MASTER YOUR TIME: A PRACTICAL GUIDE TO INCREASE YOUR PRODUCTIVITY AND USE YOUR TIME MEANINGFULLY by Thibaut Meurisse


MASTER YOUR TIME: A PRACTICAL GUIDE TO INCREASE YOUR PRODUCTIVITY AND USE YOUR TIME MEANINGFULLY
by Thibaut Meurisse

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About Book
सबके पास एक दिन में चौबीस घंटे होते हैं, लेकिन सभी वक़्त की कीमत नहीं समझते। जब आप अपना वक़्त फ़ालतू के कामों पर लगाते हैं तो वो वक़्त आपको कभी वापस नहीं मिल सकता है। अगर आपके भी कुछ सपने हैं, लेकिन अपने वक़्त को मैनेज करने में आपको मुश्किलें आ रही हैं, तो ये समरी आपके लिए है। यहाँ दिए गए कॉन्सेप्ट्स, अपने काम का मज़ा लेने के साथ-साथ, आपको अपने वक़्त को समझने और प्रोडक्टिव बनने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, आइए अपने गोल्स और फ्यूचर की ओर बढ़ने के लिए इस मौके को गले लगाएं। 

ये समरी आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
• स्टूडेंट्स
• यंग प्रोफेशनल्स
• एडल्ट्स 

ऑथर के बारे में
थिबॉट मेउरिस एक कोच, मेंटर और एक राइटर हैं, जो पर्सनल डेवलपमेंट पर फोकस करते हैं। वो, What is Personal Development नाम के organization के फाउंडर भी हैं। पूरी दुनिया में थिबॉट की मास्टर बुक सीरीज़ की हजारों कॉपी बिक चुकी हैं। 

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इंट्रोडक्शन
हमारे पास वक़्त लिमिटेड होता है और रोज़ के 24 घंटे भी कभी-कभी कम लगने लगते हैं। लेकिन आप अपना time कैसे खर्च करते हैं? 

क्या आप एक ऐसे इंसान है, जो अपने वक़्त को अहम कामों में लगाते हैं? 

या फिर आप एक ऐसे इंसान हैं, जो टालमटोल करते हुए फ़ालतू के कामों में लगे रहते हैं? 

मज़ेदार काम करने में मज़ा तो आता है लेकिन कहीं ना कहीं इसकी आदत सी लगने लगती है और अपनी इच्छाओं को काबू में करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। जैसे, मान लीजिए कि आपने एक नई टीवी सीरीज़ देखी। हो सकता है कि आप एक एपिसोड देखने के बाद अगला एपिसोड देखने लगें और कहें कि, "बस, आज के लिए ये लास्ट एपिसोड है"। 

वैसे, टीवी देखना या ऑनलाइन content stream करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन घंटों उस पर लगे रहने से आपकी ज़िंदगी पर बुरा असर पड़ता है। ऐसा करके आप समय बर्बाद कर रहे हैं और ज़रूरी कामों को कल पर टाल रहे हैं। 

सोचिए कि अगर आप उन घंटों को इसके बजाय पढ़ने पर लगाते तो? आप स्कूल में बेहतर परफॉर्म करेंगे और आपको सक्सेसफुल होने के ज़्यादा मौके मिलेंगे। 

यही चीज़ आपको "मास्टर यॉर टाइम" सिखाने वाला है। इस समरी में, आप ये जानेंगे कि अपने वक़्त का इस्तेमाल कैसे किया जाए। आप प्रोडक्टिविटी और procrastination यानी टालमटोल करने की आदत के बारे में जानेंगे। आप अपने वक़्त को अहम कामों पर बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने के टिप्स भी सीखेंगे। 

अगर आप अपनी ज़िंदगी को बदलना चाहते हैं और प्रोडक्टिव बनना चाहते हैं, तो ये सीखने के लिए इस मौके का इस्तेमाल करें और अपने वक़्त के बादशाह बनें। तो आइए शुरू करते हैं।


Understanding Productivity
दोस्तों और फैमिली के साथ अच्छा रिश्ता बनाए रखने के साथ-साथ इम्पोर्टेन्ट और meaningful काम करना ही प्रोडक्टिविटी कहलाता है। अपने वक़्त के बादशाह बनने का मतलब यही है कि आप इसे अपनी हॉबीज़, काम और सोशल रिलेशनशिप्स के लिए सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं। इससे भी बहुत फर्क पड़ता है कि आप इसके प्रति कितने कमिटेड हैं। 

प्रोडक्टिविटी का मतलब है कि आप अपने कामों को कैसे मैनेज करते हैं और आप उनमें कितनी एनर्जी लगाते हैं। आइए, इसे दूसरे तरीके से समझते हैं। पूरे दिन में आपकी एनर्जी का लेवल बढ़ता और घटता रहता है। इसलिए आपकी एनर्जी का लेवल सबसे ज़्यादा कब रहता है, ये जानना ज़रूरी है। 

