेगी और फिर वो मरते दम तक, अपनी जिंदगी एक हारे हुए और दिवालिया इंसान की तरह गुज़ार देंगे।


इससे डेरियस को खुद पर डाउट होने लगा। उन्होंने इस कहानी पर विश्वास कर लिया और इसी डर के साथ जीते हुए कई साल गुज़ार दिए।


डेरियस राइटर बनना चाहते थे। सभी उनसे कहते थे कि वो राइटर बनकर कुछ नहीं कमा पाएँगे। उन्होंने राइटर बनने की अपनी इच्छा कुछ समय के लिए दबा दी थी क्योंकि उन्हें डर था कि वो फेल हो जाएंगे। उनके सैल्फ-कॉन्फिडेंस की कमी ने उनके प्रोग्रेस को रोक दिया था।


लेकिन फिर डेरियस को माइंडसेट और बिलीफ की इम्पोर्टस के बारे में पता चला। उन्होंने खुद को मजबूत बनाने के लिए, अपने बिलीफ सिस्टम का इस्तेमाल करने का फैसला किया। उन्होंने pragmatism (कोई बिलीफ असल में कितना प्रैक्टिकल है उसके बारे में जानना) और फैक्ट-बेस्ड बनने के बारे में और पढ़ा। इससे उन्होंने सीखा कि उन्हें वो सब कुछ मिल सकता था जो वो चाहते थे, लेकिन तभी, जब वो इस बात पर विश्वास करते कि वो ऐसा कर सकते थे।


हर इंसान का कोई ना कोई ऐसा बिलीफ होता है जो उसकी प्रोडक्टिविटी को नुक्सान पहुँचाता है। कुछ लोग बहुत मेहनत करते हैं क्योंकि वो मानते हैं कि उन्हें अपने पेरेंट्स को इम्प्रैस करना चाहिए। कुछ लोग एक ऐसी जॉब में फंसे रहते हैं जो उन्हें पसंद ही नहीं है, क्योंकि वो सोचते हैं कि उन्हें इससे बेहतर कुछ नहीं मिल सकता।


इनमें से ज़्यादातर नेगेटिव बिलीफ्स, सच नहीं हैं। उन्हें बदलिए और ऐसा करने से आप अपनी जिंदगी की कहानी बदल देंगे।


All Strength Comes From Repetition

किसी स्किल में एक्सेल करने के लिए, सबसे पहले आपको उसके बेसिक्स को अच्छे से सीखना होगा, फिर चाहे पे स्पेंकैंग, राइटिंग, रीडिंग, selling या कोई और स्किल हो। सबसे पहले, आपको बेसिक स्किल्स पर फोकस करना होगा। इसके बाद, आप कुछ और पाने के बारे में सोच सकते हैं।


जैसे, फिज़िकली स्ट्रॉग बनने के लिए एक एक्सरसाइज़ रूटीन को इम्पूव करने की ज़रुरत होती है। लेकिन, मेंटली स्ट्रॉग बनने के लिए, जो ज़्यादा ज़रूरी है, आपको बिल्कुल शुरुआत में वापस जाना होगा। खुद को हमेशा एक बिगिनर मानिए।


अगर आप एक ऐसी बुक पढ़ते हैं, जो आपको मेंटली स्ट्रॉग बनाती है, तो उसे हर महीने पढ़िए। पॉज़िटिव थॉट्स को तब तक रिपीट करते रहिए, जब तक वो आपका बिलीफ ना बन जाए। जब आप अपनी काबलियत पर विश्वास करन शुरू कर देंगे, उसके बाद आप कुछ भी अचीव कर सकते हैं।


अपने वैल्यूज़ की एक लिस्ट बनाइए और उन्हें रोज़ रिपीट कीजिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आप उन्हें भूल जाएंगे और दूसरों के वैल्यूज़ के हिसाब से जीने लगेंगे।


ऐसा ही बिज़नस में भी होता है। अपने बिज़नस के वैल्यूज़ और पर्पस के बारे में खुद से हमेशा सवाल करते रहिए। बेसिक्स को रिपीट किए बिना, आप अपने मक्सद को भूल सकते हैं और एक ऐसे रास्ते पर जा सकते हैं, जो आपका है ही नहीं।


किसी चीज़ को रिपीट करने से वो और भी मज़बूत हो जाता है। अगर आप ईमानदार हैं और लगातार डटे रहते हैं, तो ऐसे बिहेवियर को रिपीट करने से आपको इन्हें कायम रखने में मदद मिलती है। उसके बाद कोई आपको बदल या हिला नहीं पाएगा।


Why You Should Live Like You're Immortal

अगर आप यंग हैं तो आप शायद ये मानते होंगे कि आपको ज़िंदगी में कुछ नहीं करना चाहिए और सिर्फ मज़े करने चाहिए। ज़िम्मेदार बनना और बड़ा होना, बड़ा डरावना होता है।


लेकिन अगर आप पंग भी हैं तो आपको एक सक्सेसफुल करियर बनाना चाहिए, दूसरों की मदद करनी चाहिए, कुछ मीनिगफुल बनाना चाहिए और अपने रिटायरमेंट के बारे में सोचना चाहिए।


एक अमर इंसान की तरह अपनी जिंदगी जीएँ। अगर आप यही मानते रहेंगे कि जिंदगी छोटी है तो आपको लगेगा कि मेहनत करने का फायदा ही क्या है। अगर आप जल्द ही मरने वाले हैं तो कुछ पाने के लिए मेहनत करनी ही क्यों है? लेकिन अगर आप इस तरह जीते हैं कि आप अभी नहीं मरने वाले हैं तो अपने सपनों को पूरा करने के लिए आपके पास बहुत वक़्त होगा।


अगर आप अपनी जिंदगी एक अमर इंसान की तरह जीएंगे, तो क्या बदल जाएगा? आप सोचने लगेंगे कि आप हमेशा ज़िन्दा रहेंगे इसलिए आप अपना पैसा बर्बाद करना बंद कर देंगे और एक बेहतर फ्यूचर बनाने के लिए कुछ करने लगेंगे। आप एक ऐसा करियर और जिंदगी बनाएँगे जो आपको खुशी देती हो। आप तुरंत मिलने वाली छोटी-छोटी खुशियों के पीछे ना भागकर, लॉन्ग टर्म सक्सेस पर फोकस करेंगे।


जब आप इस माइंडसेट के साथ जीते हैं तो आपके पास गलतियों करने, उनसे सीखने, इम्पूव करने और ज़्यादा अचीव करने के लिए बहुत वक़्त होगा। आप लोगों की ज्यादा रिस्पेक्ट करने लगेंगे क्योंकि आप उनके साथ ज्यादा वक़्त बिताएंगे।


आज कोई फैसला लेने से पहले, दस या बीस साल आगे की सोचिए। आपका विज़न किस काम आएगा?


Conclusion

अपनी मनचाही ज़िंदगी बनाने के लिए आप खुद ज़िम्मेदार हैं। आप अपने गोल्स को पहचानकर, एक सॉलिड प्लान बनाकर इसकी शुरुआत कर सकते हैं। जब आपके सामने मुश्किलें आती हैं, तो आपको डेरियस के बताए गए इन लेसंस को फॉलो करना है-


सबसे पहले, आपने सीखा कि आप चीज़ों को इसलिए टालते रहते हैं क्योंकि आप डरे या थके हुए हैं। इंटर्नल मोटिवेशन से, आप टालमटोल करने की आदत से बच सकते हैं और रोज़ ज़्यादा काम पूरा कर सकते हैं।


दूसरा, आपने सीखा कि आपको कुछ आदतों को अपनाना और कुछ को दूर करना होगा जैसेः ज्यादा काम मत कीजिए, ज्यादा चिंता मत कीजिए और जिद्दी मत बनिए। अपनी प्रॉब्लम से भागिए मत, अपने थॉट्स को लिखना मत भूलिए, कभी सीखना बंद मत कीजिए और रूल्स से नफरत मत कीजिए।


तीसरा, आपने जाना कि एक प्रोडक्टिव दिन की शुरुआत एक इफेक्टिव इवनिंग रूटीन फॉलो करने से होती है।


चौथा, आपने सीखा कि किसी ज़रूरी काम को पूरा करने के लिए आपको अपने फ़ोन को बंद कर देना चाहिए।


पांचवा, आपने जाना कि परफेक्शनिज्म, प्रोग्रेस का दुश्मन है। सही वक़्त और सिचुएशन का इंतज़ार करने से बेहतर है कि आप चीज़ों को पूरा करें।


छठा, आपने जाना कि एक साल में 100 बुक्स पढ़ना आसान है। आपको हर हफ्ते सिर्फ 10 घंटे रीडिंग करनी है।


सातवाँ, आपने सीखा कि अगर आप किसी चीज़ को पाने के लिए अपने टाइम को ब्लॉक नहीं करेंगे तो आप उसके बारे में भूल जाएंगे। ज़रूरी कामों के लिए हमेशा टाइम रखिए।


आठवाँ, आपने सीखा कि आपको कुछ पूनिवर्सल स्किल्स को इम्प्रूव करना होगा जैसेः डिसिप्लिन, प्रोडक्टिविटी, कम्युनिकेशन, negotiation, persuation, फिज़िकल हेल्थ और प्लेक्सिबिलिटी।


नौवा, आपने सीखा कि कंसिस्टेंट बनने के लिए, रोज़ 0.1% प्रोग्रेस करना काफी है।


आखिर में, आपने सीखा कि अपने बिलीफ्स को बदलने से आपकी सच्चाई भी बदल जाती है। हर रोज़ ऐसे थॉट्स के बारे में सोचिए जो आपको और strong बनाते हों और ऐसा तब तक करते रहिए जब तक आप उनमें विश्वास ना करने लगे। एक बार जब आप ऐसा कर लेते हैं उसके बाद आपको कोई नहीं रोक पाएगा।


ये हो सकता है कि इस समरी में दिए गए लेसंस से आप सहमत हों या ना हों। ये आपकी personality और बिलीफ्स पर डिपेंड करता है। दो बिल्कुल opposite बात करना, ignorance या नॉलेज की कमी का प्रूफ है. ignorance का मतलब है नॉलेज की कमी होना। नॉलेज की कमी इस बात का proof है कि कि हमें हमेशा सीखते रहने की जरूरत है


कभी भी संतुष्ट ना हों। कुछ न कुछ सीखते रहिए और इम्पूव करते रहिए। नए स्किल्स ढूंढिए और उनमें महारत हासिल कीजिए। बड़े सपने देखिए और उन्हें पूरा कीजिए। अगर आप विश्वास करेंगे, तो सब कुछ मुमकिन है।


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