जैसे, आपकी एनर्जी शाम के मुकाबले, सुबह के वक़्त ज़्यादा होती है। इसलिए, सुबह का एक घंटा ज़रूरी चीज़ों को करने में लगाना, आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा देता है। आपको इसे बिना इधर-उधर ध्यान भटकाए, एक काम को इफेक्टिव तरीके से पूरा करने में लगाना चाहिए। 

अपनी प्रायोरिटीज़ को पहचानना, ये जानने में मदद करता है कि आपको किन कामों पर ध्यान देना चाहिए वरना आप अपना ज़्यादातर वक़्त फ़ालतू के कामों पर बिता देंगे। 

एनर्जी साईकल में 6 phase होते हैं। पहले फेज़ में आपको उस एनर्जी को बचाना है, जो आप अपने नींद की quality को बढ़ाकर, पौष्टिक खाना खाकर और रोज़ाना एक्सरसाइज़ करके क्रिएट कर सकते हैं। जब आपके पास पूरी एनर्जी होती है तो दूसरे फेज़ में आपको पता होना चाहिए कि उस एनर्जी को कहाँ और कैसे इस्तेमाल करना है। 

इस साईकल का तीसरा फेज़ है, एनर्जी को सबसे ज़्यादा ज़रूरी काम पर लगाना। 

चौथे फेज़ में, आपको अपनी पूरी एनर्जी उस काम में लगानी चाहिए और इधर-उधर के distractions यानी ऐसी चीजें जो ध्यान भटकाती हैं, उन्हें दूर करना है। इसके बाद, रेगुलर ब्रेक्स लेकर अपनी एनर्जी को फिर से रिचार्ज कीजिए और इस साईकल को फिर से शुरू कीजिए। 

आगे दिए गए प्रोडक्टिविटी के लेवल्स, आपको ये जानने में मदद करेंगे कि अपना वक़्त, आपको सही तरीके से कहाँ इस्तेमाल करना चाहिए। पहले लेवल में, अपने फोकस को बेहतर करने के लिए, आसपास के distractions को हटाएं। इसके बाद किसी भी काम में पूरे जोश से लगने के लिए, दूसरे लेवल में अपनी एनर्जी लेवल को, बढ़ाने की बात की गई है। 

तीसरे लेवल में आपको उस ख़ास विज़न और गोल्स को डिफाइन करना है, जो आपको फोकस करने वाले काम या टास्क को पहचानने में मदद करता है। 

चौथा लेवल, एक टू-डू लिस्ट और टाइम फ्रेमवर्क बनाकर, पूरे दिन के लिए सिस्टम को प्लान करने के बारे में है। पांचवे लेवल में, फैमिली, दोस्त और दूसरों के साथ घुलमिलकर सोशल लाइफ को एक्टिव रखने के लिए में कहा गया है। 

चौथे लेवल में ये बताया गया है कि किसी सिस्टम का प्लान बनाना, प्रोडक्टिविटी का एक इम्पोर्टेन्ट लेवल है, लेकिन इसके लिए सिस्टम का कॉम्प्लेक्स होना ज़रूरी नहीं है। अपने प्रोडक्टिविटी सिस्टम को बनाने और उसे लॉन्ग टर्म तक इस्तेमाल करने में, मदद करने के लिए यहाँ कुछ टिप्स दिए गए हैं - 

सबसे पहले, प्रोडक्टिविटी टूल्स के बारे में भूल जाइए। प्लानिंग और सिस्टम को बनाने के लिए आपको सिर्फ़ pen और पेपर का ही इस्तेमाल करना चाहिए। दूसरा, अपने प्रोडक्टिविटी लेवल्स के बारे में सोचिए, फिर एक सीधा साधा सिस्टम बनाकर, इसकी शुरुआत कीजिए। फ़िक्र मत कीजिए, क्योंकि जैसे-जैसे आप प्रोडक्टिविटी के एडवांस्ड लेवल्स पर जाएंगे, आप सिस्टम को दोबारा बनाने के साथ-साथ उसे इम्प्रूव भी कर पाएंगे। 

इसके अलावा, टालमटोल करने की आदत को समझने से आपको अपनी प्रोडक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। टालमटोल करना किसी भी इंसान की एक ऐसी आदत है, जिससे उसकी ताकत कम होती है। इसलिए, ये जानना आपके लिए ज़रूरी है कि आप चीज़ों को क्यों टालते हैं या मोटिवेशन कैसे काम करता है। 

आप चीज़ों को क्यों टालते हैं, इसकी कुछ वजह यहाँ दी गई हैं 

पहली वजह ये है कि आपको कुछ बातें क्लियर नहीं हैं, जैसे वो काम कितना इम्पोर्टेन्ट है, आपको क्या करने की ज़रुरत है और आप उसे कैसे पूरा करेंगे। इसे बदलने के लिए, खुद से पूछिए कि क्या आप सच में मानते हैं कि वो काम इम्पोर्टेन्ट है। इसके बाद उन वजहों को पहचाने जिससे ये पता चले कि उस काम को करना भी चाहिए या नहीं। 

इन वजहों को जानने के बाद, खुद से पूछिए कि अगर आप ये काम नहीं करेंगे, तो आगे जाकर आपको किन नतीजों का सामना करना होगा। इसके बाद, ये सोचिए कि इसे पूरा करने के बाद आप कैसा महसूस करेंगे और ये सोचकर इसकी शुरुआत कीजिए कि वो काम आसान है। अगर आपको अभी भी पक्का नहीं है कि क्या करना है, तो ज़्यादा जानने के लिए अपने सुपरवाइज़र्स से पूछें, जैसे आपको क्या एक्स्पेक्ट करना चाहिए। 

अगर आप ये नहीं जानते कि काम को कैसे शुरू करें, तो पहले उसका प्लान बनाइए, इसके बाद उस काम को करने का ज़्यादा बेहतर अप्रोच के बारे में जानने लिए एक ऐसे इंसान से मदद लीजिए जो उस काम को पहले ही कर चुका है या फिर दूसरी स्ट्रेटेजीज़ के लिए ऑनलाइन सर्च कीजिए। 

टालमटोल करने के पीछे दूसरी वजह ये भी है कि आप ये नहीं जानते कि मोटिवेशन कैसे काम करता है और मेंटल रुकावटों का होना, जो आपको रोकते हैं। मोटिवेशन का मतलब मोटीवेटेड महसूस करना नहीं है। जब आप किसी काम की शुरुआत करते हैं तो ये आपके एक्शन के बाद खुदबखुद ही आता है। 

मेंटल रुकावट भी आपके डिसिप्लिन के आड़े आते हैं। जैसे, आप सोच रहे हैं कि कोई काम मुश्किल है। जब ऐसा होता है, तो कामों को लिस्ट करके और उन्हें अलग-अलग पार्ट्स में बांटकर, आपको उन पर एक्शन लेना चाहिए। 

आपके टालमटोल करने की तीसरी वजह है आपका वो डर जिससे आपको लगता है कि आप काम को अच्छे से नहीं करेंगे। इस डर का होना ठीक है, लेकिन इसे खुद को रोकने मत दीजिए। इसके बजाय इस डर को महसूस कीजिए और काम को पूरा कीजिए। अपने माइंड में ये बात बैठा लीजिए कि किसी भी चीज़ को हमेशा और बेहतर तरह से किया जा सकता है इसलिए आपको किसी भी फेलियर या गलतियों से डरने की ज़रुरत नहीं है। 

चौथी वजह है वो मेंटल वर्क लोड जिसकी वजह से आप कामों से घबराहट महसूस करते हैं। इससे निकलने के लिए, जो भी काम आपको पूरे करने हैं, उन्हें लिख लीजिए, आसान से लेकर मुश्किल कामों के हिसाब से उन्हें बाँट दीजिए, हर एक काम के लिए टाइम फिक्स कर दीजिए और ज़्यादा से ज़्यादा काम को पूरा करने की कोशिश कीजिए । 

अब जब आपने टालमटोल करने की आदत और प्रोडक्टिविटी के बारे में समझ लिया है तो आप ऐसी स्ट्रेटेजीज़ बना सकते हैं, जो आपको अपने फोकस, टाइम मैनेजमेंट और एनर्जी लेवल्स को बेहतर बनाने में मदद कर सकें। इस बात पर ध्यान दीजिए, कि आपका फ्रेम वर्क आपकी reality से मैच करता हो ताकि आप उसे सही तरीके से हासिल कर सकें।

Updating Your Perception of Time
हम हमेशा present में रहते हैं, और दूसरी तरफ आप present में अपने वक़्त को इस्तेमाल करने के लिए पास्ट और फ्यूचर को मेंटल मॉडल की तरह इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, जब आप इन मेंटल मॉडल्स का गलत इस्तेमाल करते हैं, तो आपकी प्रोडक्टिविटी पर इसका बुरा असर पड़ता है। 

जैसे, आपको एक ऐसी बात याद आती है जहाँ आपको खुद के लिए बहुत बुरा लग रहा था या आपको ख़ुद पर दया आ रही थी। अब यहाँ आप सीखे हुए लेसंस को इस्तेमाल करने के बजाय आपने पास्ट को ख़ुद को present में लिमिट में बाँधने दे रहे हैं। 

वैसे तो अपने पास्ट को याद रखना गलत नहीं है, लेकिन आपको इसे अपने फ्यूचर को प्रेडिक्ट करने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके बजाय अपनी reality को बेहतर करने के लिए, उन लेसंस से सीखिए और खुद को मज़बूत बनाइए। आप ऐसा अपने अचीवमेंट के बारे में सोचकर, अपने पास्ट और present को ख़ुद से अलग रखकर, खुद को और दूसरों को माफ़ करके और दर्दनाक घटनाओं को भूलकर, ऐसा कर सकते हैं। 

पुरानी बातों को अपने माइंड से हटाकर, अपने फ्यूचर की प्लानिंग करना शुरू कीजिए। आप जो बनना चाहते हैं, उसे प्रोजेक्ट कीजिए और उसे सच करने के लिए, अपने एक्शंस को प्लान कीजिए। खुद के लिए क्लियर रास्ता बनाने के लिए, इधर-उधर के distractions को पहचानिए और उन्हें दूर कीजिए। 

जो problems आ सकती हैं, उनका अंदाज़ा लगाइए और उन्हें ठीक करने के लिए दूसरे solution तैयार रखिए। जैसे ही आप अपना प्लान पूरा लें, एक्शन लेना शुरू कीजिए। आप अपने गोल्स को visualize करके और उनके लिए excited होकर, ऐसा कर सकते हैं ताकि आपके पास उन सभी कामों को करने का मोटिवेशन हो, जो आपको अभी पूरे करने हैं। 

याद रखिए, फ्यूचर को प्लान करते वक़्त negativity की फ़िक्र करना बंद कीजिए। इसके बजाय अपने फ्यूचर गोल्स को बिल्कुल उसी तरह सच होते देखिए, जैसे वो हैं। 

अब जब आपने पास्ट को गलत तरीके से इस्तेमाल करना बंद कर दिया है, तो अब आप present पर ध्यान दे सकते हैं क्योंकि यही वो वक़्त है, जहाँ जादू हो सकता है। आज आप कौन-कौन से काम करेंगे उस चीज़ को लेकर बिल्कुल क्लियर रहिए। इस दिन को इम्पोर्टेन्ट काम किए बिना बीतने मत दीजिए। 

आपको इस दिन को अपना "माइक्रो-लाइफ" समझना चाहिए, जो आपको आपकी "मैक्रो-लाइफ" बनाने में मदद करेगा। अगर इस दिन को आप फ़ालतू के कामों में लगाएंगे, तो आपकी भी मीनिंगलेस माइक्रो-लाइफ होगी। क्या इससे आपके बड़े गोल्स में कोई मदद मिलेगी? नहीं। 

इसलिए, आपको चैलेंज करने वाली, आपकी वैल्यू को बढ़ाने वाली, यादगार और आपके हेल्थ को बेहतर करने वाली एक्टिविटीज़ में खुद को लगाकर, अपने इरादों को और मज़बूत कीजिए। ऐसा करने से, जब आप उस वक़्त को कभी याद करेंगे, तो खुद पर गर्व महसूस करेंगे। 

लेकिन, आप इस बात को कैसे पक्का करेंगे कि आप अपने वक़्त को सही तरीके से से इन्वेस्ट कर रहे हैं? अपनी मौजूदा एनर्जी को किसी काम की चीज़ पर लगाकर, आप ऐसा कर सकते हैं। जैसे, ऐसे स्किल्स सीखें जो आगे जाकर आपके बहुत काम आए या आपकी मेंटल और फिज़िकल हेल्थ का ख़याल रखने में मदद करे। 

इस तरह से, आप अपने वक़्त को Netflix देखने या वीडियो गेम्स खेलने के बजाय, meaningful कामों में लगा सकते हैं। याद रखिए कि आप उस एनर्जी को अब वापस नहीं ला सकते, जो आपने फ़ालतू के काम पर लगाकर waste कर दी है। 

आपको सिर्फ अपने वक़्त को सोच समझकर इस्तेमाल करने की ज़रुरत है। जैसे, 4 घंटे Netflix देखने के बजाय सिर्फ 1 घंटा देखिए और बाकी 3 घंटे ज़रूरी काम कीजिए। आप अपनी एक्टिविटी भी चेंज कर सकते हैं जैसे कुछ देखने के बजाय कोई बुक पढ़कर ताकि आपके फ्यूचर और आपकी ज़िंदगी में इसका meaningful कॉन्ट्रिब्यूशन हो। 

वक़्त को सोच समझकर इस्तेमाल करने के अलावा, आपको ये भी याद रखना होगा कि दूर की सोचने से, सक्सेस का सही तरीके से अंदाज़ा लगाया जा सकता है। अगर आपका एक क्लियर गोल है, तो आप present में फोकस कर सकते हैं और बेहतर फैसले ले सकते हैं। 

सक्सेस को पाने की दूसरी चाबी है कंसिस्टेंसी यानी किसी काम को लगातार करते रहना क्योंकि जो काम आप हर रोज़ करते हैं, उससे बहुत फर्क पड़ता है। जैसे, मान लीजिए कि आप एक फॉरेन लैंग्वेज सीख रहे हैं और आप हर एक दिन अपने स्किल्स को बेहतर बनाने और उस एक्टिविटी को लगातार करने में लग जाएंगे। जैसे-जैसे वक़्त गुज़रता जाएगा, आप अपने प्रोग्रेस को देखकर चौंक जाएंगे और आपको एहसास होगा कि आपने पहले से कहीं ज्यादा सीख लिया है। 

दूर की सोचना और कंसिस्टेंट रहना आसान नहीं होगा, लेकिन कम से कम आप हर दिन कुछ न कुछ करने की कोशिश तो करेंगे। याद रखिए कि रोज़ छोटे-छोटे स्टेप लेने से, आपको अपने गोल्स तक पहुँचने में मदद मिलेगी। 

अर्जेंसी यानी किसी काम को जल्दी करना, खुद को कुछ प्रोडक्टिव करने की तरफ ले जाने का एक तरीका है। अगर आप ये तरीका इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो आप चीज़ों को टालते रहंगे, जिससे आपकी प्रोग्रेस, गोल्स और फ्यूचर में भी देरी होती रहेगी। इसलिए, ये बेहतर होगा कि खुद को रिलैक्स करने के लिए, ज़्यादा वक़्त देना बंद कर दीजिए। 

आप 90 दिन का पीरियड इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इससे आपको खुद को आगे ले जाने का मौका मिलेगा और आप अच्छी प्रोग्रेस करेंगे। 90 दिन या 3 महीने, अपने एक गोल को हासिल करने के लिए काफी हैं। अपने पहले दिन को कल पर टालने के बजाय आपको अभी शुरुआत करने के लिए खुद को पुश करना चाहिए और चार दिन के काम को, सिर्फ एक ही दिन में पूरा कर देना चाहिए। 

दूसरा तरीका है, बार-बार डेडलाइन रखना। अपने गोल्स को छोटे-छोटे गोल्स में बाँट दीजिए और उन्हें रोज़ लगातार पूरा करते रहिए। जैसे, अगर आप एक बुक लिख रहे हैं तो इस एक्टिविटी को अलग-अलग कामों में बाँट दीजिए जैसे, आउटलाइन को पूरा करना, पहला ड्राफ्ट बनाना और मैनुस्क्रिप्ट को एडिट करना। इस तरह से, आप अपने प्रोग्रेस को ट्रैक कर सकते हैं और छोटी-छोटी सक्सेस से मोटीवेट भी रह सकते हैं। 

Making a Meaningful Use of Your Time
आप अपने time को meaningfully यूज़ कैसे कर सकते हैं? पहले, अपनी छोटी सोच को निकाल फेंकिए। जैसे कि ये सोचना, "मेरे पास वक़्त नहीं है"। अगर आप यही कहते रहेंगे तो शायद आप अपनी ज़िंदगी की ज़िम्मेदारी लेना ही नहीं चाहते या फिर आपके अंदर, कुछ शुरू करने का मोटिवेशन ही नहीं है। 

अगर आप ऐसा करते हैं, तो कुछ नहीं बदलेगा क्योंकि आप किसी भी तरह का बदलाव लाना ही नहीं चाहते। इससे पहले कि आप कुछ करें, आप मोटिवेशन आने का इंतज़ार भी कर सकते हैं। जब आप ये सोचते हैं कि आप एक गोल पर फोकस करने के लिए वक़्त नहीं निकाल पा रहे हैं, तो इसका मतलब कि आप आलसी बन रहे हैं। ये आपका ऐसा कहने का दूसरा तरीका है कि काम ज़रूरी नहीं है, इसलिए, आपके पास इसके लिए वक़्त ही नहीं है। 

"मेरे पास वक़्त नहीं है", ऐसा कहने के बजाय, खुद को और काबिल बनाने वाले स्टेटमेंट कहिए जैसे, "अभी मेरे पास करने के लिए बहुत काम है। इस काम के लिए अभी मेरे पास शायद वक़्त नहीं है, लेकिन जैसे ही बचे हुए काम पूरे हो जाएंगे, मैं इसके लिए वक़्त निकालूँगा।" 

दूसरा, आपको सेल्फ़- अवेयर यानी खुद के बारे में ये पता होना चाहिए कि अलग-अलग काम पर आप अपने वक़्त को कैसे बिताते हैं। इस बात पर ध्यान दीजिए कि सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करना और अपनी फाइल्स को organize करने जैसे अनप्रोडक्टिव कामों पर आप कितना वक़्त लगाते हैं। 

ऐसा करने से, आप खुद पर अपना कंट्रोल वापस पा लेंगे और अपनी पर्सनल ज़िम्मेदारी को अपनाना शुरू कर देंगे। आप बेहतर तरीके से अपने वक़्त को इस्तेमाल करेंगे और काम को प्रोडक्टिव तरीके से करेंगे। 

तीसरा, सही तरीके से प्रोडक्टिव बनें। इस बात का ध्यान रखें कि जो काम आप रोज़ कर रहे हैं, वो आपके लॉन्ग-टर्म गोल से जुड़े हों। आप खुद से पूछ सकते हैं, "अगर आज मैं इस काम को करता रहूँ तो क्या अब से पांच या दस साल बाद, मेरा करियर सक्सेसफुल होगा?” 

अगर आपका जवाब ना है, तो थोड़ा एडजस्टमेंट कीजिए। आपको अपनी प्रायोरिटीज़ को पहचानना होगा। इसके बाद, उस काम को पूरा करने के लिए अपनी ताकत और एबिलिटीज़ को ढूंढिए। इसके बाद, ये सोचकर अपने पैशन को बाहर निकालिए कि किन ख़ास एक्टिविटीज़ को करना आप एन्जॉय करते हैं। 

जो काम आपको रोज़ करने चाहिए, उनका सही विज़न बनाने के लिए आप इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं - 

एक, वो काम आपके लिए exciting होना चाहिए ताकि आप उसे करते वक़्त बोर ना हो जाएँ। 

दो, आपका टारगेट एक्टिविटी बिल्कुल क्लियर होना चाहिए ताकि आप ये जान सकें कि आपको कहाँ फोकस करना है और कहाँ नहीं। 

तीन, वो आपके कोर वैल्यूज़ और ज़िंदगी की फिलोसोफी से मैच करनी चाहिए। 

जैसे मान लीजिए, आप और भी आज़ादी पाना चाहते हैं। अगर आप ये फिलोसोफी फॉलो करते हैं, तो आप खुदबखुद अलग-अलग चीजें चुन सकते हैं और अपने काम पर फुल कंट्रोल पा सकते हैं। 

चार, आपके काम से, आपको जिंदादिल महसूस होना चाहिए क्योंकि आप उन्हें अपने वैल्यूज़ और स्किल्स के साथ कर रहे हैं। 

पांच, ऐसे काम ढूँढिए जो आपको खुद को चैलेंज करने के लिए मजबूर करें, जहाँ आप अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलकर कुछ नया करने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसा करने से, आप खुद के बारे में और जान पाएंगे और अपनी ज़िंदगी के हर एरिया में बदलाव ला पाएंगे।

Making Effective Use of Your Time
अपने वक़्त को मल्टीप्लाय यानी बढ़ाने के लिए कुछ टिप्स भी हैं - 

पहले, सारा काम खुद कैसे किया जाए इसे समझने में time waste करने के बजाय किसी से मदद माँगिए। जैसे, जब आपको एक बुक, स्पैनिश, जर्मन या फ्रेंच लैंग्वेज में चाहिए तो ट्रांसलेटर्स को ढूँढने में वक़्त ज़ाया करने के बजाय आपको उन लोगों से पूछना चाहिए जिनके पास इसकी कॉपी हों। 

दूसरा टिप है स्मार्ट तरह से सोचना। आपको वीडियो टुटोरिअल्स देखकर या एक कोच रखकर, अपने लर्निंग कर्व को छोटा करना चाहिए। ऐसा करने से, आप चीज़ों को जल्दी सीख पाएंगे और अपना बहुत सा वक़्त बचा पाएंगे। 

आप मास्टरी माइंडसेट भी अपना सकते हैं. इसे आप इन तरीकों से कर सकते हैं जैसे, repetition में मास्टर करना, या फंडामेंटल में मास्टर करना और कुछ सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना। Repetition में मास्टर करने का मतलब है किसी चीज़ को रोज़ तब तक प्रैक्टिस करते रहना जब तक कि वो स्किल आपके लिए automatic ना बन जाए। 

फंडामेंटल में मास्टर करने का मतलब है किसी काम को करने से पहले, उसके स्टेप्स को सीखना। जैसे, weight एक्सरसाइज़ कैसे किया जाता है, वो सीखना वरना आपको एक्सरसाइज़ करते वक़्त चोट लग सकती है। दूसरा example है, इफेक्टिव तरीके से पढ़ाई करने के लिए वो सभी टिप्स सीखना जिससे जो information आपने याद की है उसे आप भूल ना जाएँ। 

याद रखिए कि अगर आप फंडामेंटल को याद नहीं करेंगे और अगर आप कुछ भूल गए तो आपके वापस देखने के लिए कोई गाइड नहीं होगा। इसके बाद, सीखने के लिए तैयार रहना रिज़ल्ट्स पाने में काफी फायदेमंद साबित होता है। अगर आप लगातार सीखते रहते हैं तो आप खुद को ग्रो करके प्रोग्रेस करने का मौका देते हैं। 

प्रोग्रेस करने के अलावा, आपको सबसे ज़रूरी चीज़ पर फोकस करना चाहिए। आपकी ज़िंदगी पर असर डालने वाले कामों को प्रायोरिटी देकर, कोई काम अभी करना ज़रूरी है या नहीं ये सोचकर, उस काम को करने का सबसे अच्छा तरीका ढूँढकर, एक जैसे काम को साथ रखकर और एक चेकलिस्ट की मदद से अपने काम को systematic बनाकर, आप ऐसा कर सकते हैं। 

तीसरा टिप ये है कि आपको अपने स्किल्स को इम्प्रूव करके या नए स्किल्स सीखकर अपने time को multiply कर सकते हैं। अपने स्किल्स को पहचानिए, इसके बाद ऐसे काम चुनिए, जिससे उन्हें बेहतर बनाया जा सकता है। जैसे, अगर आपको ऑफिस में google स्प्रेडशीट पर काम करने की ज़रुरत है, तो आप एक छोटा सा कोर्स करके या YouTube पर उसके वीडियोज़ देखकर, उसे यूज़ करना सीख सकते हैं। 

जब आप ये जान जाएंगे कि अपने वक़्त को सही तरीके से कैसे इस्तेमाल करें तो अब उसे स्टोर करना शुरू कीजिए। पैसा बचाकर आप ऐसा कर सकते हैं क्योंकि पैसा आपको फ्यूचर में कई मौके दे सकता है। आप इसे बिज़नस या अपने करियर में इंवेस्ट कर सकते हैं। बहरहाल, वक़्त के साथ पैसा आपके ऑप्शंस को भी multiply कर देता है। 

अपने खर्चों को अपनी सैलरी के हिसाब से रखकर, आप एक स्मार्ट consumer भी बन सकते हैं। जैसे मान लीजिए, आप 900 डॉलर का फ़ोन खरीदना चाहते हैं, लकिन आप हर घंटे के सिर्फ 15 डॉलर कमाते हैं, तो आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उस अमाउंट को पूरा करने के लिए आपको कितना वक़्त और एफर्ट लगाने की ज़रुरत है। इसके बाद, खुद से पूछिए कि एक फ़ोन पर इतना पैसा खर्च करना ठीक है या फिर आपका काम एक सस्ते मॉडल से भी चल जाएगा। 

आपके वक़्त की कीमत को बनाए रखने वाले काम करने से, आप पैसे का इस्तेमाल अपना वक़्त बचाने के लिए कर सकते हैं। जैसे नए स्किल्स सीखना या अपने बिज़नस या जॉब के साथ में कोई नया काम करना। जितना ज़्यादा वक़्त आप काम की चीज़ों पर लगाएंगे, उतना ज़्यादा आप पैसा कमाएँगे। 

Developing Extraordinary Focus
सच तो ये है कि आप time को कंट्रोल नहीं कर सकते लेकिन आप अपने फोकस को कंट्रोल ज़रूर कर सकते हैं। जो भी काम आप करते हैं और जितना वक़्त उनमें लगाते हैं, वो बहुत कीमती होता है। क्योंकि आपके पास लिमिटेड एनर्जी और time होता है इसलिए किसी काम को पूरा करने के लिए आपका बढ़ा हुआ फोकस ही वो इकलौता रिसोर्स है, जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं। 

याद रखिए, जब भी आप फोकस करें, तो आपको इन चीज़ों से बचना है - 

पहला, एक काम से दूसरे काम पर ना कूदें क्योंकि ऐसा करने से आपके कंसंट्रेशन के मोमेंटम में break आ जाता है। 

दूसरा, फोकस hour के दौरान किसी भी चीज़ को खुद को रोकने न दें वरना उसे दोबारा लाना मुश्किल हो जाएगा। 

तीसरा, अपने ईमेल और notifications को चेक करने से बचिए क्योंकि इससे आपका ध्यान इधर-उधर भटकेगा। 

चौथा, आपको शुरुआत में फ़ालतू के कामों पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि उन्हें पूरा करने में आपकी एनर्जी कम होने लगेगी। इसके बजाय, ज़रूरी काम पर अपनी एनर्जी और फोकस लगाइए। 

अपने फोकस के इस्तेमाल से ज़्यादा प्रोडक्टिव बनने के लिए, ये टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं - 

पहला, सही काम या टास्क को पहचानिए और उसे करने में कम से कम 45 मिनट तक फोकस कीजिए। 

दूसरा, डीप कंसंट्रेशन की प्रैक्टिस कीजिए और सभी distractions को दूर करने की कोशिश कीजिए। 

तीसरा, 80/20 प्रिंसिपल के इस्तेमाल से लेज़र शार्प फोकस डेवलप कीजिए। ये रूल कहता है कि 80% रिज़ल्ट पाने के लिए आपको 20% एक्शन लेना चाहिए। 

जैसे, जब आप एक नई बुक लिखकर उसे रिलीज़ करते हैं तो आप ad के ज़रिए उन्हें हजारों रीडर्स तक पहुंचाते हैं। ये प्रमोशन का एक मार्केटिंग टूल बन जाता है, जो आपके वक़्त और एफर्ट का सिर्फ 20% लेता है, लेकिन जितने भी रीडर्स आपकी बुक को खरीदेंगे, उनसे और सैलरी से, आपको 80% रिज़ल्ट्स मिलेंगे। 

अब, खुद से पूछिए कि क्या आपके काम में 80/20 प्रिंसिपल अप्लाई होता है। अगर नहीं, तो अगली बार ऐसे काम पर अपना फोकस वापस ले जाइए, जो आपको ज़्यादा फायद देता है। 

80/20 प्रिंसिपल के अलावा, आप "फ्लो स्टेट" को समझकर, खुद को फोकस डेवलप करना सिखा सकते हैं। "फ्लो स्टेट" एक ऐसा स्टेट होता है जहाँ आपका ब्रेन किसी काम में पूरी तरह लगा हुआ होता है। जब कोई काम करते वक़्त आपको एहसास ही ना हो कि कितना वक़्त बीत गया है तो उस वक़्त आप फ़्लो स्टेट में होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब आप फ्लो स्टेट में होते हैं तो आप अपने काम को एन्जॉय कर रहे होते हैं। आपको आस-पास की चीजों और थॉट्स से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि आपका मेंटल फोकस खुद-ब-खुद, सभी distractions और negativity को ख़ुद से दूर कर देता है। 

अब, जब आपको इससे होने वालों के फायदों के बारे में पता है तो आइए अब उन स्टेप्स की बात करते हैं, जो आपके माइंड को फ्लो स्टेट में जाने में मदद करेंगे - 

पहला, डेली के रूटीन बनाइए और उन्हें स्ट्रिक्टली फॉलो कीजिए। किसी Inspiration का इंतज़ार मत कीजिए, बस काम करना शुरू कर दीजिए। आप हर रोज़ उसी वक़्त और उस सेम जगह पर रहकर भी अपने रूटीन को फॉलो कर सकते हैं। अपने रूटीन को शुरू करने के लिए आप एक ट्रिगर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। जैसे, काम करने से पहले, मैडिटेशन करना माइंड को फोकस करने के लिए तैयार कर देता है। 

दूसरा, notifications बंद करके, हेडफ़ोन लगाकर और अपने आस-पास के लोगों को आपको डिस्टर्ब न करने के लिए कहकर, आप distractions को दूर कर सकते हैं। ऐसा करने से, आप अपने माइंड के फ्लो स्टेट को बनाए रख सकते हैं और आपको काम करते वक़्त बीच-बीच में रुकना नहीं पड़ेगा। 

अपने काम के अलावा कुछ और करने से भी, आप अपने फोकस करने की एबिलिटी को बढ़ा सकते हैं। ये अपनी हॉबीज़ फॉलो करना भी हो सकता है, जिन्हें करने में आपको मज़ा आता है या अपने कंसंट्रेशन को बढ़ाने के लिए बुक्स पढ़ना, खुद को बोर होने देना या फिर समय-समय पर ब्रेक लेना हो सकता है।

Conclusion
सबसे पहले, आपने सीखा कि सही वक़्त पर सही काम में अपनी एनर्जी लगाना, प्रोडक्टिविटी कहलाता है। ऐसा ज़रूरी कामों को पहचानकर, अपने एनर्जी लेवल को बढ़ाकर, अपने फोकस को बेहतर बनाने के लिए distractions को अलग करके, किया जा सकता है। 

दूसरा, आपने समझा कि वक़्त बहुत कीमती होता है। आपको अपना वक़्त और एनर्जी, बीते हुए कल और आने वाले कल पर नहीं लगाना चाहिए। इसके बजाय, present पर फोकस कीजिए, पास्ट से जो आपने सीखा और फ्यूचर के लिए जो आपने प्लान किया है, उसे अप्लाई कीजिए। 

तीसरा, आपने सीखा कि समय को इफेक्टिव तरीके से कैसे इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें अपनी ज़िंदगी की पूरी ज़िम्मेदारी लेना शामिल है, जहाँ आप अहम कामों पर समय लगाकर और आपको लिमिट में बाँधने वाले थॉट्स से दूर रहकर अपने कंट्रोल को वापस पा सकते हैं। 

चौथा, आपने अपने वक़्त का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करना सीखा। आप जिन कामों को अकेले करने की कोशिश करते हैं, आप उस वक़्त को कम करने के लिए दूसरों से मदद ले सकते हैं। आप फंडामेंटल में मास्टरी करना सीख सकते हैं ताकि आपके पास क्लियर गाइडलाइन्स हों। इनके अलावा, आप अपने वक़्त को ऐसे कामों में भी लगा सकते हैं, जो आपके स्किल को बेहतर बना सकती हैं। 

पांचवा, आपने ये भी सीखा कि वक़्त को सही से इस्तेमाल करने के लिए फोकस बहुत इम्पोर्टेन्ट होता है। आप 80/20 प्रिंसिपल अप्लाई कर सकते हैं और अपने वक़्त का पूरा इस्तेमाल करने के लिए फ्लो स्टेट में जा सकते हैं। 

दस बातों की एक बात, अपने वक़्त को समझना बहुत ज़रूरी है। ये आपको अपनी ज़िंदगी पर कंट्रोल पाने का मौका देता है। याद रखिए, आप वक़्त को वापस नहीं ला सकते। हर एक पल को सही जगह लगाइए और हर रोज़ प्रोडक्टिव बनने की कोशिश कीजिए। 

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फाइनली अगर आप इस समरी के एन्ड तक पहुंच गए है तो Congratulation बहुत ही कम लोग होते है जो नॉलेज के ऊपर टाइम इन्वेस्ट करते है वर्ना आप कही और भी तो टाइम वेस्ट कर सकते थे.
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